आस्ट्रेलिया की उपज के बराबर देश के गोदामों में सड़ जाता है गेहूं

पठानकोट, 13 जनवरी ( चौहान)   : ग्लोबल हंगर इंडेक्स (वैश्विक भूख सूचकांक) के अनुसार दुनिया के 117 देशों में से भारत 107वें स्थान पर है। देश में अनाज की कोई कमीं नहीं है मगर इसके बावजूद देश के करोड़ों लोग भूखे ही सोते हैं। भारत में 5 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों में से 37.05 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार हैं जिनमें से 10 लाख बच्चे पांच वर्ष की आयु तक पहुंचने से पहले ही मर जाते हैं। जिसके चलते भारत 2014 में 55वें स्थान पर था जबकि आज 102 नम्बर पर है। दुनिया के सबसे भूखे 20 देशों में भारत भी शामिल है। दूसरी तरफ खाने की बर्बादी की तरफ ध्यान दिया जाए तो उसमें भी भारतीय सबसे अगली कतार में हैं। छोटे-छोटे गरीब देश भी भारत से अच्छी स्थिति में पहुंच चुके हैं। नेपाल व बंगला देश जैसे जो देश कभी भारतीय रहमोकरम पर थे वह आज की स्थिति में भारत से बेहतर हैं। जिन 45 देशों की स्थिति सबसे अधिक नाजुक बताई जाती है उनमें भी भारत शामिल हो चुका है। आज हालात यह बन चुके हैं कि अधिक भोजन होने के बावजूद भी भारत की जनसंख्या के एक बड़े हिस्से के लोगों को पेट भरने योग्य खाना नसीब नहीं हो रहा। भारत में प्रत्येक चौथा व्यक्ति भूखा ही सोता है। ग्लोबल हंगर की सूची में दर्ज है कि भारत इस समय भूख की गम्भीर समस्या से झूझ रहा है। सेन्टर आफ ट्रेड यूनियन पंजाब के संयुक्त सचिव प्रेम सागर शर्मा ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि यूनाइटेड नेशन्स डिवेलपमेंट प्रोग्राम के अनुसार भारत में पैदा होते आनाज का 40 फीसदी भाग बर्बाद हो जाता है। भारत एक ऐसा देश बन चुका है कि जिसमें पैदा हुए आनाज से प्रति वर्ष 6700 करोड़ किलो खाना यूं ही बर्बाद हो जाता है, जिसकी कीमत 90 हजार करोड़ बनती है और 90 हज़ार करोड़ रुपये के साथ देश में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करते 26 करोड़ लोगों का 6 महीने के लिए पेट भरा जा सकता है। भारत में प्रतेयक वर्ष 2100 करोड़ किलो गेहूं खराब हो जाती है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों अनुसार भारत में प्रत्येक वर्ष कुपोषण के कारण करीब 10 लाख बच्चे 5 वर्ष की आयु तक पहुंचने से पहले ही मर जाते हैं। देश का भूख सूचकांक और कुपोषण के आंकड़े भयानक तस्वीर पेश कर रहे हों तो कृषि के हालात की जांच पड़ताल ज़रूर होनी चाहिए। एक अन्य रिपोर्ट अनुसार भरत में प्रत्येक वर्ष 23 मिलियन टन दालें, 12 मिलियन टन फल, 21 मिलियन टन सब्जियां सही आबंटन प्रणाली न होने के कारण खराब हो जाती हैं। भारत ही एक ऐसा देख है जहां खाना खाते समय लोग अधिक खाना बर्बाद करते हैं। किसान खेत में और अमीर प्लेट में खाना बर्बाद करता है। जितना भोजन इंग्लैंड में खाया जाता है उतना भारत में बिना वजह खराब हो जाता है। जितना गेहूं ऑस्ट्रेलिया में पैदा होता है उतना भारत के गोदामों में ही सड़ जाता है। सबसे अधिक विवाह शादी व अन्य पार्टियों में खराब होता है। भारत में अनाज के गोदाम अनाज से पूरी तरह से भरे हुए हैं अनाज गल-सड़ कर बर्बाद हो रहा है मगर देश के गरीब लोग भूखे हैं।