प्राकृतिक जीवन-शैली अपनाएं, कैंसर दूर भगाएं

कैंसर एक गैर संक्रामक रोग है। यह कोई वंशानुगत बीमारी भी नहीं है। फिर भी कभी-कभी कुछ परिवारों में यह रोग एक से अधिक सदस्यों को अपनी चपेट में ले लेता है। कैंसर किसी भी आयु में, किसी भी व्यक्ति को हो सकता है। स्त्री-पुरूष, बच्चे, युवा, वृद्ध सभी इसके शिकार हो सकते हैं। कैंसर का सबसे बड़ा कारण है-पर्यावरण प्रदूषण। दो-तिहाई कैंसर इसी की देन हैं। 35 प्रतिशत कैंसर गलत खान-पान व रहन-सहन की आदतों के कारण होता है जैसे-तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट, सुपारी, पान-मसाला, शराब आदि का अत्यधिक सेवन। कुछ दवाइयां, हार्मोंस, एक्स-रे एवं अल्ट्रा वायलेट किरणें भी कैंसर का कारण बन सकती हैं। यह मानव शरीर के किसी भी अंग में हो सकता है। ग्रास नली के कैंसर के रोगियों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। इसका मुख्य कारण भोजन-प्रदूषण है। माइक्रोटॉक्सिन और नाइट्रोसीमेंस जैसे पदार्थ कैंसर पैदा करने वाले पाए गए हैं। कुछ चिकित्सकीय व्याधियां जैसे टाइलोसिस पामेरिस, पैटर्सनब्राउन, कैलीसिंड्रोम, भोजन में आयरन की कमी से होने वाला अनीमिया, ग्रास नली का एक्लेजिया इस कैंसर के अन्य स्वरूप हैं। ग्रास नली के कैंसर का उपचार कीमोथेरेपी, बाह्य विकिरण चिकित्सा और अंत: विकिरण चिकित्सा के समन्वित सहयोग से किया जाता है जिसके अच्छे परिणाम सामने आये हैं। फिर भी इसमें 20  से 30 प्रतिशत रोगियों में भी पूर्णरूपेण रोग मुक्त होने की संभावनाएं बन पाती हैं। रक्त कैंसर से हर साल हजारों व्यक्ति मौत के मुंह में जा रहे हैं। रक्त कैंसर के दो वर्ग हैं। एक वर्ग ‘क्रॉनिक रक्त कैंसर’ का तथा दूसरा वर्ग ‘एक्यूट रक्त कैंसर’ का होता है। कुछ कैंसर ऐसे होते हैं जो सिर्फ महिलाओं को होते हैं। इनमें से एक है स्तन कैंसर। पैंतीस से चौवन वर्ष की आयु की महिलाओं को होने वाला सबसे घातक रोग स्तन कैंसर है। कैंसर के अनेक प्रकारों के अनुसार उसके कारण भी बहुआयामी हैं परन्तु  विभिन्न शोधों से यह तथ्य निर्विवाद रूप से सत्य है कि उसकी रोकथाम में शरीर की आंतरिक क्षमता की भूमिका बड़ी महत्त्वपूर्ण हो सकती है। कैंसर जैसे रोग के हो जाने के बाद उपचार भले ही कठिन है लेकिन थोड़ी वैज्ञानिक जीवन शैली और थोड़े संतुलित आहार के सहारे काफी सीमा तक अपने आप को कैंसर से सुरक्षित रखा जा सकता है। समुचित खान-पान कैंसर से लड़ने का प्रमुख हथियार बन सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार कैंसर को नियंत्रित करने में सक्षम विटामिन ‘ए’ और ‘बी’ केरोटिन तत्व प्राकृतिक रूप से साग-सब्जियों में पाए जाते हैं। ये मेथी, पालक, गोभी, आलूबुखारे एवं गाजर आदि में उपलब्ध होते हैं। जिन देशों-प्रदेशों के लोग भोजन में हरी साग-सब्जी एवं ताजी फलों का सेवन करते हैं, वहां इस के रोगी बहुत कम पाए जाते हैं। विटामिन ‘सी’ से युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करके भी कैंसरों से बचा जा सकता है।

(स्वास्थ्य दर्पण)
-उमेश कुमार साहू