जाग सरकारे जाग... आठवीं कक्षा के 3 लाख मासूम शिक्षा विभाग की धक्केशाही का हो रहे हैं शिकार

फिरोज़पुर, 6 मार्च (जसविन्द्र सिंह संधू): शिक्षा सुधारों के नाम पर पंजाब स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा आठवीं कक्षा की वार्षिक परीक्षा बोर्ड अधीन लिए जाने का फैसला ले नन्हे-मुन्ने बच्चों के स्कूलों से 10 से 15 किलोमीटर दूर बनाए परीक्षा केन्द्र गरीब परिवारों के लिए जहां केवल मुसीबतें रोज़ाना खड़ी कर रहे हैं, वहीं आज भारी बारिश होने के कारण परीक्षा केन्द्र बच्चों से वंचित रहे, वहीं परीक्षा को पूरा करने के लिए स्कूल अध्यापक भी बच्चों को ढूंढ-ढूंढ स्वयं परीक्षा केन्द्रों तक पहुंचाते देखे गए। यहीं बस नहीं, बारिश में परीक्षा केन्द्रों तक देरी से पहुंचने वाले मासूम कांपते हुए पेपर में तो बैठ गए परन्तु ठंड से कांप रहे थे। इससे जहां बच्चों के पेपर अधूरे रहने की खबरें हैं, वहीं अनेकों बच्चे पेपर देने से असमर्थ होने के कारण अनुपस्थिति की अधिक संख्या की राज्य भर से खबरें आ रही हैं, जिसको लेकर लोगों में सरकार व शिक्षा विभाग के प्रति भारी रोष पाया जा रहा है। वर्णनीय है कि पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा इस बार आठवीं कक्षा की परीक्षा बोर्ड द्वारा ली जा रही है, जिसके लगभग 3 लाख विद्यार्थियों के लिए राज्य भर में 2700 परीक्षा केन्द्र बनाए गए हैं परन्तु परीक्षा केन्द्रों की अदला-बदली के कारण सैकड़ों परीक्षा केन्द्र विद्यार्थियों के अपने पितरी स्कूल से 10 से 15 किलोमीटर दूर बनाए गए हैं। आम तौर पर गांवों की दलित व गरीब जनता के बच्चे ही सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी हैं, जिनके अधिकतर अभिभावकों के पास साइकिल तक नहीं हैं, भारी बारिश में अभिभावक कैसे अपने बच्चों को परीक्षा केन्द्रों तक छोड़ें, इस बारे सरकार, शिक्षा अधिकारियों आदि किसी के पास कोई उत्तर नहीं है। आज आठवीं कक्षा की अंग्रेज़ी विषय की परीक्षा थी, हज़ारों विद्यार्थी परीक्षा देने के लिए केन्द्रों में 1 घंटे की देरी से पहुंचे बहुत संख्या में विद्यार्थियों के कपड़े गीले थे, जिनका ठंड से बुरा हाल था तता कुछ लिखने की बजाय उनके हाथ कांप रहे थे। यह हालात काफी समय तक बने रहे। प्राप्त जानकारी के अनुसार आज जब परीक्षा शुरू हुई तो बहुत संख्या में केन्द्रों पर विद्यार्थियों की अनुपस्थिति पाई गई। स्थिति को भांपते हुए परीक्षा केन्द्रों के सुपरिंटैंडैंट, कन्ट्रोलर व स्कूल स्टाफ ने सिरदर्दी लेकर बच्चों तक पहुंच करने का प्रयास किया। उनके द्वारा विद्यार्थियों को घरों से लाकर परीक्षा केन्द्रों तक पहुंचाने की भी कोशिशें कीं। बच्चों के पेपर देने से वंचित रह जाने प्रति विद्यार्थियों के अभिभावकों ने जहां पंजाब सरकार को कोसा, वहीं गरीबों से शिक्षा छीनने का फैसला लेने वाले शिक्षा अधिकारियों के प्रति भी गुस्सा निकाला। उन्होंने कहा कि सोयी हुई सरकार द्वारा गरीबों की मज़बूरियों को अनदेखा कर गलत पैसलों पर भी फूल चढ़ाए जा रहे हैं, छोटे-छोटे मासूम बच्चों के परीक्षा केन्द्र बदलने का मतलब है कि गरीबों के लिए शिक्षा के दरवाज़े बंद करना है। उन्होंने यह भी गुस्सा व्यक्त किया कि किसी भी शिक्षा अधिकारी ने दूरदराज़ परीक्षा केन्द्रों तक मासूमों के पहुंचने में आती  कठिनाईयों संबंधी सोचना तो दूर, किंतु-परन्तु तक भी नहीं किया। स्कूल विद्यार्थियों के अभिभावकों ने मुख्यमंत्री पंजाब से मांग की कि आठवीं कक्षा के लिए परीक्षा केन्द्र वही बनाए जाएं, जहां विद्यार्थी आसानी से आ-जा सकें।