जब अंग्रेज़ी भारत की संवैधानिक भाषा नहीं फिर चंडीगढ़ में अधिकारिक भाषा कैसे? : चनारथल

चंडीगढ़, 22 जनवरी (अजायब सिंह औजला): पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ जिसे पंजाब के गांव उजाड़कर बसाया था, वहां से राजनीतिक व प्रशासनिक साज़िशों के तहत पहले पंजाबियों को उजाड़ा गया और अब मातृभाषा पंजाबी को उजाड़ा जा रहा है जो बर्दाश्त से बाहर है। यह टिप्पणी पंजाबी लेखक सभा चंडीगढ़ के महासचिव दीपक शर्मा चनारथल ने करते हुए कहा कि चंडीगढ़ का दुखांत कुछ ऐसा ही है। उन्होंने कहा कि देश व दुनिया भर में खूबसूरत शहर के नाम से पहचाने जाते चंडीगढ़ को बसाने के लिए पहले तो पंजाब के गांव उजाड़े गए फिर कौढ़ियाें के भाव इन ग्रामीण लोगों से प्रशासन ने ज़मीनें छीनी, घर छीनी और अब उनकी मातृभाषा छीनने की साज़िश रची जा रही है। दीपक चनारथल ने कहा कि चंडीगढ़ के निर्माण के लिए 28 से अधिक पंजाबी गांवों का भारत के नक्शे से नामो निशान ही मिटा दिया गया और अब चंडीगढ़ की सीमा में 23 गांव अभी मौजूद है, परंतु उनका जहां परम्परागत अस्तित्व खतरे में है, वहीं राजनीतिक हितों को सामने रखकर अफसरशाही को कोई परेशानी न आए, इस खातिर इस इलाके की भाषा पंजाबी को ही मार दिया गया। पंजाब के राज्यपाल व चंडीगढ़ के प्रशासक वी.पी. सिंह बदनौर को समय-समय पर चुने गए चंडीगढ़ के सांसदों सहित मौजूदा सांसद किरन खेर को समय-समय केन्द्र में बने भारतीय गृह मंत्रियों को दीपक चनारथल ने सवाल पूछा कि यदि अंग्रेज़ी भारत की संवैधानिक भाषा नहीं है तो फिर चंडीगढ़ की अधिकारिक भाषा कैसे बन गई? उन्हाेंने जानकारी साझा करते हुए बताया कि भारत में इस समय 28 राज्य हैं, इन सभी राज्यों की संवैधानिक तौर पर कार्यालय व कामकाज की भाषा वही है जो भाषा वहां के लोग बोलते हैं, जो भाषा उन लोगों की मातृभाषा है।  दीपक चनारथल जोकि चंडीगढ़ पंजाबी मंच के सचिव भी हैं, ने 23 जनवरी के धरने बारे बात करते हुए बताया कि चंडीगढ़ पंजाबी मंच अपने समूह संरक्षकों बाबा साधु सिंह सारंगपुर, जत्थेदार तारा सिंह, सुखदेव सिंह सिरसा व चेयरमैन सिरीराम अर्श की अगुवाई में अध्यक्ष सुखजीत सिंह सुखा, महासचिव देवी दयाल शर्मा, तरलोचन सिंह, बाबा गुरदयाल सिंह, गुरप्रीत सोमल व अन्य समूह सहयोगी साथियों के साथ सैक्टर 17 के प्लाज़ा में आज विशाल रोष धरना दिया जा रहा है। 
देश के 9 केन्द्र शासित प्रदेशोें में से 8 क्षेत्रीय भाषाओं को पहला स्थान पर चंडीगढ़ के साथ धोखा
भारत में इस समय 9 केन्द्र शासित प्रदेश हैं जिनमें से अंडेमान निकोबार की अधिकारिक भाषा हिन्दी है, दादर व नगर हवेली की कार्यालय भाषा गुजराती, मराठी व हिन्दी है। दमन व दिऊ की गुजराती, कोंणकी व हिन्दी है। इसी तरह दिल्ली की भाषा भी हिन्दी, पंजाबी व उर्दू है। लक्ष्दीप की मलयालम व पुड्डूचेरी की अधिकारिक भाषा तमिल है। जबकि नए-नए केन्द्र शासित प्रदेश बनाए, जम्मू-कश्मीर व लद्दाख की भी अपनी भाषाओं को दर्जा हासिल है, परंतु पूरे देश में चंडीगढ़ ही एक ऐसा केन्द्र शासित प्रदेश है, जहां स्थानीय भाषा पंजाबी को बाहर कर अंग्रेज़ी थोपी गई है।