सरकारी राहत कार्य केवल शहरों तक ही सीमित

जालन्धर, 29 मार्च (मेजर सिंह): केन्द्र व पंजाब सरकार द्वारा कोरोना वायरस रोकने के लिए देशभर में की गई तालाबंदी व कई राज्यों में कर्फ्यू के कारण लोगों की समस्याएं हल करने के लिए घोषित किए जा रहे राहत कार्य व पैकेज पंजाब के शहरों व कस्बों तक ही सीमित होकर रह गए हैं। 65 फीसदी के करीब ग्रामीण आबादी अधिकतर सरकारी मदद या राहत कार्यों से वंचित है। पंजाब सरकार व प्रशासन द्वारा रोज़ाना अनेक प्रकार की राहत व बंदिशों में छूट की घोषणा की जाती है परंतु यह सब घोषणाएं शहरी लोगों तक ही सीमित हैं। पंजाब में कई गांवों के लोगों व कई सामाजिक तथा जनतक संगठनों के नेताओं के साथ इस पत्रकार द्वारा की बातचीत में यह बात उभरकर सामने आई है कि प्रशासन का सारा ज़ोर केवल शहरों पर ही केन्द्रित है और ग्रामीण क्षेत्र की ओर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जा रहा। हैरानी की बात यह है कि कोई भी प्रशासनिक अधिकारी गांवों के लोगों की सुध लेने के लिए नहीं जा रहा। मानसा ज़िले के गांव रंगड़ियाल के तीन बार सरपंच रहे और पंचायत यूनियन पंजाब के पूर्व अध्यक्ष गुरचरन सिंह रंगड़ियाल ने बताया कि उनके गांवों में दिहाड़ीदार व गरीब लोगों को किसी प्रकार की कोई राहत नहीं पहुंची। गुरदासपुर के नौशहरा क्षेत्र के गांव अठवाल की एक मजदूर महिला फोन पर कह रही थी कि गांव के लोग ही मिलकर एक-दूसरे की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। सरकार ने तो किसी की सुध भी नहीं ली।
गांवों में न राहत, न दवाइयां
विभिन्न स्थानों से मिली सूचनाओं के अनुसार पिछले 8 दिनों से राज्य में जनजीवन पूरी तरह ठप्प है, परंतु लोगों के घर में बंद होने के कारण पैदा हुई मुश्किलों में सहायक विकल्प के लिए सरकार कहीं भी दिखाई नहीं देती। हर प्रकार की जनतक ट्रांसपोर्ट व बैंकों सहित एटीएम बंद होने के कारण ग्रामीण लोगों को बड़ी समस्या बन रही है। अचानक कर्फ्यू लगाए जाने के कारण अधिकतर रिश्तेदारियों व अन्य कामों के लिए गए लोग बाहर ही फंसे हुए हैं। पंजाब के बड़ी संख्या में लोग ट्रक कारोबार से संबंधित हैं, उनमें से अधिकतर इस समय विभिन्न राज्यों में सड़कों पर बुरी हालत में भटक रहे हैं। दूध उत्पादक एसोसिएशन के प्रमुख दलजीत सिंह सदरपुरा ने बताया कि दूध उत्पादक का बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र में है ओर सरकार पशुओं की दवाइयां व खुराक मुहैया करवाने के लिए अभी तक सक्रिय नहीं हुई।
ग्रामीण लोगों को बचा रहा है मज़बूत भाईचारा
ग्रामीण क्षेत्र में सरकारी राहत न पहुंचने के बावजूद दिहाड़ीदार, ज़रूरतमंद व गरीब लोगों का सहारा गांवों में अभी भी बचा मज़बूत भाईचारा बन रहा है। लगभग सभी गांवों में मजबूत भाईचारे के लोगों द्वारा गुरु घरों या अन्य साझे स्थानों पर इकट्ठ कर दूध सहित अन्य खाद्य पदार्थ व सूखे राशन का आदान-प्रदान किया जा रहा है। मालवा, दोआबा व माझा के अधिकतर ग्रामीण क्षेत्र में लोगों द्वारा आपसी सहयोग बड़ा सहारा बनकर उभर रहा है।
शिरोमणि कमेटी आई सबसे आगे
संकट के मौके शिरोमणि कमेटी की अगुवाई में एक हज़ार से अधिक गुरुद्वारों द्वारा रोज़ाना लंगर तैयार कर वितरित किया जा रहा है। इतना ही नहीं कई गुरुघरों द्वारा लंगर व अन्य सामान लोगों तक खुद ही पहुंचाया जा रहा है। शिरोमणि कमेटी द्वारा कर्फ्यू में फंसे लोगों को निर्धारित जगह पर पहुंचाने के लिए बसें भी मुहैया की जा रही हैं। इस बात की आम चर्चा है कि शिरोमणि कमेटी सिखी फलसफे व शिक्षाओं के अनुसार पीड़ित लोगों की मदद के लिए आगे आई है।