रैडीमेड कपड़ा निर्यातकों का 7.5 प्रतिशत निर्यात घटा

लुधियाना, 15 दिसम्बर (किशन बाली) : देश में जहां हर कारोबार का मंदा हाल हुआ पड़ा है। वहीं केन्द्रीय सरकार की बेरुखी के कारण भारत के रैडीमेड कपड़ा निर्यातकों  का निर्यात भी दिनों-दिन घटता जा रहा है और गत महीने 7.5 प्रतिशत कम कपड़ा निर्यात हुआ है। डायरैक्टर  जनरल ऑफ कर्मिशयल इंटैलीजैंस एंड स्टैटिक्स (डी.जी.सी.आई.) कोलकाता द्वारा जो रैडीमेड कपड़ा निर्यात करने के आंकड़े जारी किए गए हैं, वह देश के रैडीमेड कपड़ा निर्यातकों के लिए बुरा संकेत दे रहे हैं।  वित्तीय वर्ष 2018-19 के नवम्बर महीने में भारत के निर्यातकों ने 8115.95 करोड़ रुपए के रैडीमेड कपड़े निर्यात किए, जबकि वर्ष 2019-20 के नवम्बर महीने में यह दर 7.5 प्रतिशत घटकर 7544.1 करोड़ रुपए ही रही। चालू वित्तीय वर्ष के अक्तूबर महीने में 5.55 प्रतिशत, सितम्बर महीने में 3.36 प्रतिशत निर्यात हुआ। रैडीमेड कपड़े की निर्यात में लगातार गिरावट होने के कारण निर्यायकों को अपना अस्तित्व बचाना मुश्किल हुआ पड़ा है। निर्यातकों के अनुसार रिबेट ऑफ स्टेट लेवीज (आ.ओ.एस.एल.) के तहत मिलने वाली सब्सिडी पर निर्यातकों को मिलने वाली ड्यूटी ड्रा बैंक समय पर नहीं मिल रहा। जिस कारण कपड़ा निर्यातकों को आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ रहा है। के.जी. एक्सपोर्ट्स के प्रबंधक निर्देशक हरीश दुआ ने कहा कि निर्यातकों के प्रति केन्द्र सरकार का रवैया सही नहीं है, जिस कारण निर्यातकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने निर्यातकों को दी जाने वाली रिवायत और सब्सिडी को एक-एक कर बंद किया जा रहा है। जिस कारण कपड़ा निर्यातकों को अधिक समय तक अपने आप को बाज़ार में स्थापित कर रखना मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव लग रहा है। उन्होंने बताया कि देश के निर्यातकों को बचाने के लिए सरकार को तुरंत विशेष राहत देने का ऐलान करना चाहिए।