"डिजीटल इंडिया में डिजीटल ठगी"बैंकों में पड़ी करोड़ों की राशि पर मंडराए ठगी के बादल

गढ़शंकर, 6 फरवरी ( धालीवाल ) : डिजीटल बन रहे इंडिया पर डिजीटल ठगियां भारी पड़ रही नज़र आ रही हैं जिस कारण लोगों की बैंकों में पड़ी लाखों-करोड़ों रुपए की राशि पर ठगी के बादल मंडराने लगे हैं। देश में जहां पेपर वर्क घटाकर लोगों को बैंकिंग व अन्य व्यापरिक संस्थानों का लेन-देन करने के लिए आनलाइन सुविधा अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है वहीं बैंकिंग क्षेत्र के साथ-साथ व्यापारिक संस्थानों द्वारा लोगों को अपने साथ जोड़ने के लिए सब्ज़बाग दिखाए जा रहे हैं। ऐसे हालातों में कम पढ़े लिखे लोग भी आनलाइन सुविधा को अपनाने के लिए हाथ पैर मारने लगे हैं। बेशक लोग बैंकों में जमा राशि को सुरक्षित मानते रहे हैं, परंतु आनलाइन ठगी जैसी घटनाएं सामने आ रही हें, वह लोगों को बैंकों में मोटी राशि जमा रखने के लिए सोचने के लिए मजबूर कर रही हैं।
पढ़े-लिखे लोग भी हो रहे हैं शिकार
देश के बड़े-बड़े काल सैंटरों में काम करने वाले शातिर दिमाग लोगों द्वारा फोन काल के ज़रिये लोगाें को एटीएम कार्ड, आधार कार्ड बारे विवरण एकत्रित कर ठगने का सिलसिला शुरू किया गया है। ऐसी घटनाओं का पढ़े-लिखे लोग भी शिकार हो चुके हैं। अपने साथ हुई लूट की घटना बारे भी खुलकर बताने के लिए तैयार नहीं। पंजाब के कर्मचारी वर्ग जिनके वेतनों के खाते अधिकतर स्टेट बैंक आफ इंडिया (एसबीआई) में हैं, को फोन कर यह बताया जाता है कि हम बैंक के मुख्य कार्यालय से बोल रहे हैं और आपका एटीएम कार्ड बंद हो गया है। इसी तरह नया एटीएम कार्ड जारी करने सहित कई प्रकार की बातों में उलझाकर खाता बारे जानकारी हासिल करने के प्रयास किए जाते हैं। केन्द्र तक पहुंच रखने वाले प्रदेश के एक भाजपा नेता के साथ पिछले समय दौरान ही 40 लाख से अधिक की ठगी हुई, परंतु वह केन्द्र में पहुंच होने के कारण भी पुलिस ठगी मारने वाले फोन कालर को काबू नहीं कर सकी क्योंकि डिजीटल ठग पुलिस से भी दो कदम आगे चल रहे हैं।
खातों में बैलेंस बनाने के लिए भी हो रही है हेराफेरी
विगत वर्षों में स्टूडैंट वीज़ा अप्लाई करने के लिए बैंक खातों में लाखों रुपए का बैलेंस होने की मांग को पूरा करने के लिए चले धंधे में कई बैंकों के अधिकारी भी शामिल हो गए। नोटबंदी के दौरान भी कईयाें का लालच बढ़ गया। कम उपयोग वाले, लाखाें रुपए बैलेंस वाले बैंक खातों में आंतरिक मिलीभगत कारण लाखों रुपए दूसरे खातों में ट्रांसफर करने का सिलसिला चलता रहा है, जो अभी भी बरकरार है।
ठगी के लिए उपयोग किए जा रहे हैं फज़री खाते 
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि आनलाइन ठगी के मामले में शातिर दिमाग व्यक्तियों द्वारा लूट को अंजाम देने के मकसद से ही फज़र्ी आधार कार्ड व अन्य झूठे दस्तावेज़ों से फज़री खाते खुलवाए हुए हैं जिनके साथ ऐसे ठगों तक पहुंचना बेहद मुश्किल है। उन्होंने यह भी बताया कि नई दिल्ली, मुम्बई व देश के अन्य बड़े शहरों में चल रहे काल सैंटरों में लाखों कर्मचारी काम करते हैं। इनमें ही शामिल लोग काल सैंटरों की आड़ में आनलाइन ठगी को अंजाम दे रहे हैं जिन तक पहुंचना दूर की बात है।
बैंकों में बैठे बीमा कम्पनियों के कर्मचारी भरमा रहे लोगोें को
बीमा कम्पनियों द्वारा अपना कारोबार बढ़ाने के लिए बैंकों के साथ भी सांझ बढ़ाई गई है। कई बैंकों में बैठे बीमा कम्पनियों के कर्मचारी बैंक कर्मचारी की मदद करते हुए कथित मिलीभगत से अपनी बीमा कम्पनियों के कारोबारको बढ़ाने के लिए बैंकों में बैठकर लोगों के भरमाने का सफल प्रयास कर रहे हैं। बैंक में जब लोगों को एफडीआर रीन्यू करवाते समय बैंक तक पहुंच की जाती है तो बीमा कम्पनियों के कर्मचारी गोल-मटोल बातों से भरमाकर लोगों का पैसे एफडीआर (बैंक) से बीमा की पालिसीयों में तबदील कर रहे हैं।
बैंक खातों से उड़ रहे लाखाें 
जिन लोगों विशेषकर प्रवासी भारतीयों के बैंक खातों में लाखों रुपए जमा पड़े हैं और वह बैंकों में लेन-देन साल-6 माह बाद ही करते हैं, ऐसे खातों में से मोटी राशि गुपचुप तरीके से ट्रांसफर करने की एक नहीं अनेकों घटनाएं सामने आ चुकी हैं। गढ़शंकर के गांव मोरांवाली के यूके निवासी बुजुर्ग बलवंत सिंह सोहल के पंजाब नैशनल बैंक में चलते खाते में से दिसम्बर 2019 दौरान 66 लाख की राशि दो बार  किसी अन्य खाते में ट्रांसफर कर ली गई और लूट का शिकार हुआ बुजुर्ग इंसाफ के लिए भटक रहा है। इस तरह की गई घटनाएं पहले भी सामने आ चुकी हैं। ऐसी घटनाओं के पीछे बैंक कर्मचारियों की कथित शमूलियत के साथ-साथ किसी अन्य गिरोह के भी शामिल होने की चर्चा सामने आई है।