राष्ट्रीय राजनीति में नहीं जाना चाहते कैप्टन अमरेन्द्र सिंह

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने स्पष्ट कर दिया है कि वह राष्ट्रीय राजनीति के लिए अपने राज्य को छोड़ने के इच्छुक नहीं हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को पुन: कांग्रेस का नेतृत्व करना चाहिए और इसकी शान को बहाल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राहुल को एक हार के बाद हौसला नहीं हारना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सोनिया गांधी की आयु ज्यादा है इसलिए उन पर कार्य का अधिक बोझ नहीं डालना चाहिए। उल्लेखनीय है कि 2019 के लोकसभा चुनावों में हार के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, जिस कारण सोनिया गांधी को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। अच्छा स्वास्थ्य न होने के बावजूद भी सोनिया गांधी ने पुन: कांग्रेस की कमान सम्भाल ली थी। 
सिंधिया की ब़गावत
पूर्व कांग्रेसी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की ब़गावत ने न सिर्फ मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार गिराई है, अपितु इसके साथ ही राज्यसभा में कांग्रेस की एक सीट का भी नुकसान किया है, जिसके बारे में कांग्रेस को उम्मीद थी कि वह सीट जीत जाएगी। मध्य प्रदेश की तीन राज्य सभा सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव होने थे। परन्तु तालाबंदी और कोरोना वायरस महामारी के कारण इसको स्थगित कर दिया गया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा कांग्रेस से इस्तीफा देने के कारण पैदा हुई हलचल से पहले प्रत्येक सीट के लिए 58 पहली प्राथमिकता के वोटों की ज़रूरत थी। इससे पूर्व कांग्रेस के पास 114 सदस्य थे और समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी तथा आज़ाद विधायकों का समर्थन हासिल था, जिनकी संख्या 7 बनती है। इस तरह भाजपा के पास 107 सदस्य थे। इसलिए पिछले दृश्य के अनुसार कांग्रेस 2 राज्य सभा सीटें जीत सकती थी और भाजपा एक सीट जीत सकती थी।  हालांकि 22 कांग्रेसी विधायकों का इस्तीफा स्पीकर एन.पी. प्रजापति द्वारा स्वीकार करने के बाद विधानसभा में सिर्फ 206 सदस्य रह गए हैं और हिसाब के अनुसार अब प्रत्येक सीट के लिए 52 प्राथमिक वोटों की ज़रूरत है। अब जब भाजपा विधायक शरद कौल का इस्तीफा विवादित है, तो भाजपा के पास 104 से अधिक सदस्य हैं और इससे 2 राज्य सभा सीटें जीती जा सकती हैं। भाजपा उम्मीदवारों में ज्योतिरादित्य सिंधिया तथा दूसरे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता तथा पूर्व सहायक प्रोफैसर डा. सुमीर सिंह सोलंकी उम्मीदवार हैं। कांग्रेस के उम्मीदवार दिग्विजय सिंह और फूल सिंह बरसियां हैं। 
राज्य सभा चुनाव
भारतीय चुनाव आयोग ने कोरोना वायरस के खतरे तथा देश भर में जारी तालाबंदी के कारण 26 मार्च को होने वाले राज्य सभा चुनाव स्थगित कर दिए हैं। संसद के उच्च सदन के लिए 55 सीटों पर 26 मार्च को चुनाव होने थे, परन्तु इनमें से 37 उम्मीदवारों का निर्विरोध चुनाव हो चुका है। सूत्रों का कहना है कि शेष रहती 18 सीटों पर वोटों का फैसला स्थिति को देखकर लिया जाएगा।
रिहा हुए उमर
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का गत 25 मार्च को लगभग 8 महीनों के बाद रिहा होने के बाद यह कहना है कि सबसे पहला उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में कोविड-19 से लड़ना है तथा राजनीतिक मामलों के बारे में बाद में विचार-चर्चा की जाएगी। अब्दुल्ला के रूप में काफी बदलाव आया है और अब उन्होंने लम्बी दाढ़ी रखी हुई है। नज़रबंदी से रिहा होने के बाद वह अपने माता-पिता के पास पहुंचे। उनकी माता मौली तथा बहन सोफिया उनके साथ रहती है। उमर का कहना है कि ऐसी दुनिया 5 अगस्त, 2019 को थी। अब उससे कहीं अलग है। रिहा होने के बाद उनका पहला कदम अपने अभिभावकों के घर जाना था। उनके पिता फारुक अब्दुल्ला 13 मार्च को रिहा कर दिए गए थे। उन्होंने बताया कि लगभग 8 महीने बाद उन्होंने अपने परिवार के साथ बैठ कर खाना भी खाया। प्रशासन द्वारा जन-सुरक्षा एक्ट हटाने के बाद रिहा हुए अब्दुल्ला ने केन्द्र सरकार को प्रार्थना की है कि पी.डी.पी. नेता और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को भी रिहा किया जाए। 
नहीं होंगे सरकारी समारोह
उत्तराखंड में त्रिवेन्द्र सिंह रावत की सरकार द्वारा तीन वर्ष पूरे करने के बावजूद कोरोना वायरस के ़खतरे और देश भर में हुई तालाबंदी के कारण सरकार की उपलब्धियां दर्शाने वाले समारोह नहीं होंगे। उल्लेखनीय है कि राज्य का विधानसभा सचिवालय तथा अन्य सभी सरकारी कार्यालय अगले आदेशों तक बंद कर दिए गए हैं और राज्य का विधानसभा सत्र भी स्थगित कर दिया गया है। हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार की तीन वर्ष की उपलब्धियां गिनाने वाले सरकारी समारोह न होने के कारण काफी परेशान हैं। इसके अलावा त्रिवेन्द्र सिंह ने यह भी स्पष्ट किया है कि उनके स्थान पर मुख्यमंत्री के पद पर और कोई नहीं आएगा। इससे पहले यह अफवाहें थी कि उनके स्थान पर सतपाल महाराज राज्य के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। 
डाक्टर का दावा
भारतीय चिकित्सका अध्ययन परिषद् दावा कर रही है कि कोरोना वायरस के लिए ज़रूरत के अनुसार टैस्ट किए जा रहे हैं, परन्तु ट्रांसलेशनल हैल्थ साईंस एंड टैक्नालोजी इंस्टीच्यूट के कार्यकारी निर्देशक डा. गगनदीप कंग ने प्रार्थना की है कि सिर्फ इतना काफी नहीं है। उनका कहना है कि अभी भी कुछ मामले ऐसे हो सकते हैं जो पकड़ में नहीं आए। कंग के अनुसार यह बार-बार दोहराया जा रहा है कि अलग-अलग स्थानों पर किए अचानक लोगों के टैस्टों में से कोई भी पाजिटिव नहीं है। परन्तु उनका कहना है कि 820 टैस्ट पूरे देश की तस्वीर पेश नहीं कर सकते।उल्लेखनीय है कि भारतीय मैडीकल अध्ययन कौंसिल ने कहा था कि उसने अलग-अलग स्थानों से मार्च में अचानक 826 टैस्ट किए हैं, परन्तु कोई भी मामला पाजिटिव नहीं आया। अब सरकार ने फैसला किया है कि निमोनिया सहित सांस लेने संबंधी बीमारी से ग्रस्त अस्पताल में दाखिल सभी मरीज़ों के टैस्ट किए जाएंगे। विश्व स्वास्थ्य संस्था ने डा. कंग के विचार का समर्थन किया है और कहा है कि कोरोना वायरस को रोकने का सबसे बड़ा इलाज यही है कि अधिक से अधिक टैस्ट किए जाएं। (आई.पी.ए.)