8वीं के परीक्षा केंद्र बनाए स्कूलों से दूर

बटाला, 22 फरवरी ( डा. काहलों ) : बिना सोच विचार करके लिए गए गलत फैसले कारण शिक्षा विभाग सदा सुर्खियों में रहता है। इसकी ताज़ा उदाहरण शिक्षा विभाग पंजाब द्वारा इस बार 8वीं के छोटे बच्चों के परीक्षा केंद्र स्कूल से बहुत दूर बनाने से मिलती है। बोर्ड के इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रकट करते हुए विद्यार्थियों के माता-पिता ने कहा कि शिक्षा विभाग पंजाब और पंजाब सरकार द्वारा बिना सोचे-समझे और ज़मीनी हकीकत को ध्यान में रखे बिना विद्यार्थियों के परीक्षा केंद्र उनके घरों से बहुत ज्यादा दूरी पर बना दिए गए हैं। विभाग के इस फैसले से प्रतीत होता है कि शायद उनको विद्यार्थियों की कीमती जानों की कोई परवाह न हो। शिक्षा विभाग पंजाब के इस तानाशाही फैसले से 8वीं कक्षा की परीक्षा दे रहे लाखों विद्यार्थियों, उनके माता-पिता और अध्यापकों को मानसिक तौर पर पीड़ित किया जा रहा है। विद्यार्थियों के माता-पिता द्वारा रोष प्रकट करते हुए कहा गया कि इन परीक्षाओं दौरान अगर किसी विद्यार्थी के साथ दुर्घटना होती है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री पंजाब और पंजाब सरकार की होगी। विद्यार्थियों के माता-पिता द्वारा इस बात को लेकर बहुत ज्यादा रोष प्रकट करते हुए कहा गया कि कुंभकर्णी नींद सोई पंजाब सरकार इस नींद से जागे और शिक्षा विभाग के इस गलत निर्णय को बदले।  विद्यार्थियों के माता-पिता ने मुख्यमंत्री पंजाब व पंजाब सरकार से मांग रखी कि दूर-दराज बनाए गए परीक्षा केंद्रों पर फिर से विचार करके  परीक्षा केंद्र निकट बनाए जाएं ताकि बिना डर व भय और बिना मानसिक तनाव  के विद्यार्थी बोर्ड परीक्षाएं दे सकें। वर्णननीय है कि शिक्षा विभाग द्वारा 10वीं और 12वीं के केंद्र दूसरे स्कूलों में बनाए जाते हैं। 10वीं और 12वीं के बच्चे आयु में बड़े होने के कारण उनको आने-जाने की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता, परंतु 8वीं के विद्यार्थी बहुत छोटे, नन्हे-मुन्ने होते हैं, जो 8-10 किलोमीटर तक नहीं जा सकते। सब भली-भांति जानते हैं कि सरकारी स्कूलों में आर्थिक तौर पर पिछड़े बच्चे ही दाखिला लेते हैं, जिनके माता-पिता के पास अपने बच्चों को दूरदराज़ ले जाने के लिए साधन नहीं होता और दिहाड़ीदार लोग अपने बच्चों को सुबह  लेकर जाने और वापिस लाने के लिए असमर्थ होते हैं। इस बार 8वीं और 12वीं कक्षा की परीक्षाएं भी एक समय से शुरु हो रही हैं। इस कारण अध्यापक भी बच्चों को दूर-दराज स्थानों पर नहीं ले जा सकेंगे। शिक्षा विभाग को चाहिए कि 10वीं और 12वीं वाले परीक्षा केंद्रों में ही 8वीं की परीक्षा ले ली जाए।