" आज कैंसर दिवस पर विशेष " ज़िंदगी को श्मशान बना रहा कैंसर

लुधियाना, 3 फरवरी  ( सुखदेव सलेमपुरी ): कैंसर एक ऐसी ना-मुराद बीमारी है अगर समय पर इस बीमारी का इलाज करवा लिया जाए तो आम की तरह ज़िंदगी व्यतीत की जा सकती है पर अफसोस की बात है कि ठीक समय पर इसके लक्षणों की पहचान न होने के कारण मरीज़ को यह अपने आगोश में लेकर निगल जाता है। कैंसर रोगों के माहिर डाक्टरों का कहना है कि यदि कैंसर का पहली और दूसरी स्टेज से पता लग जाए तो इसका इलाज पूरी तरह संभव है जबकि तीसरी और चौथी स्टेज पर इलाज करवाने पर मरीज के पूरी तरह ठीक होने की संभावना कम हो जाती है। इकट्ठे किए आंकड़ों मुताबिक संसार में सबसे अधिक महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर पाया जाता है जबकि भारतीय महिलाओं में अधिकतर कारण बच्चेदानी (ओवरी) या बच्चेदानी के मुंह का कैंसर पाया जाता है। शहरी महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर जबकि गांवों की महिलाओं में बच्चेदानी का कैंसर सबसे अधिक पाया जाता है। संसार में जब ऐसी होने वाली मौतों का आंकड़ा देखते हैं तो यह बात सामने आती है कि संसार में 6 मौतों के पीछे 1 मौत का कारण कैंसर होता है और होने वाली मौतों में 70 फीसदी मौतें गरीब और कम आमदन वाले देशों में होती हैं। संसार में आम तौर पर छाती, गला, पेट, पेशाब थैली, फेफड़ों, थाइराइड, जिगर, गुर्दे का कैंसर पाया जाता है। जबकि आज पुरुषों में पाए जाने वाले सभी कैंसर के आंकड़े देखते हैं तो पुरुषों में 1.8 फीसदी और महिलाओं में 1.4 फीसदी किसी न किसी प्रकार का कैंसर पाया जाता है। यही बस नहीं 0 वर्ष से लेकर 19 वर्ष तक के बच्चों में 1.4 फीसदी कैंसर बढ़ता जा रहा है। हर वर्ष कैंसर पीड़ितों की संख्या में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है और विशेषज्ञों द्वारा संभावना जताई जा रही है कि वर्ष 2030  तक 23.6 के मिलीयन नये कैंसर पीड़ित सामने आने की संभावना है और इसी वर्ष 2016 के आंकड़ों के ऊपर नज़र डालें तो उस समय नये कैंसर पीड़ित 15.5 मिलीयन सामने आए थे जबकि इस वर्ष 20.3 मिलीयन हो जाने की संभावना है। संसार में 1 लाख पुरुषों और 196.8 जबकि महिलाओं में 1 लाख के पीछे 139.6 महिलाएं कैंसर की चपेट में आती है। कैंसर रोगों के विशेषज्ञ डा. दविंदर सिंह संधू लुधियाना का कहना है कि संसार में हर वर्ष 1.8 करोड़ नये मरीज़ सामने आते हैं जिनमें 10 लाख की मौत हो जाती है जबकि भारत में हर वर्ष 12 लाख नये मरीज सामने आते हैं, जिनमें 8 लाख की मौत हो जाती है। संसार में 1 लाख के पीछे 440 लोगों में कैंसर पाया जाता है जिसमें 1 लाख के पीछे 164 मरीज मौत के मुंह में चले जाते हैं जबकि भारत में 1 लाख के पीछे 106 नये मरीज सामने आते हैं और उनमें 60 फीसदी मौत के मुंह में चले जाते हैं। डा. संधू मुताबिक कैंसर से जितनी भी मौतें होती हैं उनमें 22 फीसदी मौतों का कारण तम्बाकू बनता है। अलग-अलग शहरों का कहना है कि कैंसर जहां पिता वंशीय की संभावना होती है वहां मोटापा, कसरत की कमी, शराब, चिंता, प्रदूषण और उचित खुराक न होना भी इसके बड़े कारण है जबकि तम्बाकू और शराब से दूर रहकर, हरी सब्जियों का अधिक से अधिक सेवन कर, कसरत कर, प्रदूषण कम कर और चिंतामुक्त होकर कैंसर सहित अन्य अलग-अलग सभी बीमारियों से बचा जा सकता है।
लक्षण व बचाव
कैंसर रोगों के विशेषज्ञ डाक्टरों के मुताबिक जब किसी व्यक्ति को अपने शरीर के किसी हिस्से में गुदरती गिल्टियां महसूस हों, बुखार हो और भार कम होना शुरू हो जाए, शरीर में कमजोरी महसूस हो तो इस बात को बिना टालमटोल कर डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए क्योंकि कई बार शरीर में पैदा हुई गिल्टियां कैंसर भी हो सकती हैं। कैंसर से बचने के लिए हर व्यक्ति को समय-समय पर अपने खून के टैस्ट और शारीरिक जांच की आदत डालनी चाहिए ताकि वह ठीक समय पर बीमारी का पता लग जाने पर ईलाज करवाया जा सके।