गोरा कब्रिस्तान में दफन है अमृतसर से संबंधित अंग्रेजी शासन का पूरा अध्याय

अमृतसर, 24 जनवरी (सुरिन्द्र कोछड़) : स्थानीय आबादी इस्लामाबाद के रेलवे फाटक के साथ लगते इंग्लिश समिट्री में अमृतसर से संबंधित अंग्रेजी शासन का पूरा अध्याय कब्रों में दफन है और कब्रों पर लिखी इस संबंधी इबारत उक्त अध्याय का शब्द-दर-शब्द बयान कर रही प्रतीत हो रही है। गोरा कब्रिस्तान नाम से प्रसिद्ध यह इंग्लिश समिट्री मौजूदा समय पुतलीघर चौक से थोड़ी दूरी पर इस्लामाबाद को जाती सड़क को जाती सड़क पर रिहायशी आबादी में मौजूद है। प्राप्त जानकारी के अनुसार यह इंग्लिश समिट्री अमृतसर में बसने वाले यूरोपीय नागरिकों के लिए सन् 1850 के आस-पास बनाई गई, जबकि भारतीय इसाइयों को यहां थोड़ी दूरी पर किला गोबिंदगढ़ को जाती सड़क पर रेलवे फाटक के पास दफनाया जाता था। जिसको देसी कब्रिस्तान कहा जाता था। मौजूदा समय शहरी आबादी में रहते इसाई परिवारों द्वारा अपने मृतकों को गोरा कब्रिस्तान में ही दफनाया जा रहा है। वर्णनीय है कि ब्रिटिश सेना के अफसरों को किला गोबिंदगढ़ में कब्रिस्तान में दफन किया जाता था। यह कब्रिस्तान अब भारतीय सेना के कब्ज़े में है और अब इसमें दफनाने पर पाबंदी लगा दी गई है। इसके अंदर मौजूद कब्रों पर लगाई पुरानी शिलाएं भी लुप्त हो चुकी हैं। इंग्लिश समिट्री बनाम गोरा कब्रिस्तान का कुल रकबा 25 कनाल 13 मरले है। 4 ब्लाकों में बांटे कब्रिस्तान के अंदर 40 पंक्तियों में 1000 से लेकर 1500 के करीब कब्रें मौजूद हैं। मुख्य दरवाज़े के बाईं ओर की कब्रें पुरानी हैं और इनमें 50 के लगभग ही पक्की कब्रें बची हैं। देश के विभाजन से पहले इस कब्रिस्तान में कुल 8 प्लाट थे, जिनमें 6 अंग्रेजों की पक्की कब्रों के साथ भरे हुए थे, जबकि दो अभी खाली हैं। सन् 1947 के दंगों समय भड़के स्थानीय हिन्दू सिख दंगाकारियों की भीड़ ने यह मुसलमानों का कब्रिस्तान जानबूझ कर कई कब्रों को तहस-नहस कर दिया। गोरा कब्रिस्तान में मौजूद कब्रों में एक ए.ए.ओ. स्कूल के हैडमास्टर जान नोज़ ग्राहम रोथवेल की है, जिनका देहांत 23 जून 1895 को हुआ था। इस तरह कुछ अन्य कब्रों में चार्लस जेमज़ रोडज़र्स (देहांत 19 नवम्बर 1898), कर्नल मेनसल बी. (22 मई 1903), सहायक सर्जन राइल आर्टीलरी जॉज़र् ए. ग्रांट (21 अक्तूबर 1864), एनी क्लार्क (19 फरवरी 1862), एलाइस कैथरिन (27 नवम्बर 1877), अलफरेड ए. ग्रांट (8 अगस्त 1877), चारलोटे जीओरगीना (21 सितम्बर 1891), अर्निस्ट मिकीलोप मिशैल (6 जनवरी 1879) और एलिन विक्टोरिया बटलर (23 अक्तूबर 1857) लिखा हुआ है। यहां 10 अप्रैल 1919 को अमृतसर के हिन्दू-मुस्लिम दंगाकारियों के हाथों मारे गए यूरोपियन अधिकारियों की कब्रों सहित कुछ कब्रें सन् 1850 के आस-पास की भी हैं। ब्रिटिश शासन समय की लगभग 50 कब्रों पर पत्थर की सिलां लगाई हुई हैं, जिनकी देखभाल के लिए डायोसिस ऑफ अमृतसर द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं।