हरियाणा के गोदामों में चावल का भंडारण कर रहे पंजाब के शैलर मालिक

जालन्धर, 23 जनवरी (शिव): पंजाब के कई ज़िलों में चावल रखने के लिए गोदामों में जगह न होने कारण कई जगह शैलर मालिकों को अब मजबूरी में नुक्सान में रह कर भी हरियाणा के गोदामों में चावल लगवाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। शैलर मालिकों को इस से वित्तीय नुक्सान होने लगा है क्योंकि दूर ज़िलों में या फिर दूसरे राज्यों के गोदामों में चावल लगवाने के लिए कोई ज्यादा किराए की अदायगी नहीं की जानी है। पंजाब के संगरूर ज़िले से कुछ शैलर मालिकों को हरियाणा के हनुमानगढ़ के गोदामों में तैयार चावल लगवाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। पंजाब की मंडियों से 163 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई थी। धान की चाहे इस बार बम्पर फसल शैलरों तक पहुंच गई थी परन्तु अब शैलर मालिकों के लिए धान की मिलिंग (छड़ाई) करने के काम में देरी होती जा रही है। अब तक धान की 65 प्रतिशत मिलिंग हो जानी चाहिए थी परन्तु कई जगह एफ.सी.आई. के पूरे गोदाम भरे होने के कारण आज तक 24 प्रतिशत के करीब ही धान की मीलिंग हो सकी है। हरियाणा में अनाज स्पैशल गाड़ियों द्वारा दूसरे राज्यों में तो तेज़ी से भेजा जा रहा बताया जाता है जबकि पंजाब में अनाज को दूसरे राज्यों में स्पैशल गाड़ियां भेजने की गति काफी धीमी है जिस कारण समय पर गोदामों मे जगह खाली नहीं हो रही है। सुलतानपुर से ही कई शैलर मालिक पट्टी के गोदामों में चावल रख रहे हैं। चावल रखने के काम में देरी होने कारण कई शैलरों में तो ओडिशा, बिहार, उत्तर प्रदेश से आए मज़दूर वापिस चले गए हैं। राईस मिल्लर वैलफेयर एसोसिएशन के प्रधान राकेश जैन ने जारी बयान में कहा कि इस समय कई जगह चावलों का भंडार करने की बड़ी समस्या आ रही है। चावल गोदामों में रखने के मामले में पंजाब के साथ भेदभाव हो रहा है। यदि इस समस्या को केन्द्र के पास न उठाया गया तो लम्बे समय से भंडार किए गए धान बदरंग व उसमें टोटे की मात्रा अधिक हो सकती है।