कनाडा में सरकार व आदिवासी आबादी टकराव की स्थिति में

टोरांटो, 17 फरवरी (सतपाल सिंह जौहल): कनाडा में इन दिनों सरकार व आदिवासी (इंडिजंस) आबादी के कबीले टकराव की स्थिति में हैं। ब्रिटिश कोलम्बिया में कनाडा सरकार द्वारा ज़मीन पर बनाई जाने वाली तेल व गैस पाइपलाइन का आदिवासियों द्वारा कड़ा विरोध किया जा रहा है। विरोध जताने के लिए देश के कुछ हिस्सों में रेल मार्गों पर धरने दिए जा रहे हैं जो ब्रिटिश कोलम्बिया से शुरू हुए परंतु हमदर्दी के रूप में आेंटारियो में भी गत डेढ़ सप्ताह से आदिवासियों ने टोरांटो व ओटावा व मांटरियल के बीच रेल यातायात ठप्प की हुई है। यह भी कि न्याग्रा फाल्ज़ में गत दिवस अमरीका के साथ सीमा पर बने रेनबो ब्रिज पर भी दो घंटे धरना दिया गया जिससे सड़क यातायात ठप्प रही। धरनों के चलते रेल सेवा प्रभावित हो चुकी है और देश में ज़रूरी वस्तुओं की सप्लाई रुकने व कई कर्मचारियों की नौकरियां छिन जाने से आर्थिक संकट पैदा होने के हालात बनते जा रहे हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर संसद में विपक्ष के नेता का दबाव बढ़ रहा है जिनके द्वारा पुलिस के हस्तक्षेप से तुरंत धरने उठवाने की मांग की जा रही है। इसके जवाब में ट्रूडो ने कहा कि उनकी सरकार मामले को बातचीत के ज़रिये हल करना चाहती है क्याेंकि कनाडा ऐसा देश नहीं है जहां कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए राजनीतिज्ञों द्वारा पुलिस को आदेश दिए जाते हों। इसी दौरान ट्रूडो ने इसी सप्ताह किया जाने वाला करेबियन देशों (जमाइका व बारबेडोस) का सरकारी दौरा रद्द कर दिया है ताकि देश में बढ़ती तनाव की स्थिति दौरान वह देश से बाहर न जाएं। देश के आदिवासी सेवाओं के मंत्री मार्क मिल्लर ने गत रविवार को धरनाकारियों के नेताओं से 9 घंटाें तक बैठकों के दौर चलाए परंतु कोई सहमति न बन सकी। विपक्ष का आरोप है कि सरकार की ढील के कारण धरनाकारियों को उत्साह मिल रहा है और देश में कानून व्यवस्था बिगड़ने का खतरा बढ़ता जा रहा है।