सरकार की गलतियों का दंड जनता क्यों भुगते ?

ऐसे एक नहीं, अनेक लोग हैं जो आर्थिक तंगी के कारण समय पर बिजली बिल नहीं भर पाते फिर जुर्माना भरते हैं और काटे गए कनैक्शन को बहाल करवाने के लिए सरकारी दफ्तरों के अधिकारियों, क्षेत्र के पार्षदों और विधायकों के पांव तक छूते हैं पर उत्तर तो यही मिलता है कि बिजली का बिल तो भरना ही पड़ेगा। अब जबकि पंजाब सरकार बिजली के रेट बढ़ा रही है और सरकारी गलतियों के लिए जनता को दो हजार करोड़ रु पये का बोझ वर्ष 2020 में उठाना पड़ेगा, सबसे महंगी बिजली देने वाला राज्य पंजाब बन जाएगा। अब ज्वलंत प्रश्न यह बन जाएगा कि उन सरकारी विभागों के विरु द्ध सरकार ने क्यों एक्शन नहीं लिया या बिजली विभाग ने उनके दफ्तरों के कनैक्शन क्यों नहीं काटे या फिर सरकार ने मुफ्त बिजली जो सबसिडी की देनी थी, क्यों नहीं दी?
पावरकॉम के आर्थिक संकट का कारण सरकारी विभागों की ओर से बिजली बिलों की अदायगी न होना है। इसका जुर्माना आम जनता को भुगतना पड़ा और 2017 से अब तक 18 बार बिजली दरों में बढ़ौतरी की गई है। आम जनता शायद यह नहीं जानती कि पिछले कई वर्षों से सरकार के बहुत से शक्तिशाली विभाग भी बिजली का बिल नहीं देते। इसके साथ ही पावरकॉम के आर्थिक संकट का सबसे बड़ा कारण यह है कि सरकार की ओर से जनता के एक बड़े वर्ग को सबसिडी दिए जाने के कारण जो राशि पावरकॉम को देनी है वो भी वर्षों तक नहीं दी जाती। आश्यर्चजनक यह है कि पावरकॉम के अपने कर्मचारी भी समय पर बिल नहीं भरते या वर्षों तक नहीं भरते। कुछ समय पहले पावरकॉम ने पंजाब में अपने 3591 कर्मचारियों से 56 लाख रुपये की राशि वसूली। इसके साथ ही अमृतसर बॉर्डर जोन में साढ़े तीन हजार से ज्यादा कर्मचारियों की ओर 67 लाख रु पये से ज्यादा का बिल बकाया था, जिसमें से लगभग साढ़े तीन हजार कर्मचारियों से सरकार ने 35 लाख रुपए जुर्माना राशि ले ली, पर 277 कर्मचारियों के कनैक्शन काट दिए। इसी प्रकार लुधियाना, पटियाला तथा पंजाब के दूसरे भागों से भी सबसे पहले पावरकॉम के कर्मचारियों से ही बकाया इकट्ठे करके करोड़ों रु पये पावरकॉम ने कमा लिए, पर यह राशि तो ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर रही। पंजाब के सरकारी विभागों ने बहुत बड़ी राशि अभी भी देनी है। सबसे बड़ी राशि तो पंजाब सरकार के जल सप्लाई सेनीटेशन विभाग की ओर है, जिन्होंने 1107 करोड़ रु पये का बकाया अभी तक नहीं दिया और स्थानीय निकाय विभाग भी लगभग 400 करोड़ रुपया दबाकर बैठा है। यद्यपि उनके कमरे बिजली से चमकते हैं, गर्मियों में ठंडे और सर्दियों में गर्म भी होते हैं। स्वास्थ्य परिवार कल्याण विभाग, उद्योग व्यापार विभाग, राहत पुनर्वास विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग समेत बहुत बड़ी सूची पंजाब सरकार के विभागों की है।
अब नया फैसला ‘मरे को मारे’ वाला पंजाब सरकार का है। बिजली महंगी कर दी। 2-3 पैसे प्रति यूनिट नहीं, सीधे तीस पैसे प्रति यूनिट बिजली महंगी करने के बाद आम उपभोक्ता को दस रु पये यूनिट बिजली खरीदनी पड़ेगी। सच्चाई यह है कि पावरकॉम कंपनियों से चार रुपये प्रति यूनिट बिजली लेता है, जो कि कई प्रकार के टैक्स, सरचार्ज लगाकर अब 9 से 10 रु पये प्रति यूनिट बेचने की तैयारी में है। अब प्रश्न यह उठता है कि अगर दिल्ली में कोई भी पावर प्लांट न होने के बावजूद केजरीवाल सरकार सस्ती बिजली दे रही है और उत्तराखंड सरकार भी सस्ती बिजली देने में समर्थ है तो फिर उत्तर भारत के राज्यों में पंजाब ही सबसे महंगी बिजली क्यों दे रहा है? 
पंजाब की वर्तमान सरकार अब पिछली सरकार पर यह आरोप लगा रही है कि निजी कंपनियों के साथ कोयला खरीदने के समझौते करके नए प्लांट लगवाते समय जनता के हित का ध्यान नहीं रखा गया। आम जनता भी यह पूछती है कि आखिर प्राइवेट कंपनियों को बिजली उत्पादन का काम क्यों दिया गया और सरकार की ओर से अपने प्लांट क्यों नहीं लगाए गए? एक जानकारी के अनुसार जो समझौता कोयला खरीदते समय हुआ उसमें अनजाने में या जान-बूझकर कोयला ढोने का खर्च नहीं जोड़ा गया और अब यह प्राइवेट कंपनियां सुप्रीम कोर्ट में अपील करके विजयी हो गईं और पंजाब सरकार को उन्हें 1500 करोड़ से ज्यादा रु पया देना है। बिजली बोर्ड के घाटे का एक बड़ा कारण यह भी है कि आज भी पंजाब में बड़े स्तर पर बिजली की चोरी होती है। यह बिजली चोरी या तो ताकत वाले करते हैं या बहुत कमजोर लोगों का वोट बटोरने के लिए उन्हें बिजली बिना भुगतान किए प्रयोग करने की अघोषित छूट दी गई है। 
जनता यह चाहती है और मेरा भी यह पावरकॉम और संबद्ध विशेषज्ञों, सरकारी अधिकारियों से यह निवेदन है कि जिनकी गलतियों के कारण आज जनता पर दो हजार करोड़ का बोझ बिजली किराए बढ़ाने के नाम पर डाला जा रहा है, उन सभी मंत्रियों और अधिकारियों तथा तत्कालीन सरकार के सभी उन लोगों की संपत्ति अटैच करके भरपाई की जाए जिनके कारण आज बिजली महंगी हो रही है। प्रश्न यह भी है कि गलतियां सरकार करे और जुर्माने जनता भरे, यह कहां का न्याय है? यह अन्याय अब सहन करने के मूड में पंजाब की जनता नहीं है।