अमानवीय कृत्य

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में गत दिनों जो कुछ भयानक हुआ है, उसकी दुनिया भर में निंदा हुई है। इसने अधिकतर धार्मिक सम्प्रदायों के लोगों को शर्मसार किया है। अफगानिस्तान में काबुल और जलालाबाद में दो ही गुरुद्वारे हैं, जिनमें समय-समय पर सिख संगत नतमस्तक होती है। आज जबकि दुनिया भर में कोरोना वायरस का दुखद संकट छाया हुआ है, तो काबुल के गुरुद्वारा साहिब में दुनिया को इस कहर से बचाने के लिए अरदास करने के लिए संगत एकत्रित हुई थी। इस समय ही इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों ने ऐसा अमानवीय कृत्य किया। दुनिया के किसी भी धार्मिक ग्रंथ में अन्य सम्प्रदाय के प्रति ऐसी ऩफरत के बीज दिखाई नहीं देते। इसके स्थान पर बड़े धर्मों द्वारा मानवीय नैतिक मूल्यों और आपसी प्यार की बात ही की जाती रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि समय-समय पर धर्म के नाम पर आतंकवादी संगठनों द्वारा ऐसी खून की होली खेली जाती रही है। गत लम्बे समय से ऐसा कुछ देखने को मिला है। इस्लामिक स्टेट और तालिबान के साथ-साथ बहुत सारे अन्य भी खूनी आतंकवादी संगठनों ने आज धरती को लहू-लुहान करके रख दिया है। इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों ने सीरिया और इराक के कुछ हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया था। अपने कब्ज़े वाले क्षेत्र में इसने उस समय जो जुल्म ढाये थे, उससे दुनिया त्राहि-त्राहि कर उठी थी। लम्बी लड़ाई के बाद इस संगठन को तो तब खदेड़ दिया, परन्तु इसके खूनी पंजे आज भी दुनिया के कई मुस्लिम देशों में अलग-अलग लोगों के सीनों पर गहरे घाव कर रहे हैं। अफगानिस्तान में भी तालिबान ने कुछ वर्षों के लिए सत्ता सम्भाली थी। इन कुछ ही वर्षों में उन्होंने महिलाओं तथा अन्य सम्प्रदायों पर जुल्म की इंतहा करके इतिहास में खूनी पृष्ठ लिख दिए थे। आज भी ऐसे संगठन पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इराक आदि देशों में खुलेआम घूम रहे हैं। इन्होंने वहां की सरकारों को चित्त करने में कोई कसर शेष नहीं छोड़ी थी। आज यह दुनिया भर के लिए ़खतरा बने हुए हैं। अमरीका जैसा शक्तिशाली देश भी इनसे हार गया है। अफगानिस्तान में इन आतंकवादियों ने कई बार अल्प-संख्यक हिन्दू और सिख समुदाय को अपना निशाना बनाया है। वर्ष 2018 में भी उन्होंने जलालाबाद में सिखों के एक इकट्ठ पर हमला करके 19 व्यक्तियों को मार दिया था। इससे पहले वर्ष 1989 में मुस्लिम आतंकवादियों ने गुरु नानक दरबार पर आत्मघाती हमला करके 22 लोगों को मार दिया था। संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद् ने इस जालिमाना और कायरता भरे हमले की निंदा करते हुए सभी देशों को एक बार फिर आतंकवाद के विरुद्ध खड़े होने की अपील की है। इसके साथ ही उसने इनका पालन-पोषण करने वालों, इनको संगठित करने वालों तथा इनका संरक्षण करने वालों को भी अन्तर्राष्ट्रीय तौर पर कड़ा सबक सिखाने की अपील की है और अफगानिस्तान की सरकार को इन संगठनों के विरुद्ध जंग के लिए पूरी सहायता देने का भी आश्वासन दिया है। यह बात बड़े अफसोस और दुख वाली है कि अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान में इन संगठनों ने आतंक मचाते हुए हमेशा अल्प-संख्यकों को अपना निशाना बनाया है। यह नया हमला भी उसी कड़ी का हिस्सा है। इसीलिए दशक भर पहले वहां लाखों की संख्या में रहते सिख भाईचारे के बहुत सारे लोग हालात से मजबूर होकर भारत सहित अन्य देशों की ओर पलायन कर गए थे। बाद में वहां उनकी संख्या हज़ारों तक ही रह गई थी और अब कुछ सैकड़ों तक ही सीमित है। इन थोड़ी-सी संख्या के सिखों को भी लगातार अफगानिस्तान छोड़ जाने की धमकियां दी जाती हैं। जिस कारण उनका इस देश में रहना बेहद कठिन हो गया है। अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय, अफगानिस्तान सरकार और भारत सरकार को सिख समुदाय के इन लोगों के साथ डट कर खड़ा होना चाहिए और इनको हर किस्म की सुरक्षा देनी चाहिए ताकि इन खूनी संगठनों की कार्रवाईयों को प्रभावी ढंग से रोका जा सके।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द