फर्जी खबरें फैलाने पर करें सख्ती

नई दिल्ली (उपमा डागा पारथ/वार्ता) : उच्चतम न्यायालय ने देश में कोरोना वायरस के मद्देनजर राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण प्रवासी श्रमिकों के समक्ष उत्पन्न परिस्थितियों के निवारण के लिए दिशा-निर्देश जारी करने संबंधी याचिका मामले में सुनवाई अगले मंगलवार तक लिए स्थगित कर दी तथा कुछ मौखिक दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं। मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की विशेष खंडपीठ ने अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव एवं रश्मि बंसल की याचिकाओं की आज वीडियो कांफ्रैंसिंग के जरिये संयुक्त सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार द्वारा किए गए उपायों के बारे में गम्भीरता से सुना तथा सोशल मीडिया पर कोरोना से संबंधित फर्जी खबरें फैलाने वाले के खिलाफ कार्रवाई करने तथा चिकित्सकों का एक पैनल गठित करने सहित कई मौखिक दिशा-निर्देश दिए। बाद में न्यायालय ने मामले की सुनवाई 7 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोरोना संक्रमण की समस्या से निपटने, प्रवासी मजदूरों के लिए की जा रही सुविधाओं, लोगों को सोशल डिस्टेंशिंग के लिए प्रोत्साहित करने और उनकी आवश्यकता की चीजों की आपूर्ति के लिए किए जाने वाले उपायों तथा संक्रमण या इसकी आशंका वाले मरीजों के लिए उठाये गये चिकित्सकीय उपायों का ब्यौरा दिया। उन्होंने केंद्र की ओर से स्थिति रिपोर्ट भी पेश की, जिनमें कोरोना संक्रमण के मद्देनज़र किए जाने वाले उपायों का विस्तृत उल्लेख किया गया है। श्री मेहता ने अपने कार्यालय से वीडियो कांफ्रैंसिंग के जरिए न्यायालय को अवगत कराया कि पलायन करने वाले 10 लोगों में से तीन के संक्रमित होने की आशंका है। देश के गांवों में अभी तक कोरोना संक्रमण नहीं पहुंचा है, लेकिन शहरों से गांव की तरफ हुए पलायन से इसकी आशंका बढ़ गई है। सरकार ने हालांकि यह दावा किया कि अब पलायन पर रोक लग गई है। सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि इस दौरान छह लाख 63 हज़ार लोगों को आश्रय दिया गया है और 22 लाख 88 हज़ार लोगों तक भोजन और दूसरी ज़रूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
न्यायालय ने अपने मौखिक निर्देश में कहा कि सरकार यह भी सुनिश्चित करेगी कि जिन लोगों का प्रवास उसने बंद किया है उन सभी को भोजन, आश्रय, पोषण और चिकित्सा सहायता के मामले में कोई कमी न आये। कोरोना संक्रमण और उससे बचाव आदि की जानकारी के लिए केंद्र सरकार 24 घंटे में एक पोर्टल स्थापित करेगी। साथ ही चिकित्सकों की समिति बनायेगी, जिसमें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जैसे प्रमुख अस्पतालों के चिकित्सकों को शामिल किया जाएगा। न्यायालय ने देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में कोरोना पर दायर याचिकाओं की सुनवाई पर रोक लगाने की केन्द्र सरकार की मांग ठुकरा दी।