स्वस्थ शरीर के लिए ज़रूरी है स्वस्थ भोजन

स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन निवास करता है। इस हकीकत को जीवन में उतारने के लिए तन्दरुस्ती जरूरी है। तन्दुरुस्त तभी रह सकते हैं जब आहार विहार संतुलित हो। आइये आहार में संतुलन से मतलब क्या है, इन बातों को समझा जाए।क्या आप जानते हैं कि हममें से बहुत से लोग खाने में जरूरत से कहीं ज्यादा प्रोटीन लेते हैं जो शरीर को फायदे के बजाय नुकसान पहुंचाता है जबकि दूसरे कुछ लोगों के भोजन में प्रोटीन इतना भी मौजूद नहीं रहता कि शरीर अपनी मुरम्मत या भरपाई कर सके।ध्यान देने की बात है कि तरूणाई (टीन एज) के बाद और प्रौढ़ावस्था (चालीस साल) से पहले की उम्र के बाद के दौरान सेहत की सबसे कम परवाह की जाती है और इसका खामियाजा बाद में अर्थात पैंतालीस साल की उम्र के बाद तरह तरह की शारीरिक तकलीफों के रूप में उठाना पड़ता है।ध्यान दीजिए कि 35 साल तक हड्डियों की बढ़त का काम चलता रहता है और आप अगर उस उम्र तक खूब कसरत, नियमित भोजन तथा सेहतमंद रहन सहन रखेंगे तो बुढ़ापे में ओस्टियोपोरोसिस (हड्डियों के भंगुर होने की बीमारी) के अलावा कई दूसरी तकलीफों से बचे रहेंगे और आपकी हड्डियां खूब पुष्ट हो जाएंगी। इस उम्र तक दालें, हरी सब्जियां, कम चर्बी वाले पदार्थ खूब खाइए और कसरत को छोड़िए मत, जैसा कि अक्सर लोग करते हैं।  शरीर की चयापचय (मेटाबोलिक) दर में कमी आने लगती है। इसलिए 35 साल के बाद खान-पान पर खास तौर पर ध्यान देना ज़रूरी है। वजन मत बढ़ने दीजिए, कसरत जारी रखिए। काजू और मूंगफली, जिनमें चर्बी बहुत ज्यादा मात्रा में होती है, को छोड़कर सूखे मेवे ज्यादा खाइए, क्योंकि इनसे मैग्नीशियम, जिंक और लोहा काफी तादाद में मिलेगा और शरीर की ज़रूरत पूरी होगी। विटामिनों की पूरी तादाद पर भी ध्यान दीजिए और हरी तरकारियों से दोस्ती बनाए रखिए। बेहतर हो कि इस उम्र में आप एक बार में ढेर सारा खाना लेने के बजाय ज्यादा बार में कम भोजन करें। याद रखिए, होटल का खाना हर हाल में ज्यादा चर्बी वाला होता है, इसलिए इस उम्र में होटल का खाना जितना कम खाएं, उतना ही अच्छा है। हिफाजत के लिए एक बार के खाने में पूरी खुराक लें और दूसरी बार हल्का खाना खाएं।हमेशा सावधान रहें कि आप क्या खा रहे हैं। यह सावधानी केवल खान पान में ही नहीं, जीवन शैली के मामले में भी बरतें। हालांकि इस मामले में काफी कुछ जवानी में आपके रहन-सहन के इतिहास पर निर्भर करता है फिर भी गलती सुधारने के लिए कभी देर नहीं होती। संतुलित कैलोरी वाला भोजन उम्र में बढ़ोत्तरी कर देता है। इससे रोग प्रतिरोधी ताकत में इजाफा होता है और बीमारियाें के अलावा कैंसर और डायबिटीज की संभावनाओं में भी निश्चित रूप में कमी आती है। 60 साल के बाद : 60 साल की उम्र में भी यह ख्याल जरूरी है कि कैलोरी कम ली जाए क्योंकि शरीर में मांस कम हो जाता है और भागदौड़ में भी कमी आ जाती है। यह ऐसी उम्र है, जब कैंसर और दिल की बीमारियां सबसे ज्यादा उभरती हैं। ताजे फल, फलों का रस, रेशेदार पदार्थ और जिंक की अच्छी मात्रा वाला भोजन करना चाहिए। जो धूम्रपान करते हैं, उससे फौरन छुटकारा पाइए क्योंकि आप कई ऐसी बीमारियों को दावत दे रहे हैं जिनसे आप बचे रह सकते हैं। 

—कृष्ण कुमार सिंह