आओ, मिल कर मनाएं बेटियों की लोहड़ी

लोहड़ी शीत ऋतु का बहुत ही प्यार और लोकप्रिय त्यौहार है। पंजाबी संस्कृति में इस त्यौहार का विशेष महत्त्व है। जनवरी के आरम्भ से ही त्यौहारों की शुरुआत हो जाती है। इन त्यौहारों में सबसे पहला त्यौहार लोहड़ी ही आता है। आज की संस्कृति में हमें अपनी सोच बदलने की ज़रूरत है अधिकतर यह हो भी रहा है। बेटियों की लोहड़ी मनाने की परम्परा शुरू हो चुकी है। जो स्त्री जाति के लिए अच्छी और शगुन वाली बात है। बेटियों के बिना घर में रौनक नहीं। लोहड़ी की कथा की अगर पृष्ठभूमि देखें तो पता चलता है कि सुंदरी और मुंदरी नामक दो बहनों की इज्जत और सम्मान के लिए दुल्ला भट्टी ने समाज से टक्कर ले ली थी। आज भी ज़रूरत है बेटियों की रक्षा के लिए ऐसे ही किसी बहादुर की जोकि बेटियों पर आंच न आने दे। आज अगर समाज में बेटा-बेटी बराबर हो जाएं तों सब ठीक हो जाए। बेटियों की लोहड़ी मनाकर इस संबंधी एक सुचारू कदम उठाया जा सकता है। अब समाज में बहुत-सी ऐसी सामाजिक संस्थाएं जोकि बेटियों की लोहड़ी मनाती हैं और समाज में चेतना पैदा करने का प्रयास करती हैं। बेटियों के जन्म को आज भी समाज स्वीकार नहीं करता। अगर कुछ सम्मान योग्य पग लड़कियों के लिए उठाए जा सकते हैं तो उन पगों पर चल हमें बेटियों को समान अधिकार दिलाना चाहिए। बेटी को सामाजिक रुतबा और बेगाना धन या पराई कहकर निरादर नहीं करना चाहिए। ऐसे बहुत से त्यौहार, रीति-रिवाज़ हैं जो बेटियों के बिना अधूरे हैं। बेटियों की लोहड़ी केवल सामाजिक संस्थाओं तक ही सीमित नहीं है। भ्रूण हत्या जैसे कुकर्म ने बेटियों को नैतिक तौर पर पीछे कर दिया है, लेकिन संतुष्टि तब मिलती है जब कुछ सरकारी और ़गैर-सरकारी संस्थाएं ऐसी घटनाओं को होने से रोकती हैं। इसलिए ज़रूरी है कि बेटियों के जन्म को भी जश्न की तरह मनाना चाहिए उनके लिए नए सफलता भरे रास्ते अपनाने चाहिए। जिस प्रकार लोहड़ी की रात को अग्नि में तिल, मूंगफली इत्यादि डाले जाते हैं और सभी के कल्याण की कामना की जाती है, उसी प्रकार उस रात अपनी और समाज की इन कुरीतियों को अग्नि की भेंट चढ़ाना चाहिए, जोकि समाज में बेटियों के प्रति फैली हुई है। बेटियां भी अपने माता-पिता का सम्मान उतना ही बढ़ा सकती हैं, जितना कि बेटा बढ़ाता है बस सोच बदलने की ज़रूरत है। इस लोहड़ी पर समाज की सभी कुरीतियों को दूर करके मिल-जुल कर बेटियों की लोहड़ी मनाएं। हमेशा बेटा-बेटी में समानता रखें और बेटी को प्यार करें जोकि आज के समय में सब कुछ करती हैं अपने माता-पिता के लिए।