तुम भी ऐसे बनना

दो बच्चे जो आपस में भाई-बहन थे, छुट्टी के दिन किसी पार्क में दौड़-पकड़ का खेल रहे थे। लड़की तेजी से आगे भाग रही थी, लड़का उसे पकड़ने के लिए पीछे दौड़ रहा था। लड़की दौड़ते हुए पीछे मुड़-मुड़कर देखी जा रही थी। तभी अचानक लड़की वह सामने से आती हुए एक बालिका से टकरा गई। बालिका के सिर पर काली-काली जामुनों से भरा टोकरा था। वह किसी किसान की बेटी थी जो जामुन बेचने के लिये जा रही थी। लड़की  के टकराने से वह बालिका जमीन पर गिर पड़ी। सिर पर रखा टोकरा भी दूर जाकर गिरा और सारे जामुन इधर-उधर बिखर गये, जामुन पकी हुई थी इसीलिये उन पर रेत चिपट गई और वे खाने लायक नहीं रहीं।क्योंकि लड़की का ध्यान भागते समय सामने की ओर नहीं था, इसी असावधानी के कारण यह घटना घट गई। लड़की ने अपने भाई से कहा ’ भैया आओ, जल्दी से घर भाग चलते हैं। कोई आ जायेगा तो मुश्किल में पड़ जाएंगे।लड़के ने बहन से कहा - ’हमारा इस तरह बालिका को छोड़कर भाग जाना ठीक है क्या? जो हमारा कर्तव्य है, हमें उसे निभाना चाहिये। आओ, उसकी जामुनों को इकट्ठी करके टोकरी में भरते हैं। कहकर लड़का अपनी बहन के साथ मिलकर गिरी हुई जामुनें उठा उठा कर टोकरी में भरने लगा।किसान की बालिका भी उठकर खड़ी हो गई और रोने लगी। लड़के ने प्यार से पूछा - तुम्हें कहीं चोट तो नहीं आई बहन? माफ करना, मेरी बहन की गलती के कारण तुम्हारा नुकसान हुआ।बालिका ने रोते हुए कहा ‘अब मैं घर जाकर अपनी मां को क्या जवाब दूंगी? मेरी सारी जामुन तो गिरकर बेकार हो गई। इन्हें अब कौन खरीदेगा? ...इन्हें बेचकर हमें दो तीन दिन का खाना मिल सकता था।’ लड़के ने बालिका को ढांढस बंधाते हुए कहा ’ तुम रोओ मत। मेरे पास इस समय तीन सिक्के हैं। ये सब तुम रख लो।’
सिक्के उसकी ओर बढ़ाते हुए लड़के ने कहा - आओ, तुम मेरे साथ मेरे घर चलो, मैं तुम्हें और सिक्के दूंगा। इससे तुम्हारी भरपाई हो जाएगी। मेरा घर पास ही है। लड़के की बहन ने कहा - तीन सिक्के तो तुमने इसे दे दिये। अब घर चलने के लिए क्यों कह रहे हो? मां को पता चलेगा तो हम दोनों पर बरसेंगी। लड़के ने अपनी बहन से कहा - तुम ऐसा मत सोचो। हम पैसे देकर उस पर कोई उपकार तो नहीं कर रहे हैं, उसकी जामुनों का मूल्य ही तो दे रहे हैं। यह सब हमारी असावधानी के कारण हुआ है, इसलिये इसका हर्जाना भी हमें ही भरना चाहिये।
बहन निरुत्तर हो गई। लड़का किसान बालिका को लेकर घर आ गया और मां से बोला - मां, तुम मुझे प्रतिमाह तीन रूपये जेब खर्च के लिए देती हो, इस बार मुझे तीन रूपये एडवांस में दे दो। अगले महीने मैं जेब खर्च नहीं लूंगा। मां ने लड़के की बात मान ली और उसे तीन रुपये दे दिये। लड़के ने मां से पैसे लेकर किसान बालिका को दे दिये। बालिका खुशी खुशी अपने घर लौट गई।सच्चाई से अपने अपराध को स्वीकार करने और उसका दंड भोगने को तैयार रहने की प्रवृत्ति बहुत कम लोगों में होती है। ऐसे व्यक्ति न्यायप्रिय, दूसरों का दुख दर्द बांटने वाले, साहसी और ईमानदार होते हैं। ऐसे लोग ही शासक बनकर अपने कामों से दूसरों को प्रेरित करते हैं। बच्चों, जानते हो यह लड़का और लड़की कौन थे? वह लड़का बीर नैपोलियन था और लड़की उसकी बहन इलाइजा थी। वही नैपोलियन आज सारी दुनियां में अपने साहस, वीरता और दरियादिली के कारण जाना जाता है। (उर्वशी)