कांग्रेस विधानकार दल की बैठक दौरान सरकारी कार्यशैली व अफसरशाही की नोक झोंक जारी रही

चंडीगढ़, 20 फरवरी (हरकंवलजीत सिंह) : पंजाब के मंत्रियों व कांग्रेस विधानकारों द्वारा राज्य सरकार, मुख्यमंत्री व अफसरशाही की कार्यशैली की नोकझोंक आज यहां पार्टी विधायकों की बैठक में भी जारी रही। विधानसभा की बैठक से पहले रखी गई इस बैठक में बहुत सारे विधायकों द्वारा सरकार के फैसले अफसरशाही स्तर पर लागू न होने  व चुनावों के अवसर पर पार्टी द्वारा लोगों को दिए गये वादे दरकिनार करने के कारण विधायकों को आम लोगों का सामना करने में हो रही परेशानी जैसे मुद्दे ज़ोर से उठाये गये। पार्टी के वरिष्ठ विधायक स. प्रगट सिंह ने आज बैठक में राज्य में नशे के खात्मे के लिए काम कर रही विशेष जांच टीम की हाईकोर्ट में रिपोर्ट का मुद्दा उठाया गया व यह भी बताया कि राज्य सरकार द्वारा इन पर की गई कार्रवाई संबंधी भी हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश की है लेकिन कुछ उच्चाधिकारियों की मिलीभगत के कारण यह रिपोर्ट को गुप्त रखा जा रहा है व अफसरशाही असल तथ्य सार्वजनिक नहीं होने दे रही। उन्होंने कहा कि इस कारण जहां सरकार का अक्स खराब हो रहा है,वहीं राज्य के लोगों में सरकार के प्रति अविश्वास बढ़ रहा है। घन्नौर से विधायक मदन लाल जलालपुर व दर्शन सिंह बराड़ ने बैठक में नीले कार्डोें का मुद्दा भी उठाया व कहा कि गत 3 वर्षों से अफसरशाही ने अभी तक ज़रूरतमंदों को नीले कार्ड तक जारी नहीं किए जबकि इस संबंधी वर्ष पहले ही सूचियां तैयार हो गई थीं। कुलबीर सिंह जीरा, लखविंदर सिंह लक्खा सहित अन्य बहुत सारे विधायकों ने ग्रांटों के मुद्दे उठाए व मुख्यमंत्री को कहा कि विकास कार्यों के लिए पहले बीडीपीओ द्वारा प्रोजैक्ट बनवा कर हैडक्वार्टर व प्रधानगी के लिए भेजने जैसे तौर तरीके बदले जाएं। विधायक कुलजीत सिंह नागरा ने सदन में फास्टवे चैनल का मुद्दा उठाया व कहा कि इस चैनल द्वारा राज्य सरकार के बिजली विभाग के खंभों द्वारा राज्यों में अपनी तार का जाल बिछाया हुआ है व इसलिए बिजली विभाग या सरकार को एक पैसा नहीं दिया जा रहा। स. गुरकीरत सिंह कोटली ने मुख्यमंत्री से कहा कि प्रोटोकोल में विधायक, मुख्य सचिव व दूसरे सारे अधिकारियों से ऊपर है, लेकिन दिल्ली पंजाब भवन में विधायकों को ए ब्लाक में कमरे नहीं दिए जाते क्योंकि उसको उच्चाधिकारियों को लिए आरक्षित कर दिया गया है। विधायक नवतेज सिंह चीमा ने मुख्यमंत्री को कहा कि वह कैबिनेट मंत्री ब्रह्म महिंद्रा के पास कई बार छोटे बड़े कामों के लिए गये लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं  हुई जिस कारण उनके पास जाना ही बंद कर दिया। विधायक लखविंदर सिंह द्वारा दोराहा में अस्पताल का मामला उठाया गया जिसकी घोषणा 2018 के बजट में हुई थी, लेकिन अभी तक वहां एक ईंट तक नहीं लगी।  मुख्यमंत्री से इशारे पर उक्त तीनों बैठक से बाहर चले गये। दिलचस्प बात यह है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह 10 बजे शुरू होने वाली बैठक से शुरू होने से पहले ही बैठक के लिए पहुंचे चुके थे जबकि अधिकतर विधायकों ने मुख्यमंत्री के पास मांग रखी कि उनको आज की बैठक में ज़रूरी मामले विचार करने के लिए पूरा समय नहीं मिला। इसलिए वह बैठक दोबारा रखी जाए। मुख्यमंत्री ने विधायकों की मांग को मुख्य रखते हुए वह 25 फरवरी को मंगलवार कम से कम 2 घंटे के लिए यह बैठक दोबारा रखे जाने के लिए समय निश्चित करेंगे।