पंजाब छोड़कर जाने का बड़ा रुझान नहीं प्रवासी मज़दूरों में

जालन्धर, 31 मार्च (मेजर सिंह): कोरोना वायरस के संक्रमण के भय से कुछ व्यर्थ की कारगुजारियां हमारे प्रशासन की ज़रूरत से अधिक फुर्ती दिखाकर वाह-वाही बटोरने व मीडिया के कई हिस्सों द्वारा खबरें सनसनीखेज बनाकर फायदा उठाने की खबर के कारण भी पैदा हो रही हैं। देश में तालाबंदी के कारण पूरा जनजीवन ठप्प होकर रह गया है और इसके ज़रिये दिल्ली जैसे महानगरों में पड़ोसी राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों से दिहाड़ी के लिए आई जनता जब बेरोज़गार हुई तो तालाबंदी के आदेशों की परवाह न करते हुए हज़ारों की संख्या में ऐसे प्रवासी मज़दूरों ने रेल व सड़क यातायात की सुविधा न होने के बावजूद अपने-अपने घरों को जाने के लिए पैदल ही चल पड़े। ऐसे रुझान को रोकने के लिए केन्द्र सरकार ने राज्यों को सीमाएं सील करने के लिए कह दिया। पंजाब के किसी भी हिस्से से प्रवासी मज़दूरों के कामों से बेरोज़गार होने के कारण अपने पुराने घरों को लौटने का कोई रुझान सामने नहीं आया। केवल लुधियाना, खन्ना आदि क्षेत्रों से यहां कुछ समय के लिए काम करने आए मज़दूरों के पैदल वापस जाने की कुछ खबरें सामने आईं हैं। विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी सूत्रों से बातचीत करने से यह बात उभरी है कि हरित क्रांति से 1970 के दशक में उत्तर प्रदेश व बिहार जैसे राज्यों से समय प्रवास का सिलसिला शुरू हुआ था। उस समय कृषि क्षेत्र में रबी-खरीफ फसल की कटाई व बुआई के लिए मज़दूर आते थे परंतु साथ ही सस्ती मज़दूरी के कारण पंजाब के उद्योग का रुख भी प्रवासी मज़दूरों की ओर रुख कर गया। 1990 तक आते समय प्रवास पक्के प्रवास में बदलना शुरू हो गया। इसके बाद उद्योगों व खेतों के साथ प्रवासी मज़दूरों ने लगभग सभी कारोबारों कामों, दुकानों, सब्ज़ी व अनाज मंडियों, मकान निर्माण सहित लगभग सभी क्षेत्रों में पैर जमा लिए। विभिन्न लोगों व सरकारी अधिकारी से बातचीत करने यह बात सामने आ रही है कि दूसरे राज्यों से प्रवास कर आए लोगों का बड़ा हिस्सा इस समय परिवारों सहित पंजाब का पक्का निवासी बन गया है और कई क्षेत्रों में उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी धांक भी जमा रखी है। ऐसी हालत में ऐसी प्रवासी मज़दूरों की समय आपदा के कारण पंजाब छोड़कर चले जाने का सवाल भी नहीं उठता। जालन्धर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि जालन्धर से किसी भी प्रवासी परिवार के वापिस जाने की बात सामने नहीं आई। आलू उत्पादक एसोसिएशन के नेता जसविंदर सिंह संघा ने बताया कि इस समय आलुओं की खुदाई व सम्भाल का काम चल  रहा है और इस काम में 90 फीसदी हिस्सा प्रवासी मज़दूरों का ही है। उन्होंने बताया कि दोआबा क्षेत्र से किसी भी प्रवासी मज़दूर के अपने राज्य में जाने की कोई घटना नहीं। एक और पुलिस अधिकारी ने बताया कि ज़ीरकपुर में पैदल चलकर जा रहे रोके गए प्रवासी मज़दूरों में भी अधिकतर चंडीगढ़ से ही आए हुए थे।