कैप्टन मंत्रिमंडल में फेरबदल के प्रयासों को सफलता मिलने की सम्भावना धीमी

चंडीगढ़, 25 दिसम्बर (हरकवलजीत सिंह): पंजाब मंत्रिमंडल में फेरबदल के प्रयासों को सफलता मिलती नज़र नहीं आ रही क्योंकि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी व दूसरे वरिष्ठ कार्यकर्त्ताओं व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के बीच पिछले कुछ समय दौरान सम्पर्क काफी कमज़ोर हो गया है। मुख्यमंत्री गत दिनों के दौरान पार्टी हाईकमान द्वारा दिल्ली में की गई राष्ट्रीय रैली व उसके बाद महात्मा गांधी की समाधि पर कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा दिए गए धरने जिसमें सभी कांग्रेस मुख्यमंत्रियों ने शमूलियत की, से भी गैरहाज़िर रहे। मुख्यमंत्री द्वारा मंत्रिमंडल में नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के कारण रिक्त चल रहे पद पर राणा गुरजीत सिंह को वापस मंत्री लेने संबंधी कांग्रेस अध्यक्ष की स्वीकृति के लिए कुछ समय पहले जो पत्र लिखा गया था उसे लेकर भी मुख्यमंत्री को कोई जवाब या समर्थन नहीं मिला। पार्टी सूत्रों का मानना है कि पार्टी हाईकमान के साथ लगातार बढ़ रही दूरियां व हाईकमान की स्वीकृति के बिना मुख्यमंत्री के लिए मंत्रिमंडल में किसी प्रकार का फेरबदल करना सम्भव नहीं होगा। हालांकि ऐसा फेरबदल मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र में है। विगत दिनों दौरान यह चर्चा ज़रूर रहा है कि मुख्यमंत्री अपनी सरकार की कारगुजारी में सुधार लाने के लिए कुछ मंत्रियों के विभागों में फेरबदल करने व 1-2 मंत्रियों की छंटनी का भी फैसला ले सकते हैं। राजनीतिज्ञ माहिरों का मानना है कि आगामी समय दौरान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह पार्टी हाईकमान के साथ अपने बिगड़े संबंधों को सुधारने में अगर सफल नहीं होते तो उनके लिए अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल करने संबंधी सम्भावनाएं न के बराबर ही रह जाएंगी। इन सूत्रों का यह भी मानना है कि हाईकमान व कैप्टन के बीच बढ़ीं दूरियाें के कारण ही नवजोत सिंह सिद्धू की पुन: बहाली का मुद्दा खटाई में पड़ गया है और इस मुद्दे पर पार्टी हाईकमान द्वारा अब कैप्टन के साथ किसी प्रकार की कोई बातचीत नहीं की जा रही।