देश की सड़कों में गुलज़ार हैं स्वाद इंडिया

भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, आधुनिक उपभोक्ता तकनीक का दुनिया में सबसे बड़ा बाजार है, एंड्रोयड और माइक्रोसॉफ्ट के विंडो जैसे सॉफ्टवेयर उत्पादों का सबसे बड़ा बाजार भारत ही है। अपनी इन तमाम खूबियों के बाद भी भारत की एक्सक्लूसिव पहचानों की सूची खत्म नहीं होती। भारत की इन अंतहीन पहचानों में एक है, हमारी सड़कों के किनारे बसी जीवंत दुनिया। हमारी सड़कें कई वजहों से किसी के लिए भी यादगार हो जाती हैं। दुनिया में दूसरा ऐसा कोई देश नहीं है, जहां तमाम जूता बनाने वाले सड़कों के किनारे ही मिलते हाें, अगर आप कान साफ  करना चाहते हैं, टूटी हड्डियों को जुड़वाना चाहते हैं और अपनी चुक गई मर्दाना ताकत को दोबारा से पाना चाहते हैं तो भी कहीं भटकने की जरूरत नहीं है, ये सब चीजें आपको हिंदुस्तान में सड़कों के किनारे ही अपनी जगमगाती खूबसूरतियों के साथ मिल जायेंगी। लेकिन हमारी सड़कों की जिस एक खूबी की पूरी दुनिया दीवानी है, वह है भारत की सड़कों के किनारे धड़कता स्वाद इंडिया। जी, हां! भले देश के अलग-अलग शहरों के अपने अलग-अलग मशहूर व्यंजन हों, लेकिन भारत की सड़कों के किनारे बिना किसी भेदभाव के, बिना किसी क्षेत्रवाद के हिंदुस्तान के हर इलाके का व्यंजन असली से भी असली वाले दावे के साथ मिल जाता है। कई बार सेहत, सौंदर्य और शिष्टता के लिहाज से हमें ये तमाम चीजें हमें अपने आपको कमतर बनाती लगती हैं या लगता है जैसे हिंदुस्तान की सड़कों के किनारे मौजूद ये बेतरतीब दुनिया हमारे शहरों की खूबसूरती पर धब्बा लगाती है। लेकिन जब खाने-पीने की बात आती है तो इस देश में बड़े-बड़े रेस्टारेंटों और होटलों से ज्यादा लोगों की जुबान में सड़कों का ही नाम आता है। देश के जितने भी अपनी खूबियों के लिए मशहूर नये पुराने, छोटे-बड़े शहर हैं, इन सभी शहरों में कम से एक या दो ऐसी सड़कें तो जरूर मिल जाएंगी, जिनके किनारे बिकते स्ट्रीट फूड का डंका देश ही नहीं, विदेशों तक में सुनायी पड़ता है। न जाने यात्रा वृतांतों वाली कितनी ऐसी विदेशी किताबें हैं, जहां हिंदुस्तान की इन गलियों का पूरे आदर और स्वादिष्ट अंदाज में विवरण मौजूद है। देश की राजधानी की मशहूर स्वाद गलियों में तो सैकड़ों विदेशी राजनयिकों को भी तृप्ति की तलाश में भटकते आसानी से देखा जा सकता है। राजधानी दिल्ली के अंदर बसी जो पुरानी दिल्ली है, उसकी सबसे मजबूत पहचान इसकी छोटी-छोटी खानपान की देसी दुकानें तो हैं ही, इसकी सड़कों के किनारे खड़ी रेहडियां, स्वाद का एक सम्मानित साम्राज्य स्थापित करने में अपना भरपूर योगदान देती हैं। पुरानी दिल्ली अपनी रसदार जलेबियों, रसीले कबाबों, तेल में तले कुरकुरे पराठों, तृप्त कर देने वाले गोलगप्पों और शी... शी... करते हुए भी चटखारे लेकर खायी जाने वाली चाट के लिए मशहूर है। जब दिल्ली में ताजा-ताजा मेट्रो आयी थी, तब लगता था चमक-दमक वाले मेट्रो स्टेशनों के आसपास हिंदुस्तानियों के स्वाद और मिजाज की दुनिया रचने वाली रेहड़ियां कैसे लगेंगी? क्योंकि उनका रूप-रंग और अर्थव्यवस्था सब कुछ मेट्रो के मनोविज्ञान से कतई मेल नहीं खाती थी।  कुछ मेट्रो स्टेशन तो इन रेहड़ियों की बदौलत ही जाने जाते हैं, जैसे लक्ष्मी नगर का मेट्रो स्टेशन जहां दिल्ली में सबसे सस्ता, सबसे स्वादिष्ट और सबसे जैनुइन स्ट्रीट फूड मिलता है। कनाट प्लेस और दिल्ली हाट जैसी एलीट जगहों में भी स्वाद के नाम पर इन्हीं रेहड़ियों की चलती है। लेकिन यह अकेले दिल्ली की ही खूबी नहीं है। कोलकाता, मुंबई, हैदराबाद, चेन्नई, इंदौर, अमृतसर, लखनऊ और शिलांग जैसे पश्चिमी मिजाज के शहरों की सड़कों के किनारे भी इसी अंदाज में स्वाद इंडिया धड़कता है। मेघालय के खानपान की जितनी सारी खूबियां हैं, उनकी सबसे विश्वसनीय मौजूदगी शिलांग की सड़कों के किनारे लगी रेहड़ियों में ही दिखती है। चाहे पूर्वोत्तर का खास मोमो हो, भुना हुआ सुअर का मांस हो, सुअर की हड्डियों का कुरकुरा व्यंजन हो, केक हो, मिर्चीवड़ा हो। इन सारे व्यंजनों का असली स्वाद सड़क किनारे ही मिलता है।  अमृतसर को भी इस मामले में शिलांग और इंदौर जैसे खानपान के समृद्ध शहरों के विस्तार के रूप में ही देखना चाहिए। भले स्वर्ण मंदिर में दुनिया की सबसे बड़ी रसोई तैयार होती हो और इसकी इस खूबी के सामने पूरी दुनिया नतमस्तक हो, लेकिन स्वर्ण मंदिर के चारों तरफ  एक दो किलोमीटर के दायरे में ही अमृतसर के स्वाद की एक समृद्ध दुनिया बसी दिखती है। सफेद मक्खन के साथ बेफिक्र अंदाज वाले पंजाबी भरवां पराठे, छोले चावल, छोले भठूरे, अमृतसरी कुल्चे, मीठी और नमकील स्पेशल अमृतसरी लस्सी, मक्के की रोटी और सरसों का साग के साथ-साथ, मा छोले की दाल का जादू अमृतसर की जीवंत पहचान का सबसे बड़ा हिस्सा है।  ..और अंत में अगर हम भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई तथा सांस्कृतिक केंद्र कोलकाता की स्वाद गलियों की बात न कहें तो यह सारी कहानी ही अधूरी रहेगी। कोलकाता आश्चर्यजनक रूप से अपने सस्ते स्ट्रीट फूड के लिए पूरे देश में मशहूर है। बंगाली मिठाईयां और झारमुड़ी कोलकाता की पहचान हैं। जबकि अगर मुंबई की बात करें तो मुंबई वित्त ही नहीं, देश में अपने बेहद लोकप्रिय स्नैक्स के कारण नाश्तों की राजधानी का खिताब भी पा सकती है। इसके सारे नाश्तों की बात करने के लिए तो एक छोटी-मोटी किताब ही लिखनी पड़ सकती है।