ब्रिटिश संसद में दिल्ली हिंसा की 1984 के नरसंहार से हुई तुलना


लंदन, 4 मार्च (मनप्रीत सिंह बद्धनी कलां): ब्रिटिश संसद में दिल्ली में हुई हिंसा बारे बहस हुई, जिस दौरान सम्बोधित करते हुए बर्मिंघम से सांसद खालिद महमूद ने विदेश व राष्ट्रमंडल मामलों के मंत्री से भारत में हुई हिंसा व नागरिकता कानून बारे बयान देने की मांग की, जिसके जवाब में मंत्री नाइज़ल एडामस ने कहा कि विदेश मंत्री तुर्की के दौरे पर हैं परंतु ब्रिटिश उच्चायोग नई दिल्ली व भारत भर में डिप्टी उच्चायोगों द्वारा भारत की ताज़ा स्थिति पर नज़र रखी हुई है दिल्ली में हुईं घटनाएं चिंताजनक हैं और हालात अभी भी तनावपूर्ण हैं। इस अवसर पर मंत्री नाइज़ल ने कहा कि हम किसी एक धर्म के लोगों को निशाना बनाने व हिंसा फैलाने की निंदा करते हैं चाहे वह विश्व के किसी भी हिस्से में भी ऐसा हो। उन्होंने यूके द्वारा भारत से नागरिकता कानून बारे उठाए मामले बारे भी जानकारी दी। बौब ब्लैकमैन ने कहा कि हिंसा में मरने वाले केवल मुस्लिम ही नहीं बल्कि हिन्दू भाईचारे के लोग भी मरे हैं। उन्होंने संसद को बताया कि 514 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सांसद तनमनजीत सिंह ढेसी ने कहा कि दिल्ली दंगों ने एक बार फिर सिखों के 1984 में हुए नरसंहार की याद ताज़ा कार्रवाई है।  हमें इतिहास से सीखना चाहिए उन लोगों से मूर्ख नहीं बनना चाहिए जिनका उद्देश्य समाज को बांटना  और लोगों को मारने और धर्म के नाम पर धार्मिक स्थानों को तबाह करना है। सांसद प्रीत कौर ने कहा कि अक्तूबर 1984 में कांग्रेस के शासनकाल में सिखों का कत्लेआम किया गया।