सामूहिक आत्महत्या मामला- पूर्व डीआईजी सहित पांच को 8-8 साल की कैद

गगनदीप शर्मा
अमृतसर, 19 फरवरी  : अक्तूबर 2004 में अमृतसर के चौक मोहनी में रहते एक परिवार के पांच सदस्यों द्वारा सामूहिक आत्महत्या करने के मामले में आज अतिरिक्त ज़िला सैशन जज संदीप सिंह बाजवा की अदालत द्वारा ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए पूर्व डीआईजी कुलतार सिंह सहित मृतक की भाभी सबरीन कौर, ताया महिंदर सिंह, सगी बहन परमिंदर कौर तथा जीजा पलविंदर पाल सिंह को 8-8 साल कैद की सज़ा और 23 हज़ार रुपए जुर्माना किया गया है। जबकि मौजूदा डीएसपी हरदेव सिंह को चार साल कैद की सज़ा और 20 हज़ार रुपए जुर्माना किया गया है। जुर्माना नहीं भरने की सूरत में इन सभी को 1-1 साल की कैद और काटनी पड़ेगी। एडवोकेट परमिंदर सेठी ने कहा कि मृतक परिवार को 16 साल के लंबे अंतराल के बाद इंसाफ ज़रूर मिला है लेकिन आरोपियों को बहुत कम सज़ा सुनाई गई है। जितना बड़ा जुर्म था, उस हिसाब से सभी को उम्र कैद होनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि इस मामले में एडवोकेट सरबजीत सिंह वेरका ने अहम भूमिका अदा की है। उन्होंने न्यायिक तंत्र और वकीलों की शान बढ़ाने का काम किया है। एडवोकेट स. सेठी ने कहा कि इस फैसले से पुलिस को सबक मिलेगा कि अपने सीनियर अधिकारियों या फिर राजनीतिक दबाव में गलत आर्डर नहीं करना चाहिए। 
वर्णनीय है कि हरदीप ंिसह ने अपने पिता सुंदर सिंह की हत्या कर दी थी। वह शव को छिपाने जा रहा था कि रास्ते में किसी महिला रिश्तेदार ने देख लिया। उसके बाद परिवार के अन्य सदस्यों को भी इस बारे पता चल गया। वह सभी हरदीप सिंह को पैसे मांग कर ब्लैकमेल करने लग गए। इसके लिए उनसे लाखों रुपए लिए। हरदीप सिंह परेशान होकर पूर्व डीआईजी कुलतार सिंह से संपर्क किया तो वह भी इंसाफ दिलाने की अपेक्षा ब्लैकमेल करने लग गया। इस तरह ने 30-31 अक्तूबर 2004 को हरदीप ने पहले अपने बेटों सनमीत, अमरीत और माता जसवंत कौर को ज़हर देकर जान से मारा और फिर अपनी पत्नी रोमी के साथ पंखे से लटक कर खुदकुशी कर ली थी। मरने से पहले उसने कमरे की दीवार पर सुसाइड नोट लिखकर अपनी और अपने परिवार की मौत के लिए उक्त लोगों को ज़िम्मेदार ठहराया। उसमें पूर्व डीआजी कुलतार सिंह का नाम भी लिखा हुआ था।