पंजाब सरकार के लिए नववर्ष 2020 में भी वित्तीय संकट से निकलना होगा चुनौतीपूर्ण

चंडीगढ़, 30 दिसम्बर (विक्रमजीत सिंह मान): राज्य में कांग्रेस की सरकार बने लगभग 3 वर्ष पूरे होने को हैं परन्तु वित्तीय संकट से निकलने के लिए सरकार द्वारा किए सभी प्रयास फिलहाल असफल हुए ही नज़र आ रहे हैं। सरकार के लिए वित्तीय संकट से निकलना नववर्ष 2020 में भी चुनौतीपूर्ण ही रहेगा। पंजाब सरकार के लिए वर्ष 2018-2019 आर्थिक तंगी से ही गुज़र गया जिसके चलते जहां सरकार लोगों से किए वायदे पूरे न कर सकी, वहीं कई विकास योजनाओं के लिए भी सरकार का यह वित्तीय संकट बड़ी बाधा बनकर आगे खड़ा रहा। वायदे न पूरे होने के चलते जहां सरकार को विरोधी पक्षों, अध्यापकों व कर्मचारी संगठनों के विद्रोह का सामना करना पड़ा वहीं सरकार पूरा वर्ष खज़ाना खाली होने की दुहाई देती ही दिखाई दी। मिली जानकारी के अनुसार सरकार ने वर्ष 2018 दौरान भी जो राजस्व एकत्रित करने का लक्ष्य निर्धारित किया था उसको सरकार पूरा न कर सकी तथा इस वर्ष भी हालत बहुत बढ़िया न हो सकी। इसके अतिरिक्त जी.एस.टी. से सरकार को होने वाली कमाई से भी सरकार संतुष्ट नज़र नहीं आ रही। दूसरी ओर राज्य के इस वित्तीय संकट का कारण अकाली दल व कांग्रेस दोनों एक-दूसरे को बताते आ रहे हैं। सरकार ने इस वर्ष वित्तीय संकट का बड़ा कारण केन्द्र द्वारा जी.एस.टी. का रिफंड समय पर अदा करने को भी बताया जबकि पिछली अकाली-भाजपा सरकार के वित्त मंत्री स. परमिन्द्र सिंह ढींडसा ने मौजूदा वित्त मंत्री को यह कह कर असफल करार दे दिया कि यदि उन्होंने केन्द्र द्वारा 2 माह जी.एस.टी. का रिफंड न आने के कारण हाथ खड़े कर दिए थे तो तब सरकार क्या करेगी। जब जी.एस.टी. रिफंड आना ही बंद हो जाएगा। उधर इस मामले में पंजाब कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ का कहना है कि शिरोमणि अकाली दल के नेता व पूर्व वित्त मंत्री स. परमिन्द्र सिंह ढींडसा भूल गए कि पंजाब की आर्थिक मुश्किलों की जड़ अकाली-भाजपा सरकार के 10 वर्ष का राज ही है।