गंभीर स्थिति में पहुंचा पंजाब सरकार का वित्तीय संकट

चंडीगढ़, 24 जनवरी (विक्रमजीत सिंह मान) : राज्य सरकार वित्तीय संकट में है यह बात किसी से छुपी नहीं हुई परंतु यह संकट अब इतनी गंभीर स्थिति में जा पहुंचा है कि सकार अब सरकारी कार्यालयों के लिए नया फर्नीचर खरीदने पर भी रोक लगा दी है। इसके अतिरिक्त सरकार ने आदेश जारी किया है कि स्टडी टूर, कार्यक्रम/सैमीनार के आयोजनों पर तो रोक रहेगी ही और इसके साथ ही कर्मचारियों के मोबाइल, लैंडलाइन इंटरनैट के लिए दिए जा रहे हैं भत्ते में कटौती कर दी है। सरकार द्वारा वित्तीय संकट से निकलने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं ताकि जहां भी कोई पैसा बचाया जा सके बचा लिया जाए। राज्य सरकार ने निर्देश दिया है कि जहां राज्य में की जाने वाली कांफ्रैंसों, सैमीनारों और वर्कशाप वहीं लगाई जाएं बहुत ज़रूरी हैं। वहीं विदेशों में प्रदर्शनियां लगाने पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई है। इसके साथ ही राज्य में पांच तारा और महंगे होटलों में बैठक, कांफ्रैंस, सैमीनार पर पूर्ण पाबंदी होगी। सरकार ने कामकाज के लिए वाहन किराए पर लेने पर रोक लगा दी है। कैंप कार्यालयों पर रोक लगाते हुए सरकार ने अधिकारियों को अपने कार्यालयों में ही बैठकर काम करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके साथ ही राज्य के ऐसे मंत्री या अधिकारी जिनके पास एक से अधिक विभाग हैं को आने-जाने के लिए अब केवल एक वाहन देने का फैसला लिया गया है। इसके अतिरिक्त राज्य के सभी सरकारी, अर्ध-सरकारी  संस्थानों, बोर्ड-निगमों, आयोगों और अन्य संस्थानों को निर्देश दिए गए हैं कि उनेक बैंक खातों में जमा राशि तुरंत सरकारी खजाने में जमा करा दी जाए। विभागों व कार्यालयों के प्रमुखों को बिजली-पानी के खर्च को भी सीमित रखने के लिए कहा गया है। ऐसे निर्देश के लिए सरकार के वित्त विभाग द्वारा विभिन्न नोटिस जारी किए गए हैं। एक नोटिस के तहत सभी विभागों को कहा गया है कि जो भी खर्च कर रहे हैं, उसकी रसीद ज़रूर दी जाए। सरकार द्वारा जारी प्रत्येक निर्देश का उल्लंघन करने पर संबंधित ज़िम्मेवार अधिकारी के खिलाफ पंजाब सिविल सर्विसिज़ (सज़ा पर अपील) 1970 की बड़ी सज़ाएं देने के लिए अनुशासनीय कार्रवाई की जाएगी।
सरकार द्वारा बचत करने के किए जा रहे सिर्फ दिखावे :  डा. चीमा
इस मामले में पूर्व मंत्री डा. दलजीत सिंह ने कहा कि  राज्य के वित्त मंत्री, जिन्होंने घोषणा की थी कि वह विदेशी दौरों के खिलाफ हैं और जिन्होंने पैसे बचाने के लिए अपने मेहमानों को चाय पिलानी बंद कर दी थी,  अब बार-बार दावोस में वार्षिक बैठक में भाग लेते हुए उन्हें कोई झिझक महसूस नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि मनप्रीत सिंह बादल पिछले वर्ष दावोस में भाग लेने का एक भी लाभ गिना नहीं पाए हैं परंतु इसके बावजूद उसको अपने परिवार और अधिकारियों की सेना के साथ दोबारा सैर-सपाटे पर जाने में कोई झिझक महसूस नहीं हुई है।