भारत की संस्कृति को दर्शाती है गणतंत्र दिवस परेड

26 जनवरी एक ऐसा दिन है जब प्रत्येक भारतीय के मन में देश भक्ति की लहर और मातृभूमि के प्रति अपार स्नेह भर जाता है। ऐसी अनेकों स्मृतियां हैं जो इस दिन से जुड़ी हुई हैं। 26 जनवरी, 1950 वह दिन था जब भारतीय गणतंत्र और इसका संविधान प्रभावी हुए। 
इस अवसर के महत्व को दर्शाने के लिए हर वर्ष गणतंत्र दिवस पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह आयोजन इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति पर पुष्प अर्पित करने के साथ आरंभ होता है, जो उन सभी सैनिकों की स्मृति में है जिन्होंने देश के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया। इसके बाद 21 तोपों की सलामी दी जाती है, राष्ट्रपति जी राष्ट्रीयध्वज फहराते हैं और राष्ट्रगान होता है। इस प्रकार परेड आरंभ होती है। इसके बाद राष्ट्रपति महोदय के सामने से खुली जीपों में वीर सैनिक गुजरते हैं जो भारतीय सशस्त्र बल के मुख्य कमांडर हैं, वह विशाल परेड की सलामी लेते हैं। भारतीय सेना द्वारा नवीनतम हथियारों और बलों का प्रदर्शन टैंकों, मिसाइलों, राडारों आदि से किया जाता है और फिर सशस्त्र सेना के हेलीकाप्टर दर्शकों पर गुलाब की पंखुड़ियों की बारिश करते हुए फ्लाई पास्ट करते हैं। इसके बाद रंगारंग सांस्कृतिक परेड होती है। विभिन्न राज्यों से आई झांकियों के रूप में भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाया जाता है। प्रत्येक राज्य अपने अनोखे त्यौहारों, ऐतिहासिक स्थलों और कला का प्रदर्शन करते हैं। ये झांकियां भारत की संस्कृति की विविधता और समृद्धि को एक त्यौहार का रंग देती हैं। इस दिन की महत्ता दिन-प्रति-दिन बढ़ती चली जा रही है क्योंकि पूरी दुनिया में भारत ऐसा इकलौता देश है जिसमें गणतंत्र दिवस पर इतनी तादाद में अलग-अलग संस्कृतियां उभर कर सामने आती हैं। दिलचस्प बात यह है कि उनकी वेशभूषा, लोक नृत्य, भाषाएं और परम्पराएं विभिन्न होने के बावजूद सारा देश एक ही रंग में रंगा नजर आता है। ऐसा रंग जब माहौल में बिखरता है तो हर जन अपने देश के प्रति अथाह प्यार एवं श्रद्धा से नमन करता है। इस नज़ारे से देश यूं प्रतीत होता है मानों भांति-भांति के फूल एक ही भारत रूपी गुलदस्ते में सजकर उसे सुशोभित कर रहे हों। इतना ही नहीं, विभिन्न सरकारी विभागों की झांकियां भी राष्ट्र की प्रगति में अपने योगदान को प्रस्तुत करती हैं। इस परेड का सबसे खुशनुमा हिस्सा तब आता है जब बच्चे, जिन्हें ‘राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार’ दिया जाता है, हाथियों पर बैठकर परेड में आते हैं तो हर कोई गौरव महसूस करता है। साथ ही पूरे देश के बच्चे परेड में अलग-अलग लोक नृत्य और देश भक्ति की धुनों पर गीत प्रस्तुत करते हैं।बीटिंग द रिट्रीट गणतंत्र दिवस आयोजकों का आधिकारिक रूप से समापन घोषित करता है। सभी महत्त्वपूर्ण सरकारी विभागों को 26 जनवरी से 29 जनवरी के बीच रोशनी से सुंदरतापूर्वक सजाया जाता है। हर वर्ष 29 जनवरी की शाम को अर्थात् गणतंत्र दिवस के बाद यानि तीसरे दिन बीटिंग द रिट्रीट का आयोजन किया जाता है। इसमें ठीक शाम 6 बजे बगलर्स रिट्रीट की धुन बजाते हैं और राष्ट्रगान गाया जाता है और इस प्रकार गणतंत्र दिवस के आयोजन का औपचारिक समापन होता है। कुल मिलाकर इस दिन होने वाले कार्यक्रम हमारी शक्ति के प्रदर्शन के साथ-साथ हमारी एकता, भाईचारे और प्यार को बखूबी प्रकट करते हैं तथा पूरे विश्व में हमारी एकांकी स्थापना को मज़बूत शब्दों में बयान करते हैं। 
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