सरकारी प्राईमरी स्कूलों को स्मार्ट स्कूल बनाने के किए जा रहे दावे 

संगरूर, 16 जनवरी (धीरज पशौरिया): पंजाब के 19200 प्राईमरी स्कूलों में करीब 8100 स्कूलों को स्मार्ट स्कूल बनाने के किए जा रहे दावों के दौरान अगर राज्य की प्राईमरी शिक्षा की ओर गहराई से देखा जाए तो राज्य की प्राईमरी शिक्षा की हालत अति नाजुक है। अगर स्कूलों की बिलडिंगों की ओर ही नजर मार ली जाए तो पंजाब के कई स्कूलों के करीब 3500 कलास रूम अनसुरक्षित ऐलाने जा चुके है जिस कारण बच्चों की कक्षाए खुले में जा धार्मिक स्थानों/धर्मशालाओं में लगती है। राज्य में सैंकड़े स्कूल तो ऐसे है जिनके पास अपनी बिलडिंगे ही नहीं है। इस कारण यह स्कूल धार्मिक स्थानों/धर्मशालाओं जा मांगे कमरों में चल रहे है। राज्य सरहदी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में स्कूल तो ऐसे भी है जहां बच्चों की पांच कक्षाओं को पढ़ाने के लिए सिर्फ एक ही अध्यापक है। हालत ऐसे भी है कि राज्य के सैंकड़े स्कूलों में बच्चों को शिक्षा देने के लिए एक भी रैगूलर अध्यापक नहीं है वहां शिक्षा वांलटीयरों आदि से ही काम चलाया जा रहा है। र्स्माट स्कूल बनाने के किए जा रहे इन दावों दौरान राज्य के प्राईमरी स्कूलों में पढ़ते विद्यार्थियों में एक लाख से ज्यादा बच्चे फर्नीचर की सहूलियत से वंचित है जिस कारण उनको कड़ाके की ठंड दौरान दरियों पर बैठने के लिए मजबूत होना पड़ता है। केन्द्र सरकार द्वारा किए जाते भारत स्वच्छ के नायरों के दौरान राज्य के बड़ी संख्या में प्राईमरी स्कूल अभी भी टायलट/बाथरूम की सहूलियत से वंचित है। राज्य के इन प्राईमरी स्कूलों में कैसे पढ़ाया जा रहा है अगर गौर की जाए तो प्राईमरी शिक्षा की हालत अति गंभीर है। 
क्या कहती है अध्यापक जत्थेबंदियां
पंजाब की प्राईमरी शिक्षा के बारे में गहरी समझ रखने वाले गर्वमैंट टीचर्ज यूनियन का राज्य अध्यक्ष सुखविन्द्र सिंह चाहल का कहना है कि पंजाब सरकार जो प्राथमिक शिक्षा देने की बात कर रही है पर यह हकीकत से कोसों दूर है। प्राथमिक शिक्षा देने के लिए हर स्कूल में पूरे अध्यापक होना बहुत जरूरी है, पूरे से भाव हर प्राईमरी स्कूल में कम से कम पांच अध्यापक होने बहुत जरूरी है पर शिक्षा सरकार कानून ऐसा कुछ करने से रोकता है। दुनियां के विकसित देशों में 12 विद्यार्थियों के पिछे एक अध्यापक है पर जहां प्राईमरी स्कूलों में 30 विद्यार्थियों के पिछे एक अध्यापक दिया जा रहा है भाव अगर प्राईमरी की पांच कक्षाओं में 60 विद्यार्थी पढ़ते है तो वहां सिर्फ दो अध्यापक ही दिए जा रहे है। इन पांच कक्षाओं में पढ़ते विद्यार्थियों के 20 विषयों को 6 घंटो में 2 अध्यापक कैसे पढ़ाऐंगे। इस तरह शिक्षा अधिकार कानून देश की सरकारी प्राईमरी शिक्षा को तबाह करने वाला सिद्व हो रहा है।