पाकिस्तान के लिए परीक्षा की घड़ी!

अंतर्राष्ट्रीय संस्था फाइनैंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफ.ए.टी.एफ.) की पैरिस में हो रही बैठक ने पाकिस्तान को ग्रे सूची में बनाये रखने की सिफारिश कर दी है हालांकि इस बारे में अंतिम फैसला शुक्रवार 21 फरवरी को किया जायेगा। इस अंतर्राष्ट्रीय संस्था ने पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों को मिल रहे वित्तीय समर्थन को देखते हुए उसको पहले ही भूरी सूची (ग्रे लिस्ट) में रखा हुआ है। गत 31 वर्षों से दुनिया के लगभग साढ़े तीन दर्जन देशों की यह संस्था दुनिया भर में आतंकवादी संगठनों को मिल रही वित्तीय सहायता अर्थात् मनी लांडरिंग पर कड़ी नज़र रख रही है। इसके साथ ही अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी संगठन धन प्राप्त करने के लिए क्या ढंग-तरीके अपनाते हैं, कौन से देश और कौन से लोग इनकी आर्थिक सहायता करते हैं, इसके बारे में भी इस संस्था द्वारा गहन जांच-पड़ताल की जाती है।
पाकिस्तान जो गत लम्बे समय से आतंकवादी संगठनों का बड़ा अड्डा बना हुआ है, पर इस संस्था ने कड़ी नज़र रखी हुई है। भूरी सूची (ग्रे लिस्ट) में रखने का तात्पर्य यह है कि संबंधित देश को यह चेतावनी दी जाती है कि वह अपने ढंग-तरीके दुरुस्त कर ले। अपने देश से आतंकवादियों और इनसे संबंधित संगठनों को दिया जा रहा हर तरह का समर्थन बंद करे, जो आज दुनिया भर के लिए खतरा बने हुए हैं। यदि संबंधित देश ऐसा करने में असमर्थ होता है तो उसको काली सूची में दर्ज कर दिया जाता है, जिसका सीधा मतलब यह होता है कि वह देश अंतर्राष्ट्रीय मंडी में तथा अन्य देशों के साथ आर्थिक संबंधों के क्षेत्र में पूरी तरह मात खा जाता है। बड़े अंतर्राष्ट्रीय बैंक ऐसे देश को अपनी सूची से निकाल देते हैं, जिससे उसका व्यापारिक आदान-प्रदान बड़ी सीमा तक प्रभावित हो जाता है। आज दुनिया के कई देश इस संस्था के सदस्य हैं, जिनके द्वारा लिया गया कोई भी फैसला संबंधित देश को गम्भीर आर्थिक संकट में डाल देता है। इस संस्था ने गत समय के दौरान पाकिस्तान को यह चेतावनियां दी हुई हैं कि वह हर हाल में अपने देश का दृष्टिकोण सुधारे तथा दुनिया के समक्ष आतंकवाद जो सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है, को खत्म करने में सहायक हो। पाकिस्तान इस मामले पर गम्भीर और मुश्किल स्थिति में फंसा नज़र आता है> उसने लश्कर-ए-तैयबा तथा तालिबान से संबंधित कुछ आतंकवादियों के नाम भी इस संस्था को दिए हैं, जो वहां विचर रहे हैं। एफ.ए.टी.एफ. ने भी बहुत सारे आतंकवादियों के नाम नश्र किए हैं, जो दुनिया भर के लिए खतरा बने हुए हैं। इनमें से अधिकतर पाकिस्तान में ही रहते हैं। मसूद अश्च]हर को भी मई 2019 में संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद् ने इस सूची में डालने का ऐलान कर दिया था। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान के लिए इन आतंकवादियों को ज्यादा देर तक अपने देश में छिपाकर रखना मुश्किल हो गया है। मसूद अज़हर पहले हरकत-उल-अंसार नामक संगठन का प्रमुख था। यह संगठन दुनिया भर में आतंकवादियों के लिए फंड जुटाकर उनकी सहायता करता रहा है। वर्ष 1994 में अज़हर को भारत में गिरफ्तार कर लिया  गया था, जिसके बाद उसको वर्ष 1999 में आतंकवादियों द्वारा एक भारतीय विमान का अपहरण करके अफगानिस्तान ले जाये जाने के कारण भारत को मजबूरीवश उसको छोड़ना पड़ा था। उसके बाद उसने जैश-ए-मोहम्मद नामक संगठन बना लिया था। इसने भारत में खून-खराबा करने के लिए बड़ी वारदातें की थीं, जिनमें पठानकोट हवाई अड्डे पर हमला, कश्मीर वादी में अलग-अलग स्थानों पर सुरक्षा बलों पर हमले तथा फरवरी 2019 में उसके द्वारा भेजे आत्मघाती हमलावरों द्वारा पुलवामा में 40 सुरक्षा जवानों को मार देना आदि शामिल है। उसके बाद भी उसको अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कर दिया गया था, जिसको लेकर पाकिस्तान अजीब स्थिति में फंसा हुआ है। अब पाकिस्तान ने यह कहा है कि मसूद अज़हर तथा उसका परिवार लापता हो गया है, जिस संबंध में मुताहिदा कौमी मूवमैंट के संस्थापक अलताफ हुसैन ने भी कहा है कि ऐसा पाकिस्तान द्वारा जान-बूझ कर किया गया है। इससे इमरान खान की सरकार जोकि अपने देश से आतंकवादियों को खत्म करने का ऐलान कर रही है, की दोगली नीति स्पष्ट रूप में सामने आ गई है। दूसरी तरफ एफ.ए.टी.एफ. की फ्रांस की राजधानी पैरिस में शुरू हुई बैठक में पाकिस्तान के बारे में यह जानकारी विस्तार में हासिल की गई कि गत तीन महीनों में उसने आतंकवादियों को मिलती रही वित्तीय सहायता को रोकने के लिए क्या-क्या कदम उठाये हैं?
गत तीन महीनों से पाकिस्तान लगातार यह बयान देता रहा है और प्रयास करता आ रहा है कि उसने अपने देश में आतंकवादियों के वित्तीय स्रोत खत्म करने के लिए कड़े कदम उठाये हैं, परन्तु ऐसे विस्तार से एफ.ए.टी.एफ. कितना संतुष्ट होती है, यह देखने वाली बात होगी। यदि उसके जवाब को संतोषजनक नहीं माना गया और उसको काली सूची में डालने का ऐलान कर दिया गया तो नि:संदेह पाकिस्तान एक बड़े संकट में फंस सकता है और इसके भविष्य पर भी बड़ा असर पड़ सकता है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द