पंजाबी जागृति मार्च के दौरान पारित किए गए प्रस्ताव

जालन्धर, 26 फरवरी (मेजर सिंह, जसपाल सिंह, रणजीत सिंह सोढी) : अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस संबंधी पंजाब जागृति मंच, सरबत दा भला ट्रस्ट व पंजाब कला परिषद व अन्य संगठनों व शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से देशभगत यादगार हाल के प्रांगण में हज़ारों लोगों की मौजूदगी में मातृभाषा पंजाबी संबंधी कुछ प्रस्ताव पारित किए गए और इन प्रस्तावों को मंच के अध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार सतनाम सिंह माणक द्वारा पढ़कर सुनाया गया, जिन्हें उपस्थित लोगों द्वारा हाथ खड़े कर स्वीकृति दी गई। बाद में इन प्रस्तावों संबंधी ज़िलाधीश वरिंदर कुमार शर्मा को पंजाब सरकार के नाम एक ज्ञापन सौंपा गया। पहले प्रस्ताव में कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के नेतृत्व वाली सरकार से यह मांग की गई कि 2008 के पंजाबी व अन्य भाषाओं की पढ़ाई संबंधी कानून के अनुसार राज्य के सभी स्कूलाें में पहली से 10वीं तक पंजाबी की एक अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाई यकीनी बनाई जाए और राज्य के किसी भी स्कूल में विद्यार्थियों पर पंजाबी बोलने पर कोई पाबंदी न लगाई जाए। दूसरे प्रस्ताव में सरकार द्वारा राज्य में सरकारी व अर्द्धसरकारी बोर्डों की तरह ही गैर सरकारी बोर्डों पर भी सबसे ऊपर पंजाबी में जानकारी लिखने को यकीनी बनाने के लिए आदेश जारी किए जाएं। तीसरे प्रस्ताव में चंडीगढ़ पंजाब को सौंपने की मांग करते हुए चंडीगढ़ प्रशासन में पंजाबी को पहली भाषा के रूप में लागू करवाने के लिए भी पंजाब सरकार से कदम उठाने की मांग की गई। चौथे प्रस्ताव में केन्द्र सरकार से संविधान की धारा 348 में संशोधन करने की मांग करते हुए निचली अदालतों से लेकर हाईकोर्टों तक सारा अदालती कामकाज क्षेत्रीय जुबानों में करने की व्यवस्था किए जाने की मांग उठाई गई। पंजाब का अपना हाईकोर्ट हो और वह भी पंजाबी में काम करे। पांचवें प्रस्ताव में 2008 के संशोधित पंजाबी भाषा एक्ट के मुताबिक प्रशासन का सारा काम पंजाबी में करने और ज़िलास्तरीय अदालतों का कामकाज पंजाबी भाषा में आरम्भ करने के लिए पंजाब सरकार से ठोस कदम उठाए जाने की मांग की गई। छठे प्रस्ताव में राज्य के सभी विभागों अर्थात् प्रशासन, न्यायपालिका व शिक्षा आदि में पंजाबी को लागू करवाने व लोगों की भाषाई अधिकारों की रक्षा के लिए एक शक्तिशाली पंजाब भाषा आयोग की स्थापना करे और इसे न्यायिक अधिकार दिए जाने की मांग की गई। सातवें प्रस्ताव में तकनीकी शिक्षा व उच्च शिक्षा के सभी संस्थानों में राज्य के विद्यार्थियों को पंजाबी में भी रोज़गारोन्मुखी शिक्षा हासिल करने के मौके दिए जाएं और इस संबंधी पाठ्य पुस्तकें तैयार करने के लिए स्टेट यूनिवर्सिटी टैक्सट बुक बोर्ड को पुन: सृजित करने की मांग उठाई गई है। आठवें प्रस्ताव में पंजाबी न्यूज़ चैनलों का प्रसारण ज़रूरी बनाने के लिए स्पष्ट रूप में नियम बनाए जाने की मांग की। नौवें प्रस्ताव में पंजाबी में चलते गीत-संगीत के चैनलों से मांग की गई कि वह अश्लील, नशे, हिंसा व हथियारों का प्रदर्शन करने वाले वीडियो व अश्लील गीतों का प्रसारण तुरंत बंद करें। यू ट्यूब व सोशल मीडिया पर भी ऐसे गीतों का प्रसारण रोका जाए। दसवें व अंतिम प्रस्ताव में पंजाब सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में 3 साल के बच्चे दाखिल करने के फैसले का स्वागत करते हुए सरकार से मांग की कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए राज्य शिक्षा माहिरों की एक कमेटी का गठन किया जाए और सरकारी स्कूलों में पंजाबी सहित सभी विषयों के अध्यापकों के रिक्त पद जल्द से जल्द भरे जाएं। विद्यार्थियों के पास होने के लिए 20 प्रतिशत अंक लेने की नई लागू की गई व्यवस्था तुरंत वापस ली जाए। इससे शिक्षा के स्तर में गिरावट आएगी।