" दादा साहेब फाल्के अवार्ड " बिग बी को मिला बिग सम्मान

बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन को 29 दिसम्बर को दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान ‘दादा साहेब फाल्के पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। भारतीय सिनेमा में उनके शानदार योगदान के लिए उन्हें यह पुरस्कार दिए जाने की घोषणा 25 सितम्बर 2019 को की गई थी। हालांकि यह पुरस्कार उन्हें 23 दिसम्बर को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में प्रदान किया जाना था किन्तु अस्वस्थता के कारण समारोह में शामिल नहीं हो पाने पर सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने घोषणा की थी कि 29 दिसम्बर को राष्ट्रपति भवन में एक विशेष समारोह में राष्ट्रपति उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित करेंगे। दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के अंतर्गत बिग बी को दस लाख रुपये नकद, स्वर्ण कमल पदक और शाल प्रदान की गई। सितम्बर माह में जब उन्हें वर्ष 2018 के भारतीय सिनेमा के सर्वश्रेष्ठ ‘दादा साहब फाल्के पुरस्कार’ से सम्मानित किए जाने की घोषणा की गई थी, तब सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने भारतीय सिनेमा में उनके योगदान का उल्लेख करते हुए कहा था कि दो पीढ़ियों का मनोरंजन तथा उन्हें प्रेरित करने वाले कलाकार अमिताभ बच्चन को सर्वसम्मति से दादा साहिब फाल्के पुरस्कार के लिए चुना गया है और पूरा देश एवं अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इससे प्रसन्न है।
उल्लेखनीय है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा स्थापित संगठन ‘फिल्म महोत्सव निदेशालय’ द्वारा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में प्रतिवर्ष भारतीय सिनेमा के पितामह कहे जाने वाले दादा साहिब फाल्के के नाम पर यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा और उसके विकास में उत्कृष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों को वर्ष 1969 से नियमित प्रदान किया जा रहा है, जिसे भारतीय सिने जगत के सर्वोच्च पुरस्कार का दर्जा प्राप्त है। वर्तमान में इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाली शख्सियत को 10 लाख रुपये नकद, स्वर्ण कमल पदक एवं शाल प्रदान की जाती है। अमिताभ बच्चन से पहले यह प्रतिष्ठित सम्मान विनोद खन्ना, मनोज कुमार, पृथ्वीराज कपूर, बी.आर. चोपड़ा, श्याम बेनेगल, देवानंद, शशि कपूर, लता मंगेशकर, मन्ना डे, गुलजार, प्राण सहित कई नामी कलाकारों को दिया जा चुका है। चार बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित हो चुके भारतीय सिनेमा के बेहतरीन अभिनेताओं में शुमार अमिताभ बच्चन ऐसी शख्सियत हैं, जिनके न केवल भारत में बल्कि दुनियाभर में करोड़ों चाहने वाले हैं। अपने अब तक के पांच दशकों के फिल्मी कैरियर में वे सदैव शीर्ष पर बने रहे हैं और फिल्मों में अविस्मरणीय कार्य के जरिये हमेशा अपने प्रशंसकों को आश्चर्यचकित करते रहे हैं। 11 अक्तूबर 1942 को प्रसिद्ध हिन्दी कवि हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन के घर जन्मे अमिताभ का 1970 के दशक से शुरू हुआ स्टारडम भारतीय सिनेमा में अभी तक जारी है। सिनेमा में 50 वर्ष पूरे कर चुके 77 वर्षीय अमिताभ ऐसे दमदार अभिनेता हैं, जिनकी फिल्मों का दर्शकों को आज भी बेसब्री से इंतजार रहता है। उम्र के इस दौर में जहां अधिकांश लोग जिंदगी की भागदौड़ से पूरी तरह थक-हार जाते हैं और बिस्तर पकड़ लेते हैं, वहीं अमिताभ 77 वर्ष की आयु में भी भारतीय सिनेमा को अपना सर्वश्रेष्ठ दे रहे हैं। यह भी दिलचस्प संयोग ही है कि जिस दादा साहिब फाल्के पुरस्कार के लिए अमिताभ का चयन किए जाने पर उनकी बेमिसाल उपलब्धियों की चर्चा हो रही है, उस पुरस्कार के स्थापना वर्ष 1969 में ही उन्होंने ‘सात हिन्दुस्तानी’ फिल्म के जरिये बॉलीवुड में कदम रखा था और ‘जंजीर’ फिल्म से उन्हें बॉलीवुड में सुपरस्टार का दर्जा मिल गया था, जिसके बाद उन्होंने बॉलीवुड को कई दर्जन सुपरहिट फिल्में दी। 1970 के दशक में जंजीर, दीवार, शोले जैसी फिल्मों के माध्यम से उन्होंने युवा पीढ़ी के गुस्से को ऐसी अभिव्यक्ति दी कि उसी के बाद से उन्हें हिन्दी सिनेमा का ‘एंग्री यंग मैन’ कहा जाने लगा। अपने पांच दशक के सिने कैरियर में उन्होंने कई यादगार और अविस्मरणीय फिल्में दी। बड़े पर्दे के अलावा अमिताभ छोटे पर्दे पर भी सक्रिय रहे हैं और यहां भी उन्होंने अपने अभिनय का करिश्मा बिखेरते हुए खूब सफलता हासिल की है।  भारतीय सिनेमा में उत्कृष्ट योगदान के लिए अमिताभ बच्चन को वर्ष 1984 में पद्मश्री, 2001 में पद्मभूषण और 2015 में पद्मविभूषण पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। यदि बात करें दादा साहिब फाल्के पुरस्कार की तो भारतीय फिल्मोद्योग में दिया जाने वाला यह सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वोच्च पुरस्कार है, जो प्रतिवर्ष इंडस्ट्री के तमाम फिल्मकारों, निर्देशकों और कलाकारों की आजीवन उपलब्धियों का समग्र मूल्यांकन करने के पश्चात् भारतीय सिनेमा के विकास में उत्कृष्ट योगदान देने वाले किसी एक फिल्मकार, निर्देशक अथवा कलाकार को प्रदान किया जाता है। वर्ष 1969 में जब दादा साहिब फाल्के पुरस्कार की स्थापना हुई थी, तब उस जमाने की विख्यात अभिनेत्री एवं फिल्म निर्मात्री देविका रानी को पहली बार यह पुरस्कार पाने का गौरव हासिल हुआ था। 

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