‘हैलो..हैलो... बठिंडा जेल से बोल रहा हूं’ कड़ी सुरक्षा के बावजूद जेल बनी मोबाइल फोन का ‘केन्द्र’

बठिंडा छावनी, 12 फरवरी (परविंदर सिंह जौड़ा) : केन्द्रीय माडर्न जेल बठिंडा में बंद कैदी व हवालाती रोज़ाना ही जेल  से मोबाइल फोनों के ज़रिये ‘हैलो-हैलो’ करते हैं। गोबिंदपुरा में स्थित इस जेल में दर्जन के करीब खतरनाक गैंगस्टर भी बंद हैं जो जेल के कथित तौर पर ढीले सुरक्षा प्रबंधों का लाभ लेकर जेल के अंदर से मोबाइल फोनाें के ज़रिये बाहर धनाढ्य लोगों को फिरौतियाें के लिए धमकियां तक दे चुके हैं। वैसे तो इस जेल की सुरक्षा छत्तरी काफी कड़ी है और यहां पंजाब पुलिस के अलावा केन्द्रीय सुरक्षा बल (सीआरपीएफ) भी तैनात है। इसके बावजूद यह जेल मोबाइल फोनाें का केन्द्र बनी हुई है। जेल मैनुअल एक्ट के तहत जेल के अंदर मोबाइल फोन ले जाने व उपयोग करना   सज़ायाफ्ता अपराध है। यदि पिछले अढ़ाई महीनों की कारगुजारी पर नज़र डालें तो इस दौरान बठिंडा जेल के अंदर से 36 के करीब मोबाइल फोन बरामद हो चुके हैं। नशों व अन्य संचार सामग्री की बरामदगी इससे अलग है। समूची घटना से जाहिर है कि इन पाबंदीशुदा वस्तुआें का जेल में पहुंचना जेल के सुरक्षा कर्मियों की कथित मिलीभुगत के बिना सम्भव नहीं है। इस जेल से दिसम्बर 2019 दौरान कुल 16 मोबाइल फोन बरामद हुए थे। इसके अलावा 16 ज़रदे की पुड़ियां बरामद हुई हैं, जोकि किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा जेल की बाहरी दीवार के ज़रिये जेल के अंदर फेंकी थीं।  दिसम्बर माह दौरान ही जेल के अंदर से कैदियों से 2000 बुपरीनॉरफिन की गोलियां भी बरामद हुई थीं, जो इन कैदियों ने जेल की ही डिस्पैंसरी से चुराई थीं। यह गोलियां नशो के आदी कैदियों/ हवालातियों को नशा छुड़ाने के लिए दी जाती हैं, जिन्हें यह बंदी उलटा नशे के तौर पर ही उपयोग करने लगते हैं। 2020 के जनवरी माह में भी इस जेल से 14 मोबाइल फोन, बैटरी, पावर बैक, सिम कार्ड, सुल्फा, अफीम व खाली सिगरेटें आदि भी बरामद हो चुकी हैं। यदि फरवरी माह की बात करें तो इसके पहले 11 दिनों दौरान ही इस जेल से 6 मोबाइल फोन व तीन चार्जर बरामद हो चुके हैं। इससे पहले भी इस जेल से समय-समय पर मोबाइल फोन, नशे व अन्य पाबंदीशुदा वस्तुएं बरामद होती रहती हैं। बता दें कि वर्ष भर पहले ही 2019 के फरवरी माह के पहले सप्ताह दौरान मुखबरी के आधार पर थाना छावनी की पुलिस ने जेल में बंद तीन खतरनाक गैंगस्टरों के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जिसमें खुलासा हुआ था कि जेल में बंद इन गैंगस्टरों द्वारा मोबाइल फोनों के ज़रिये जेलों के बाहर धनाढ्य लोगों से न केवल फिरौतियों ही मांगी जाती थीं, बल्कि फिरौतियां न देने की सूरत में जेलों से बाहर आकर ‘देख लेने’ की धमकियां भी दी जाती थीं। जेल के अंदर मोबाइल फोनों के ज़रिये सोशल नैटवर्किंग के उपयोग व इंटरनैट कालिंग के ज़रिये कैदियों व बाहर बैठे गैंगस्टरों के बीच तालमेल होने का खुलासा भी हो चुका है। जेल में बंद कैदी को मोबाइल फोन पहुंचाने के आरोप में बठिंडा पुलिस द्वारा एक थानेदार व एक हवलदार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी अमल में लाई जा चुकी है। सूत्रों की मानें तो जेल के अंदर नशों आदि की जो सप्लाई की जाती है, उसका बहुत ऊंचा दाम वसूला जाता है। मामले संबंधी जेल सुपरिटैंडैंट मनजीत सिंह सिद्धू के साथ बात करनी चाही लेकिन उनसे फोन पर सम्पर्क नहीं हो सका।