कादियां-ब्यास रेलवे प्रोजैक्ट आज भी अधूरा

बटाला, 23 दिसम्बर (काहलों) :  भारत-पाक बंटवारे से पहले अंग्रेजी शासन समय सर जफर उल्ला खां, जो रेलवे विभाग के इंचार्ज भी थे और कादियां में उनकी रिहायश थी, उसने उस समय बटाला से कादियां रेलवे लाइन पास करवाकर रेलगाड़ी शुरु करवाई और इसके बाद इस रेलवे लाइन को ब्यास तक जोड़ने का काम भी शुरु किया था। उन्होंने कादियां से बटाला रेलवे लाइन भी शुरु की। कादियां से ब्यास रेल पटड़ी का काम 1944 में शुरु किया गया। रेलवे विभाग ने जमीन अधिग्रहण करके कादियां से गांव भैणियां तक रेल पटरी बिछा दी। हरचोवाल नहर पर बने रेलवे के बुर्ज आज भी इस चीज की गवाही देते हैं परंतु भारत-पाक बंटवारे के बाद यह प्रोजैक्ट बंद हो गया। गांव भामड़ी तक बिछाई गई रेलवे लाइन को लोगों ने उखाड़ दिया। यह रेलवे लाइन से कादियां स्टेशन से आधा किलोमीटर तक ही सीमित होकर रह गई। भारत-पाक बंटवारे के बाद यह मामला लटक गया। कई लोगों ने इस रेल प्रोजैक्ट को आगे बढ़ाने के लिए प्रयास किया लेकिन वो सिरे नहीं चढ़ सका।
1929 में सर्वे करवाकर बनाया गया कादियां से ब्यास रेलवे रूट
कादियां से ब्यास वाया रेल 39.68 किलोमीटर का सफर बनता है, जिसको बंटवारे से पहले अंग्रेजी हकूमत समय सर्वे और निशादेही उपरांत पास कर दिया गया था। काम शुरु हो गया था, जिसका रूट कादियां से गांव बसरावां, भामड़ी, हरचोवाल, नहर पुल, श्री हरगोबिगंदपुर, घुमान से सीधा ब्यास तक बनता था।
धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व से लोगों के लिए अहम है कादियां-ब्यास रेलवे लाइन
इस रेलवे लाइन के बनने से तीन धार्मिक और ऐतिहासिक कस्बा कादियां, घुमान और ब्यास तक एक-दूसरे के साथ जुड़ सकेंगे। कादियां अंतर्राष्ट्रीय अहमदियां मुस्लिम जमात का मुख्यालय है। घुमान भगत बाबा नामदेव जी और राधा स्वामी सत्संग ब्यास के पहले मुखी बाबा जैमल सिंह के साथ संबंध रखता धार्मिक पक्ष से महत्वपूर्ण स्थान है और ब्यास राधा स्वामी संप्रदाय का मुख्यालय है। 
केंद्र सरकार पंजाब सरकार को भेजा 300 करोड़ रूपए आखिर कहां गया?
वर्णननीय है कि एक वर्ष पहले इस प्रोजैक्ट के लिए केंद्र सरकार द्वारा 300 करोड़ रूपए पंजाब सरकार को भेजे गए थे। जानकारी के मुताबिक यह पैसा जमीन अधिग्रहण करने के लिए आया था। चाहे कि यह पता चला है कि सरकार द्वारा जमीन हासिल करने के लिए नक्शा बनाया जा चुका है, परंतु सरकार द्वारा यह पैसा जमीन मालिकों को क्यों नहीं दिया जा रहा और इस प्रोजैक्ट के लिए इतनी देरी कई सवाल पैदा करती है। 
क्या कहते हैं क्षेत्र विधायक फतेहजंग सिंह बाजवा
क्षेत्र विधायक फतेहजंग सिंह बाजवा का कहना है कि उनके बड़े भाई प्रताप सिंह बाजवा द्वारा भारी जद्दोजहद के बाद इस रेलवे लिंक को मंजूर करवाया गया था और अब यह इस प्रोजैक्ट को पंजाब सरकार ने पूरा करना है। केंद्र सरकार द्वारा 300 करोड़ रूपए भी आ चुके हैं। वहीं एस.डी.एम. बटाला बलविंदर सिंह का कहना है कि जो पैसे केंद्र सरकार द्वारा आए हैं, सवो सर्वे के लिए हैं। सर्वे के काम को एक से डेढ महीने के अंदर अंदर मुकम्मल कर लिया जाएगा और उसके बाद जमीन लेने की प्रक्रिया शुरु होगी।