सानिया मिज़रा की धमाकेदार वापसी

दो वर्ष के ब्रेक के बाद भारत की सबसे सफल महिला टेनिस स्टार सानिया मिर्जा ने कोर्ट पर शानदार वापसी की है। अपनी दूसरी पारी की शुरुआत परीकथाओं की तरह करते हुए सानिया मिर्जा ने अपनी यूक्रेनियन पार्टनर नदीया किचेनोक के साथ मिलकर डब्लूटीए होबार्ट इंटरनेशनल ट्राफी पर कब्जा किया। होबार्ट में 18 जनवरी को खेले गये महिला युगल फाइनल में भारत-यूक्रेन की इस जोड़ी ने दूसरी वरीयता प्राप्त चीन की शुई पेंग व शुई जहांग की जोड़ी को एक घंटा 21 मिनट में 6-4, 6-4 से पराजित किया और 13,580 अमरीकी डॉलर की प्राइज मनी अपने नाम करते हुए दोनों ने अपने-अपने लिए 280 रैंकिंग पॉइंट्स भी अर्जित किये।यह सानिया मिर्जा का 42वां डब्लूटीए युगल खिताब है। इसके अतिरिक्त उनके पास छह ग्रैंड स्लैम भी हैं। 33-वर्षीय सानिया मिर्जा ने इस प्रतियोगिता से पहले अक्टूबर 2017 में अपना आखिरी मैच चाइना ओपन में खेला था। खेल से अलग होने पर वह अपनी चोटों का उपचार कर रही थीं, फिर अप्रैल 2018 में उन्होंने औपचारिक ब्रेक लिया ताकि अपने पुत्र इजहान को जन्म दे सकें। गौरतलब है कि उनकी पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक से शादी हुई है। बहुत कम महिला एथलीट हैं जिन्होंने मां बनने के बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने पुराने सफल प्रदर्शन को दोहराया हो। भारत में मैरी कोम (मुक्केबाज) के बाद सानिया मिर्जा ऐसा दूसरा बड़ा नाम हैं। शायद इसलिए ही उन्होंने अपनी इस जीत को अपने बेटे को समर्पित किया। सानिया मिर्जा ने कहा,‘मैं अपनी इस जीत को अपने बेटे इजहान को डेडीकेट करती हूं। लम्बे ब्रेक के बाद कड़ी मेहनत करते हुए इस स्तर तक वापस आना यह वाकई विशेष है। इस स्तर पर मुकाबला करना आसान नहीं होता है और फिर अपने कमबैक पर पहले ही प्रयास में खिताब जीत लेना यह सब परीकथा जैसा है।’सानिया मिर्जा को यह एहसास होना स्वाभाविक है। वह इससे बेहतर कमबैक की कल्पना नहीं कर सकती थीं। इसलिए यह जीत उनके लिए बहुत विशेष हो जाती है। वह बताती हैं, ‘दबाव नहीं था, उम्मीद भी नहीं थी। बस वहां जाओ और उस गेम का मजा लो जो तुम्हें सबसे प्यारा है। जिस तरह से इस प्रतियोगिता में चीजें हुईं उनसे मैं बहुत खुश हूं और खासकर इसलिए भी कि किचेनोक के साथ जीत की शुरुआत हुई।’ यह भी सही है कि इस प्रतियोगिता के अपने पहले मैच में सानिया मिर्जा नर्वस अवश्य थीं। कमबैक के पहले मैच में दबाव तो होता ही है। वह कहती हैं, ‘एक नये प्रकार का एहसास था, जैसे पैरों का मूवमेंट, भावनाएं आदि सब कुछ।’ इस जीत के बाद वह ऑस्ट्रेलियन ओपन व अन्य बड़ी प्रतियोगिताओं के बारे में सकारात्मक अंदाज में सोच सकती हैं। इस साल टोक्यो में ओलंपिक्स भी होंगे, जिनमें सानिया मिर्जा रोहन बोपन्ना के साथ मिश्रित युगल में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। इसलिए अनुमान है कि यह भारतीय जोड़ी ओलंपिक्स से पहले कुछ बड़ी प्रतियोगिताओं में साथ उतरेगी ताकि अच्छा तालमेल बैठ सके। रोहन इस बात की पुष्टि कर चुके हैं। लेकिन सानिया मिर्जा का अभी आधिकारिक बयान नहीं आया है। 15 नवम्बर 1986 को मुंबई में जन्मी सानिया मिर्जा बचपन में ही अपने पेरेंट्स के साथ हैदराबाद रहने के लिए चली गई थीं। जहां उनके पिता इमरान मिर्जा ने उनकी कोचिंग शुरू की। विंबलडन का जूनियर डबल्स खिताब जीतकर उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपने आने की दस्तक दी। सीनियर्स में उन्होंने एकल खिलाड़ी के रूप में अपनी पहचान बनायी। कई प्रतियोगिताएं भी जीतीं और कुछ बड़े नामों को पराजित भी किया। लेकिन निरंतर चोटों से जूझने के कारण उन्होंने डबल्स पर एकाग्रता बनाने का निश्चय किया। इसमें उन्हें मार्टिना हिंगिस के साथ विशेषरूप से जबरदस्त सफलता हासिल हुई और वह विश्व की नंबर एक खिलाड़ी भी बनीं। अर्जुन अवार्ड (2004) व पदम् श्री (2006) से सम्मानित सानिया मिर्जा बुनियादी तौरपर शक्तिशाली ग्राउंड स्ट्रोक्स के साथ आक्रामक बेसलाइन खिलाड़ी हैं। उनकी ताकत उनका फोरहैंड है और वोली करने की भी उनमें गजब की क्षमता है। उनके पॉवर गेम की तुलना अक्सर रोमानिया के लीजेंड इली नस्तासे से की जाती है। सानिया मिर्जा सर्व भी जबरदस्त रिटर्न करती हैं। उन्होंने सर्व पर बहुत विनर हासिल किये हैं। उनका कहना है, ‘इसमें कोई शक नहीं है कि मेरा फोरहैंड व बैकहैंड किसी का भी मुकाबला कर सकता है, असल बात होती है कि उसे मारा कहां जाये। गेंद को मैं बहुत तेज हिट करती हूं।’ वास्तव में सानिया की सबसे बड़ी कमजोरी कोर्ट पर मूवमेंट है। वह कोर्ट में अप व अराउंड मूव करने में अक्सर संघर्ष करती हैं। लेकिन इसके बावजूद वह भारत की आज तक की सबसे सफल महिला टेनिस खिलाड़ी हैं।

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