10 प्रतिशत बंद फैक्ट्रियों को बजट में राहत मिलने का उद्योगपति कर रहे हैं इंतजार

जालन्धर, 21 फरवरी (शिव शर्मा) : उद्योगपति पंजाब सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले बजट को बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि राज्य की जिस तरह से वित्तीय हालात हैं, उन हालातों में चाहे अधिक राहत मिलने की संभावना नहीं है पर अगर राज्य सरकार अपने आंकड़ों पर ही भरोसा करती हुई उद्योगपतियों को राहत दी है और 10 फीसदी बंद हुई फैक्ट्रियों को राहत मिल सकती है। पंजाब में जबसे बिजली महंगी हुई है उसके बाद राज्य में कई औद्योगिक इकाइयों ने जो अपने अधिक यूनिट राज्य में लगाने थे, वह सस्ती बिजली कर दूसरे राज्यों में लगा लिए हैं। पंजाब में इस समय बिजली पर बिजली ड्यूटी सहित 20 फीसदी के करीब कर है जबकि हिमाचल प्रदेश सहित अन्य राज्यों में बिजली के अधिक से अधिक 2 से लेकर 4 फीसदी तक कर वसूल किए जाते हैं। इस कारण हिमाचल सहित अन्य राज्यों में सस्ती बिजली होने से लोग तैयार सामान लाकर राज्य में बेच रहे हैं। जी.एस.टी.  लागू होने के बाद तो किसी भी राज्य के उद्योगपतियों को दूसरे राज्यों में सामान ले जाना दाखिला फीस के अलावा अन्य कर देने पड़ते हैं पर अब सारे देश में जी.एस.टी. की दर एक ही हो गई है। उनका सामान इस कारण सस्ता बिक जाता है क्योंकि पंजाब के मुकाबले उनको बिजली का खर्चा कम पड़ता है जबकि पंजाब में बिजली पर अधिक कर होने से उद्योगपति महंगा सामान बेचने के लिए मजबूर हैं। पावरकाम के अपने आंकड़े बताते हैं कि राज्य में 10 फीसदी औद्योगिक इकाइयों के बंद होने से उसका राजस्व घटा है। राज्य सरकार को पेश किए जाने वाले बजट में औद्योगिक इकाइयों के लिए राहत देना इस कारण भी ज़रूरी है कि अगर उनको राहत नहीं मिलती तो औद्योगिक इकाइयों की विकास दर आगे नहीं बढ़ सकेगी। पंजाब सरकार ने वर्ष 2017 में उद्योगपतियों को 5 रुपये में बिजली देना का वादा किया था पर उसके बाद घोषित किए गए बिजली दरों में 5 रुपये बिजली करने का ऐलान लागू तो कर दिया गया पर साथ ही छुपे रूप में फिक्स चार्जिज़ लगा दिया गया था और अब छोटी औद्योगिक इकाइयों को 9 से 10 रुपये प्रति यूनिट बिजली का खर्चा पड़ रहा है। औद्योगिक इकाइयों के लिए बिजली की मांग पावरकाम के पास घटती जा रही है। मंडी गोबिंदगढ़ में लोग फैक्ट्रियों की कम हुई संख्या भी किसी से छुपी हुई नहीं है और अब पंजाब में अधिकतर लोग दूसरे राज्यों से भी मंगवाया जा रहा है। मौजूदा समय में लोगों को राहत देने की तो आस कम ही नजर आ रही है पर इसकी चर्चा ज़रूर हो रही है कि मौजूदा हालात में कोई नया सरचार्ज लागू न कर दिया जाए। राज्य की जी.एस.टी. वसूली में वृद्धि करने के लिए इस समय औद्योगिक इकाइयों राहत देने के अलावा विभागों के श्रोतों से और आमदन बढ़ाने के उपाय करने पड़ेंगे। कई विभागों में निजीकरण से तो सरकारी विभागों की आमदन चाहे कम हो गई हो पर निजी कंपनियां ज़रूरत फल-फूल रही हैं।