संबंधों में मज़बूती


अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने भारत दौरे के प्रथम दिन अहमदाबाद के मोटेरा क्रिकेट स्टेडियम में भाषण देते हुए ऐसी महत्वपूर्ण बातें कहीं हैं, जो आगामी समय में अंतर्राष्ट्रीय मंच पर गहरा प्रभाव रखने में सक्षम हैं। उन्होंने भारत के साथ अपनी गहरी दोस्ती का इज़हार किया और कहा कि आज अमरीका में बसते 40 लाख भारतीय मूल के लोग वहां देश के विकास में अपना बड़ा योगदान डाल रहे हैं। उन्होंने दोनों देशों में बढ़ रहे व्यापार की बात की, दोनों की सांझी सुरक्षा नीति की बात की और दोनों द्वारा आतंकवाद के विरुद्ध लड़ने का प्रण दोहराया। 
ट्रम्प ने पड़ोसी देश पाकिस्तान का उल्लेख करते हुए यह भी कहा कि वह प्रयास कर रहे हैं कि पाकिस्तान अपने देश से आतंकवाद का खात्मा करे और दक्षिण एशिया का यह क्षेत्र आपसी सहयोग तथा सांझ से आगे बढ़े। ट्रम्प ने भारत में विकसित हो रही टैक्नालॉजी की बात की और इसके भविष्य के बारे में बड़ी उम्मीद प्रकट की तथा यह भी कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में अलग-अलग धर्मों और सम्प्रदायों के लोग एक सांझ के एहसास से रहते हैं। दुनिया के एक शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति द्वारा भारत में आकर ऐसी भावनाएं प्रकट करने से यह एहसास अवश्य हो जाता है कि आज अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत का किस तरह का उभार हुआ है और यह भी कि इस देश की भविष्य में आगे बढ़ने की सम्भावनाएं हैं। राष्ट्रपति ट्रम्प के इस भाषण को तथा व्यक्त की गई इन भावनाओं को दुनिया भर के देशों तथा लोगों ने सुना और महसूस किया है। हम समझते हैं कि भारत के प्रति व्यक्त किए गए ऐसे विचार और लगाई गई ऐसी उम्मीद आगामी समय में किसी भी सरकार में बड़ी ज़िम्मेदारी का एहसास पैदा करेगी। इसके साथ सरकारी कार्य प्रणाली में रह गई त्रुटियों को कैसे दूर करना है, इसके बारे में भी गम्भीरता से सोचने के लिए मजबूर करेगी। आज चाहे भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया के कुछ देशों के मुकाबले में पंख तोलने लगी है, परन्तु देश में फैली गरीबी पर काबू पा सकना अभी भी एक बड़ी चुनौती है। चाहे देश ने कुछ क्षेत्रों में बड़ी उन्नति की है, मध्य वर्ग की संख्या बढ़ी है। परन्तु 70 वर्षों में भारत अत्यधिक गरीबी को हटाने में सफल नहीं हो सका। इसके लिए इस तरह की कड़ी और प्रभावशाली योजनाबंदी किए जाने की ज़रूरत थी, वह अनेक कारणों से सम्भव नहीं हो सकी। इसके साथ ही लगातार बढ़ रही बेरोज़गारी की समस्या से कैसे निपटना है, यह भी देश के समक्ष एक बड़ा मामला है। तकनीक के क्षेत्र में भारत दुनिया के बड़े देशों की पंक्ति में आ खड़ा हुआ है, परन्तु कृषि तथा औद्योगिक क्षेत्रों में गत लम्बे समय से एक बड़ी स्थिरता आई प्रतीत होती है, जिसको हर हाल में दूर किया जाना आवश्यक है। अमरीका आज एक बड़ा और शक्तिशाली देश है। भारत के साथ इसके व्यापारिक संबंध बुलंदी छूने लगे हैं। भारत को इन संबंधों से बड़ा लाभ उठाने की ज़रूरत है। भारत को अमरीका जैसे देश के सहयोग की ज़रूरत है। खासतौर पर ऊर्जा के क्षेत्र में वह अमरीका से बड़ी सहायता ले सकता है। पड़ोसी देश द्वारा लगातार आतंकवाद के खतरे के समक्ष अमरीका उसके लिए बड़ा सहायक साबित हो सकता है। भारत को लगातार चीन से बड़ी चुनौती मिलती रही है, परन्तु अमरीका के साथ अपना सहयोग बढ़ाकर वह चीनी चुनौती का भी मुकाबला करने में सक्षम हो सकता है।
अमरीका के राष्ट्रपति की यह यात्रा अनेक पक्षों से भारत के लिए लाभदायक साबित हो सकती है। भारत ने विदेश नीति के मामले में हमेशा अपनी स्वतंत्र सोच को सामने रखा है। रूस उसका चिरकाल से बड़ा साथी भी बना आ रहा है। यदि भारत रूस, फ्रांस और जापान सहित अन्य देशों के साथ अपने अच्छे संबंध बनाये रखने के साथ-साथ अमरीका के साथ सहयोग की भावनाओं को आगे बढ़ाये तो यह इस समय भारत के लिए विकास के पथ पर आगे बढ़ने का एक अच्छा अवसर साबित हो सकता है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द