हरियाणा का मनोहारी बजट

हरियाणा प्रांत के पिछले वर्ष सम्पन्न हुए विधानसभा चुनावों के बाद गठित हुई भाजपा-जजपा गठबन्धन सरकार के पहले बजट को काफी हद तक जनापेक्षी बनाने की कोशिश की गई है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बजट को स्वयं तैयार किया और विधानसभा में स्वयं ही पेश किया है। भाजपा नीत सरकार की प्रदेश में यह दूसरी पारी है, और नई सरकार का यह पहला बजट है। बहुत स्वाभाविक है कि सम्भवत: इसीलिए मुख्यमंत्री खट्टर ने पहले चरण में वित्त मंत्रालय अपने पास ही रखा। भारतीय जनता पार्टी को इस चुनाव में पहले जैसा जन-समर्थन नहीं मिल सका था। इसी कारण उसे जन-नायक जनता पार्टी के साथ मिल कर सरकार बनानी पड़ी थी। सरकार ने अपने इस बजट को यथा-सम्भव कृषि, व्यापार और उद्योग पर केन्द्रित करने की कोशिश की है। सकल घरेलू उत्पाद के बढ़ने और कर अदा करने वाले लोगों की संख्या बढ़ने का दावा बजट की बड़ी खूबियां हैं। हरियाणा भी मूलत: कृषि-प्रधान राज्य है, परन्तु उद्योग और व्यापार जगत की भी प्रदेश के विकास और उत्थान में बड़ी भूमिका रही है। इससे पूर्व प्राय: प्रदेश के हित कृषि आधारित ही रहे हैं, परन्तु वर्ष 2020-21 के मौजूदा बजट में मुख्यमंत्री ने सभी पक्षों/वर्गों को केन्द्र में लिया है। इस बजट से मुख्यमंत्री की वित्तीय सूझ-बूझ भी उजागर होती है। मुख्यमंत्री ने इसीलिए एक ओर जहां कृषि क्षेत्र में मंडीकरण, फसलीकरण, किसान कल्याण आदि योजनाओं की घोषणा की है, वहीं स्वास्थ्य, शिक्षा और व्यापार के लिए भी कई नई योजनाएं तैयार की हैं। कुल 1,42,343.78 करोड़ के बजट में पिछले वर्ष से 10 हज़ार करोड़ रुपये की बढ़ौतरी की गई है। मुख्यमंत्री की सूझ-बूझ का इल्म इस एक तथ्य से भी हो जाता है कि उन्होंने बजट से पूर्व विधायकों एवं अन्य वित्त विशेषज्ञों से बाकायदा सुझाव मांगे थे। इसके तहत विधायकों की ओर से उन्हें 620 सुझाव पेश हुए। इसके दृष्टिगत मुख्यमंत्री बजट को बनाने में सर्व-सहमति का दावा जता सकते हैं। किसान, कृषि, पशु-पालन और डेयरी के लिए लगभग 24 प्रतिशत वृद्धि के साथ 6481.48 करोड़ रुपया रखा गया है। कृषि क्षेत्र के बिजली बिलों में राहत दी गई है। शिक्षा, स्वास्थ्य, स्कूली मध्याह्न भोजन योजना, सहकारिता, महिला कल्याण, नारी सशक्तिकरण के लिए भी भारी-भरकम धन-राशियों का प्रावधान किया गया है। बड़ी आबादी वाले गांवों की सड़कों-गलियों के विद्युतीकरण की योजना ग्रामीण कल्याण और उत्थान को बढ़ावा देने वाली है। अवैध खनन को रोकने हेतु भी योजना प्रस्तावित है। कुल मिला कर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर अपनी दूसरी पारी के इस पहले बजट को खूब मनोहारी रूप देने में काफी सीमा तक कामयाब रहे हैं।