कैसा हो हमारा बातचीत करने का अंदाज़

अगर ज़िंदगी में कुछ बनना हो तो अपनी अलग पहचान बनानी चाहिए और अपने अंदर सुधार करना चाहिए। सबसे पहले किसी को भी बुलाने से पहले हमेशा आपके चेहरे पर मुस्कराहट होनी चाहिए, ताकि सामने वाला भी आपको देखकर खुश हो जाए और अच्छी प्रकार से आपसे बातचीत कर सके। व्यवहार ऐसा होना चाहिए कि सामने वाले को मिलकर हमें खुशी प्राप्त हो। हमारा रहने-सहने का ढंग भी अच्छा होना चाहिए। कपड़े साफ-सुथरे और सादा पहरावा होना चाहिए, ताकि हर किसी का आप से बातचीत करने का दिल करे। कभी भी सामने वाले के अवगुणों को नहीं देखना चाहिए। दूसरे व्यक्ति को बुलाने का सही ढंग ऐसा होना चाहिए कि उसे बुलाते समय सत्कार भावना प्रकट हो और दूसरे व्यक्ति की बात को भी ध्यान से सुनना चाहिए। हमेशा अपनी ही बात को नहीं कहते रहना चाहिए। उसकी बातों को भी ध्यान में रखना चाहिए ताकि अगली बार जब वह हमें मिले तो हम उस व्यक्ति का दोबारा हालचाल पूछ सकें। अगर सामने वाला आपसे छोटी उम्र का है तो उसके नाम को याद रखना चाहिए और दूसरी बार बुलाने पर हमेशा उसके नाम से बुलाना चाहिए, ताकि उसको अच्छा लगे। कभी अपशब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। हमेशा मान-सम्मान के साथ बातचीत करनी चाहिए। किसी की भी निंदा नहीं करनी चाहिए।किसी अन्य व्यक्ति से यदि कोई वस्तु लेनी हो तो कृपा करके और वस्तु को वापिस करते समय धन्यवाद जैसे शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। ऐसा करने से सामने वाले को अच्छा लगता है और उसका दिल भी आपसे बातचीत करने को लगता है। अपनी ज़िंदगी के तजुर्बे दूसरों के साथ सांझे करना चाहिए ताकि ज़िंदगी में अच्छी बातों को लेकर हम आगे बढ़ सकें और अच्छा काम कर सकें। ज़रूरत के समय दूसरों की मदद करनी चाहिए। हमारी भाषा ही और बोलचाल का ढंग ही हमें अच्छी पहचान दिलाती है। अगर हमारी बोलचाल का ढंग अच्छा होगा तो हम अपनी अलग पहचान बना सके। 

—कंचन कुमारी लांबा