पासपोर्ट की शर्त के बाद इमीग्रेशन अधिकारियों की पीली व गुलाबी पर्ची से श्रद्धालु निराश

बटाला, 6 जनवरी (काहलों): भारत-पाक के उच्चाधिकारियों ने गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब का गलियारा खुलने से पहले आने-जाने की रस्मी कार्रवाईयों पर हस्ताक्षर किए थे और लगता है कि अब दोनों देशों ने श्रद्धालुओं की कई अपीलों के बावजूद भी समझौते पर किए उन हस्ताक्षरों में जरा भी तबदीली न करने का पक्का मन बना लिया है। रजिस्टे्रेशन की पेचीदा कार्रवाई के बाद पासपोर्ट की शर्त भी कई श्रद्धालुओं को गुरुद्वारा साहिब के दर्शन करने से महरूम रख रही है और उसके बाद अब इमीग्रेशन विभाग द्वारा टर्मीनल के अंदर रस्मी कार्रवाईयां कर श्रद्धालुओं की 4 घंटे की यात्रा के 2 घंटे खराब कर उन्हें निराश किया जा रहा है।
पीली व गुलाबी पर्ची से भी श्रद्धालु निराश
शुरुआती दिनों में श्रद्धालु हाथों व आंखों की निशानदेही करवाने के बाद पासपोर्ट व ईटीए फार्म दिखाकर एक सफेद रंग की पर्ची लेकर पाकिस्तान के गेट के अंदर प्रवेश कर जाते थे परंतु अब इस प्रक्रिया को भारत की ओर मुश्किल कर दिया गया है, हाथों, आंखों, पासपोर्ट व ईटीए फार्म दिखाने के बाद अब श्रद्धालुओं से एक ही गुलाबी रंग का 10-12 शर्तों वाला एक फार्म भरवाया जाता है, जिसे भरने के बाद भारत की ओर गेट पर देना पड़ता है, उसके बाद पाकिस्तान की इमीग्रेशन द्वारा भी आंखों, हाथों की निशानदेही करने के बाद 20 डालर की रसीद, पासपोर्ट व गले में डाला पीले रंग का यात्री कार्ड सम्भाल कर रखना पड़ता है। इसमें से एक भी गुम होने पर कई घंटे की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
वापसी पर भी भरनी पड़ती है पीले रंग की पर्ची
गुरुद्वारा साहिब के दर्शन करने के पश्चात् 20 डालर की रसीद गुरुद्वारा साहिब के बाहर बनी सुरक्षा खिड़की पर जमा करवाने के बाद ही आप बाहर निकल सकते हो। इसके बाद बाहरी गेट पर बनी इमीग्रेशन पर आंखों व हाथों की निशानदेही करवाने के बाद भारतीय गेट के अंदर दाखिल होने पर पासपोर्ट व ईटीए फार्म दिखाना पड़ता है। भारतीय टर्मीनल के अंदर फिर पीले रंग का 10-12 शर्तों वाला छोटा फार्म भरना पड़ता है और बुजुर्गों द्वारा वह फार्म न भरने पर अधिकारियों द्वारा सख्ती से पेश आया जाता है, जो श्रद्धालुओं की 3-4 घंटे की सुखद यात्रा को दु:खदायक करता है।
कम्प्यूटर की गलती का खमियाज़ा भी भुगतना पड़ता है श्रद्धलुओं को 
सुबह 8 बजे के करीब इमीग्रेशन विभाग के काऊंटर खुलते हैं और सुबह से कतार में खड़े श्रद्धालु जब ईटीए फार्म दिखाकर इमीग्रेशन करवाने लगते हैं तो इमीग्रेशन विभाग के कम्प्यूटर व अधिकारी कई तरह के नखरे करते हैं। काऊंटर पर बैठा अधिकारी 200-250 किलोमीटर से आए श्रद्धालु को धीरे से सिर हिलाकर कह देता है कि कम्प्यूटर में आपका नाम गलत है, आप यह यात्रा नहीं कर सकते। कई श्रद्धालु तो इतने निराश हो जाते हैं कि कुछ समय वहां बैठकर यह सोचते हैं कि वह परिवार के इस सदस्य को अब कहां छोड़कर जाएंगे।