आओ, फूलों से दोस्ती करें

बसंत ऋतु अपने यौवन पर है। चारों तरफ विभिन्न प्रकार के फूल महक रहे हैं और खुशियां बांट रहे हैं। पार्क में पूरी रौनक है। मैं भी सायं के समय सैर करने के लिए जाता हूं। ठण्डी-ठण्डी हवा चल रही होती है। कहीं कोई सैर कर रहा होता है तो कहीं कोई कसरत। बच्चे खेल रहे होते हैं, बुजुर्ग लोग बैंच पर बैठे होते हैं और ताज़ी हवा का आनंद ले रहे होते हैं। हमारे मोहल्ले में इस तरह के कई पार्क हैं। है, भी खुले-खुले और फूलों से सजे हुए जोकि महकते और खिलखिलाते रहते हैं और विभिन्न प्रकार की सुगंध को बिखेर रहे हैं, लेकिन जिस पार्क में मैं सैर करता हूं, हमारे घर के बिल्कुल नज़दीक ही है। रंगीले पक्षी वहां पर अठखेलियां करते रहते हैं। कुछ नहा रहे होते हैं, तो कुछ मीठे-मीठे गीत अलाप रहे होते हैं। मौसम बहुत खुश-मिज़ाज होता है। फूलों ने अपनी महफिल लगाई होती है। कुछ भरी जवानी में होते हैं, तो कुछ खिलने के लिए तैयार होते हैं। कुछ हवा में लहरा रहे होते हैं, तो कुछ अपनी मीठी-मीठी ताज़ा महक के साथ सब को अंदर ही अंदर से तरोताज़ा करने के लिए तैयार होते हैं। सब लोगों का दिल खुश हो जाता है। अभी मैंनें दो-तीन चक्कर ही लगाये हैं ‘लाल गहरे’ गुलाब के फूलों ने मुझे हैरान कर दिया। मैं रुक जाता हूं, और इर्द-गिर्द देखता हूं। जैसे-तैसे करके मैं फूलों की ओर बढ़ता हूं वह अपनी भारी मुस्कान में कहते हैं, ‘दोस्त हम कुछ दिनों से देख रहे हैं कि तुम उदास-उदास रहते हो क्या बात है?’ मैंने जल्द से कहा, ‘ऐसी कोई बात नहीं’। ‘जैसी भी बात है’ हमें बताओ न दोस्त, सुना है कि दु:ख बांटने से कम होता है। खुशियां बांटने से बढ़ती हैं। हमें यह तो बताओ कि आपको क्या दुख है? क्यों इतने उदास-उदास रहते हो। हमारे लाल-गहरे रंग को देख कर किसी का भी दिल गदगद हो उठता है। यहां तक कि बीमार भी ठीक हो जाता है, लेकिन एक तुम ही जो गम के सागर में डुबकी लगा रहे हो। कोई न कोई बात ज़रूर है, जो तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ती, परेशान करने लगती है। फूलों ने अपनी बात जारी करते हुए कहा ‘दोस्त, एक बात सच-सच बताओ इस खुशनुमा चेहरे पर इतनी उदासी क्यों है?’ ऐसा लगता है जैसे नाजुक दिल पर किसी ने गहरी चोट मारी हो। ‘दबे मुर्दे दबे ही रहने दो, तो अच्छी बात है।’ इस बात को आप भली-भांति जानते हो कि दुखी दिल से दुखों की ही बरसात होती है, न कि हंसी की। फिर आप कहोगे कि अच्छा दोस्त मिला है, हमें भी दुखी कर गया। यह कहते हुए मैंने अपनी बात खत्म कर दी। इस तरह की कोई बात नहीं दोस्त। हमारा कर्त्तव्य बनता है कि सबको खुश रखें, खुशमिज़ाज रखें। आप अपने दिल की परतों को खोलें, हमें अच्छा लगेगा फूलों ने कहा। आपकी बात ठीक है दोस्त। यह जो चेहरे पर उदासी का दाग है, दिल पर लगे हुए गहरे जख्मों को दर्शाता है। हम भी जानते हैं कि आधुनिक प्यार पदार्थवादी और स्वार्थी लोगों की झोली में पड़ता है। यह दाग ज़रूर किसी जान से प्यारे दोस्त की निशानी होगी। लेकिन हमारी दोस्ती इस तरह की नहीं है। हम किसी के साथ प्यार करें, तो अच्छी तरह निभाते हैं। बीच में ही छोड़कर नहीं जाते। दोस्ती को कई जन्मों तक अमर रखने के लिए अपने वजूद तक को कुर्बान कर देते हैं। हमारी दोस्ती भी एकदम सच्ची है। आजमा कर देख लो। फूलों ने प्यार भरे लहड़े में कहा। ‘आपकी बात सौ फीसदी सच है दोस्त। यह प्रकृति है ही बहुत सुंदर और एकदम सच्ची। यह किसी के साथ विश्वासघात नहीं करती और न ही किसी का दिल दुखाती है और न ही बीच में छोड़ कर चले जाती है। यह हर समय खुशियां ही बांटती हैं। हर एक को गले से लगाती है और अपना बनाती है’। मेरे इतनी बात कहने की देर हुई कि फूलों ने मुझे अपनी बाहों में ले लिया और मेरे चेहरे पर खुशी की लहर आ गई। 


मो. 94170-01983