इंटरनैट का इस्तेमाल मौलिक अधिकार : उच्चतम न्यायालय

नई दिल्ली, 10 जनवरी (एजैंसी, उपमा डागा पारथ) : उच्च्तम न्यायालय ने शुक्रवार को अपने एक महत्त्वपूर्ण फैसले में संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत इंटरनैट के इस्तेमाल को एक मौलिक अधिकार करार देते हुये जम्मू-कश्मीर प्रशासन को केंद्र शासित प्रदेश में प्रतिबंध लगाने के सभी आदेशों की एक हफ्ते में समीक्षा करने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति एन. वी. रमण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों जैसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वाली सभी संस्थाओं में इंटरनैट सेवाएं बहाल करने के लिए कहा। पीठ में न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी भी शामिल हैं। संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत इंटरनैट के इस्तेमाल को मौलिक अधिकार का हिस्सा बताते हुए शीर्ष अदालत ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से इंटरनैट के निलंबन के सभी आदेशों की समीक्षा करने के लिए कहा। पीठ ने कहा कि इंटरनैट का उपयोग करना कुछ प्रतिबंधों के साथ संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत एक मौलिक अधिकार है और प्रेस की स्वतंत्रता एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण और पवित्र अधिकार है। अदालत ने कहा कि कश्मीर में लगे प्रतिबंधों को लेकर न्यायालय ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और असहमति जताने वाले किसी विचार को दबाने के लिए धारा 144 सीआरपीसी (निषेधाज्ञा) का इस्तेमाल अनिश्चित काल तक नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने कहा कि मैजिस्ट्रेट को निषेधाज्ञा जारी करते समय इस पर विचार करना चाहिए और आनुपातिकता के सिद्धांत का पालन करना चाहिए। पिछले साल 5 अगस्त को पूववर्ती जम्मू-कश्मीर प्रदेश से संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत मिला विशेष दर्जा वापस लिए जाने के बाद केंद्र सरकार के इस फैसले को चुनौती देते हुए दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शीर्ष न्यायालय ने यह फैसला दिया। अब इस मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को करेगी।
सरकार सात दिनों के अंदर दायर करेगी समीक्षा रिपोर्ट : भाजपा
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जम्मू-कश्मीर में प्रतिबंधों को लेकर उच्चतम न्यायालय के निष्कर्षों का शुक्रवार को स्वागत करते हुए कहा कि सरकार सात दिनों में समीक्षा रिपोर्ट दाखिल करके अपना पक्ष रखेगी। भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में शीर्ष न्यायालय के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सर्वोच्च अदालत ने अपने निष्कर्षों को साझा किया है और पांच सवालों का जवाब देने को कहा है। 
फैसला ऐतिहासिक, इस बार किसी दबाव में नहीं आया न्यायालय : आज़ाद
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद ने जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में आए उच्चतम न्यायालय के आदेश की सराहना करते हुए शुक्रवार को कहा कि सरकार ने लोगों को गुमराह करने की कोशिश की थी और इस बार शीर्ष अदालत किसी दबाव में नहीं आई। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष आज़ाद ने कहा कि हम फैसले का स्वागत करते हैं। 
जम्मू कश्मीर में 26 लोगों पर से पीएसए हटाया गया
जम्मू कश्मीर के गृह विभाग ने विभिन्न जेलों में बंद 26 लोगों से जनसुरक्षा कानून (पीएसए) हटा दिया। इसे क्षेत्र में स्थिति को आसान करने के कदम के तौर पर देखा जा रहा है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के पांच अगस्त के केंद्र के फैसले के बाद इन लोगों को पकड़ा गया था और इनके खिलाफ पीएसए लगाया गया था।