बच्चों की पढ़ाई में माता-पिता का सहयोग ज़रूरी

बच्चों के लिए पाठ्यक्रम याद करना बहुत बड़ी समस्या है। माता-पिता इस समस्या को बहुत आसानी से अपने ढंग से कम कर सकते हैं। साथ ही बच्चों की पढ़ाई को रोचक बना सकते हैं। अगर पढ़ाई साथ-साथ होती रहे तो परीक्षा में बच्चों को कोई भी मुश्किल नहीं आती। माता-पिता को घर में पढ़ाई  का माहौल बनाने की आवश्यकता है। ताकि बच्चे पढ़ाई को बोझ न समझ सकें और दिल से अपनी पढ़ाई कर सकें। बच्चों में पढ़ाई की लगन पैदा करने के लिए माता-पिता को प्रतिदिन बच्चों के साथ किसी न किसी विषय पर 35-40 मिनट चर्चा करनी चाहिए। बच्चों के साथ देश-विदेश की घटनाएं, राजनीति, धरती, पानी, आविष्कार और नैतिक शिक्षा आदि के विषयों पर बातचीत करनी चाहिए। जब बच्चे आपके साथ घूमने जाते हैं तो उनको कृषि के बारे, फसलों के बारे और कृषि के औजारों के बारे में बताना चाहिए। सड़कों पर टोल टैक्स की जानकारी दी जानी चाहिए। प्रतिदिन घर पर किसी न किसी विषय पर चर्चा करने से बच्चों में समझने की शक्ति बढ़ती है। फिर वह अपने पाठ्यक्रम को रटने की जगह उसे पूरी तरह पढ़ कर समझें। हर विषय के फार्मूले स्वयं ही सुलझ जाते हैं। इसी तरह  पढ़ाई करने से बच्चों की सोचने, समझने, बोलने और सुनने की शक्ति में बढ़ोतरी होती है। बच्चों का आत्म-विश्वास बढ़ता है। इसी तरह पढ़ाई करने से बच्चा भूलता नहीं है और आगे चल कर प्रतियोगिता परीक्षा में आगे बढ़ता है। विषय पर की हुई चर्चा से माता-पिता और बच्चों का रुतबा भी कायम रहता है और हर समय घर पर पढ़ाई का माहौल बना रहता है। माता-पिता को बच्चों के विचारों का भी पता लगाना ज़रूरी है। माता-पिता बच्चों के पहले गुरु होते हैं। उनको बच्चों की शब्दावली की तरफ विशेष ध्यान देना चाहिए। जब भी घर पर माता-पिता अपने बच्चों को किसी वस्तु को पकड़ाने के लिए कहते हैं तो उनको उस वस्तु से संबंधित शब्द भी बताने चाहिए। माता-पिता को घर में हिन्दी, अंग्रेज़ी, पंजाबी   और प्रत्येक भाषा का प्रयोग करना चाहिए। इस तरह करने से बच्चे काफी कुछ घर पर ही सीख जाते हैं और उनको पढ़ाई में मुश्किल नहीं आती। 

-नंदिनी