औद्योगिक मंदी से सरकार के पास फंसने लगे विभागों के पैसे

जालन्धर, 9 फरवरी (शिव शर्मा): राज्य में औद्योगिक मंदी का असर अब राज्य में चलाई जाने वाली स्कीमों पर असर पड़ना शुरू हो गया है जिस कारण सबसे ज्यादा असर कृषि सैक्टर के लिए अहम माने जाते पावरकाम का 6200 करोड़ रुपए सबसिडी की फंसी राशि को माना जा रहा है। वर्ष 2020 के मार्च तक यह सबसिडी की राशि पहुंच कर 7200 करोड़ की हो जाएगी। किसी भी राज्य के लिए उद्योग क्षेत्र काफी अहम होता है, क्योंकि उद्योग क्षेत्र से आते राजस्व से ही न सिर्फ स्कीमें चलाई जाती हैं, बल्कि उद्योग क्षेत्र बड़ी संख्या में लोगों को रोज़गार प्रदान करता है। राज्य सरकार के लिए तो संकट गत महीने ही उस समय सामने आ गया था जब केन्द्र द्वारा जी.एस.टी. वसूली का बनता हिस्सा न मिलने के कारण कर्मचारियों का वेतन फंस गया था, बल्कि पावर काम को सबसिडी की मिलने वाली राशि भी फंस गई थी। बाद में 200 करोड़ रुपए पावर काम के लिए जारी किया गया था। केन्द्र ने चाहे पंजाब के जी.एस.टी. का हिस्सा जारी करने में देरी लगाई थी, परन्तु पंजाब में अपनी भी जी.एस.टी. में संतोषजनक वृद्धि नहीं हुई है। पावरकाम द्वारा वर्ष 2020-21 के लिए बिजली महंगी करने के लिए पंजाब बिजली अथारिटी कमिशन के पास डाली गई, याचिका में तो स्वयं ही ज़िक्र किया गया था कि राज्य में उद्योग क्षेत्र में बिजली की खपत 10 फीसदी के लगभग घट गई है। उद्योग क्षेत्र में जी.एस.टी. वसूली घटने के कारण ही पंजाब सरकार द्वारा चलाई जाती स्कीमों पर इसका असर पड़ना शुरू हो गया है। एक ओर तो बिजली की सबसिडी की राशि की समय पर अदायगी नहीं की जा रही है, बल्कि दूसरी ओर अब 2 रुपए किलो में दी जाने वाली गेहूं जारी करने में देरी हो रही है। सरकार ने तो चुनाव घोषणा पत्र में स्मार्ट फोन, घी, चीनी और अन्य सामान देने का वायदा किया था, परन्तु अब फंड संकट करके राज्य सरकार के लिए स्कीमें चलाई कठिन लग रही हैं। जी.एस.टी. की राशि का समय पर हिस्सा मिलने से पैदा होने वाला संकट तो पिछले महीने सामने आ चुका है, परन्तु अब उद्योग क्षेत्र के विकास द्वारा अब भी ध्यान न दिया गया तो उद्योग क्षेत्र में और गिरावट आने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता। जिस तरह से पड़ोसी राज्यों द्वारा पंजाब की उद्योगिक इकाइयों को सस्ती बिजली व अन्य सुविधाएं देकर बुलाया जा रहा है जबकि इन सुविधाओं की पंजाब में ज़रूरत है। पंजाब के उद्योग क्षेत्र को महंगी बिजली देकर भी उन पर भार डाला जा रहा है जबकि राज्य में अतिरिक्त बिजली होने के बावजूद उद्योग इकाइयों को रात या पीक लोड समय सस्ती बिजली देने की छूट दी गई थी तो उस समय महंगा सरचार्ज लागू कर दिया गया था, जिस कारण उद्योग क्षेत्र को इसका नुक्सान हुआ था। सरकारों के लिए अब यह भी गंभीरता से सोचना बनता है कि किसी तरह से पंजाब की उद्योग इकाइयों को उत्साहित करना चाहिए, क्योंकि यदि उद्योग इकाइयों में काम घटता है तो सरकार के राजस्व पर इसका सीधा असर पड़ेगा। समय पर कोई प्रबंध न होने के कारण वार्षिक करोड़ों रुपए का राजस्व देने वाली चमड़ा फैक्ट्रियां बंद पड़ी हैं। मांगें न माने जाने के कारण खेल कारोबार का निर्यात भी लगातार घट रहा है। कुछ दिनों बाद पंजाब का बजट पेश किया जाना है व इसमें उद्योग इकाइयों को सुविधाएं नहीं मिली तो पावरकाम सहित और विभागों के लिए स्कीमें चलानी कठिन हो सकती हैं।