चंडीगढ़, हिमाचल व उत्तराखंड की दारू पंजाबियों पर पड़ी भारी

गढ़शंकर, 16 जनवरी (धालीवाल): पंजाब में चंडीगढ़, हिमाचल और उत्तराखंड की दारू पंजाबियों पर भी भारी पड़ रही है। पंजाब से सस्ती दारू जहां पंजाब सरकार के खज़ाने को चूना लगा रही है, वहीं मिलावटखोरी के चलने कारण गांवों के छोटे बच्चों से लेकर पंजाब की जवानी को भी प्रभावित कर रही है। दो नम्बर की इस दारू के ट्रकों के ट्रक पंजाब में खपत हो रहे हैं। एक्साईज विभाग चाहे पुलिस प्रशासन की मदद से बाहरी राज्यों की दारू की विक्री को रोकने के लिए यत्न तो करता है परन्तु शराब माफिया की लुका-छिपी ऐसे प्रयासों को भी मात देने वाली बताई जा रही है। बिना एक्साईज़ ड्यूटी के पंजाब की शराब के साथ किए चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश व उत्तरांचल की शराब की बिक्री चुपचाप पैर पसार रही है जिस पर शराब के ठेकेदार भी काफी परेशान हैं। हालांकि ठेकेदारों की टीम इस दो नम्बर की दारू को नकेल डालने के लिए लगातार सरगर्म रहती है, परन्तु कहीं न कहीं ठेकेदारों के कारिंदों की कथित मिलीभगत से शहरों, कस्बों से लेकर गांवों में बैठे बाहरी राज्यों की शराब के मिनी ठेकेदार अपने हाथ रंगने में सफल हो रहे हैं। यह आम सुनने को मिल रहा है कि अधिकतर गांवों में शराब के आदी लोग ही नशे के तोड़ को पूरा करने के लिए घरों में ही बाहरी राज्यों की शराब को बेचने का धंधा चला रहे हैं। शराब की बिक्री कई करियाने की छोटी दुकानों से लेकर चाय की दुकानों पर भी होने लग पड़ी है, जहां दुकानदार अपने कारोबार के मंदे की कसर निकालने के लिए इस दो नम्बर का शराब का सहारा ले रहे हैं। गांव में रहते या काम करते मज़दूर तबके के लोग या फिर प्रवासी मज़दूर दारू की बोतल खरीदने की हिम्मत नहीं रखते जिस कारण सस्ते में गांव की दुकानों पर ही अपने पैग की पूर्ति कर रहे हैं। यह भी अंदेशा प्रकट किया जा रहा है पैग के रूप में शराब बेचने वाला माफिया कैप्सूल व अन्य पदार्थों से मिलावटी शराब तैयार करके लोगों की जान से खेल रहा है। गांव में शराब बेचने वाला ऐसा माफिया भी कायम बताया जा रहा है जो मिस्डकाल पर ही शराब की होम डिलीवरी कर रहा है। शराब बेचने के इस कार्य की जहां गांवों में छोटे बच्चों पर असर पड़ रहा है, वहीं नौजवान पीढ़ी भी शराब के सेवन की तरफ आकर्षित हो रही है।