किसी के बारे में धारणा बनाने से पहले सच्चाई जानें

एक बार ट्रेन से पिता-पुत्र यात्रा कर रहे थे, पुत्र की उम्र करीब 24 साल की थी, पुत्र ने खिड़की के पास बैठने की ज़िद्द की, क्योंकि पिता खिड़की की सीट पर बैठे थे। पिता ने खुशी- खुशी खिड़की की सीट पुत्र को दे दी, और खुद बगल में बैठ गये। ट्रेन में आस-पास और भी यात्री बैठे थे, ट्रेन चली तो पुत्र बड़ी उत्सुकता से चिल्लाने लगा ‘देखो पिता जी नदी, पुल, पेड़ पीछे जा रहे हैं, बादल भी पीछे छूट रहे हैं। पिता भी उसकी हां में हां मिला रहे थे। उसकी ऐसी हरकतों को देखकर वहां बैठे यात्रियों को लगा कि शायद इस लड़के को कोई दिमागी समस्या है, जिसके कारण यह ऐसी हरकत कर रहा है। पुत्र बहुत देर तक ऐसी अजीबो-गरीब हरकत करता रहा। तभी पास बैठे एक यात्री ने पिता से पूछा कि आप अपने पुत्र को किसी अच्छे डॉक्टर को क्यों नहीं दिखाते? क्योंकि उसकी हरकत सामान्य नहीं है, हो सकता है कि कोई दिमागी बीमारी हो। उस यात्री की बात सुनकर पिता ने कहा, हम अभी डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं। पिता की बात सुनकर यात्री को आश्चर्य हुआ। पिता ने बताया कि मेरा पुत्र जन्म से ही अंधा था। कुछ दिन पहले ही इसको आंखों की रौशनी प्राप्त हुई है, इसे किसी दूसरे की आंखें लगाई गई हैं, और जीवन में पहली बार यह दुनिया को देख रहा है। यह इसलिए ऐसी हरकत कर रहा है, क्योंकि ये सारी चीजें इसके लिए एकदम नई हैं। ठीक वैसे ही जैसे किसी छोटे बच्चे के लिए होती हैं। पिता की बात सुनकर आस-पास बैठे लोगों को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने उनसे माफी भी मांगी। सीख -जिंदगी में कई बार हम बिना सच्चाई जानें ही कुछ लोगों के प्रति अपनी एक राय बना लेते हैं। क्योंकि हम उसके बारे में वही सोचते हैं, जो हमें दिखाई देता है। इसलिए किसी के बारे में राय बनाने से पहले हमें उसकी सच्चाई जान लेनी चाहिए। जिससे बाद में सच्चाई का पता लगने पर शर्मिन्दा ना होना पड़े।

-अमरजीत सिंह