वायु प्रदूषण का बढ़ता ़खतरा

वायु प्रदूषण पर एक वैश्विक रिसर्च रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दूषित हवा हमारे स्वास्थ्य के लिए न केवल बेहद हानिकारक है अपितु पेट की आंत सम्बन्धी विभिन्न  व्याधियों की भी कारक है। वाशिंगटन से प्रकाशित एन्वायरनमेंटल इंटरनेशनल नामक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की गई है कि वायु प्रदूषण के कारण हमारे शरीर की आंत के बैक्टीरिया पर गहरा असर पड़ सकता है जिससे मधुमेह जैसी खतरनाक बीमारी के साथ मोटापा, पेट के आंत  के संक्रमण सहित विभिन्न पुरानी बीमारिया बढ़ सकती है। इस रिपोर्ट में यह खुलासा  किया गया है कि वाहनों से उत्सर्जित होने वाली खतरनाक गैसें जब सूर्य की रोशनी के संपर्क में आती हैं तो वे बेहद खतरनाक रूप धारण कर लेती हैं जो हमारे स्वास्थ्य पर असर डालती है। 
रिसर्च के अनुसार वायु प्रदुषण मनुष्य की श्वास सम्बन्धी प्रणाली पर तो  असर डालती है ही साथ ही हमारी आँतों को भी क्षतग्रस्त करती है। विशेष रूप से पेट सम्बन्धी बीमारियां बढ़ जाती हैं। हमारे पेट में बसने वाले जीवाणु और कीटाणु का हमारी सेहत से गहरा ताल्लुक है। इन असंख्य जीवों का हमारे शरीर की सेहत पर अच्छा और बुरा दोनों तरह का असर पड़ता है। इन्हें अंग्रेजी में माइक्रोबायोम कहते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक  हमारे आस-पास की आबो-हवा पर असर इन पर पड़ता है।                                               
वायु प्रदूषण का खतरा अब घर-घर मंडराने लगा है। देश और विदेशों की विभिन्न ग्लोबल एजेंसियों द्वारा वायु प्रदूषण के खतरे से बार-बार आगाह करने के बावजूद न सरकार चेती है और न ही नागरिक। लगता है लोगों ने इस जान लेवा खतरे को गैर-जरूरी मान लिया है। वायु प्रदूषण ने भारत को अपने पंजे में मजबूती से जकड़ रखा है। भारत की आबो-हवा निरंतर जहरीली होती जा रही है। 
वैश्विक स्तर पर हवा की गुणवत्ता के बारे में सूचना देने वाली टेक कंपनी आइक्यू के शोधकर्ताओं ने अपने ग्राउंड मॉनीटरिंग स्टेशनों से आंकड़े एकत्रित किए हैं। यह पीएम 2.5 के सूक्ष्म कण पदार्थ के स्तर को मापता है। इसमें वे सूक्ष्म कण आते हैं जो कि 2.5 माइक्रोमीटर से छोटे होते हैं। इन्हें विशेष रूप से हानिकारक माना जाता है क्योंकि वे फेफड़ों और हृदय प्रणाली की गहराई में प्रवेश करने के लिए काफी छोटे होते हैं। पीएम 2.5 में सल्फेट, नाइट्रेट और ब्लैक कार्बन जैसे प्रदूषक शामिल हैं। इस तरह के कण आसानी से पहुंचकर  फेफड़ों और हृदय की परेशानियों को बढ़ा सकते हैं।
बताया जाता है उद्योगों, घरों, कारों और ट्रकों से वायु प्रदूषकों के खतरनाक कण निकलते हैं, जिनसे अनेक बीमारियां होती हैं. इन सभी प्रदूषकों में से सूक्ष्म प्रदूषक कण मानव स्वास्थ्य पर सबसे ज्यादा प्रभाव डालते हैं। ज्यादातर सूक्ष्म प्रदूषक कण,चलते वाहनों जैसे रोजमर्रा के इस्तेमाल किए जाने वाले स्रोतों और बिजली उपकरणों, उद्योगों, घरों, कृषि जैसे स्रोतों में ईंधन जलाने  से निकलते हैं। हवा में मौजूद ये सूक्ष्म कण हमारे सांस लेने के दौरान बिना किसी रुकावट के सांसों की नलियों के रास्ते फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं।  इससे मनुष्य को कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है। महानगरों में वायु प्रदूषण अधिक फैला है। वहां चौबीसों घंटे कल-कारखानों और वाहनों का विषैला धुआं इस तरह फैल गया है कि स्वस्थ वायु में सांस लेना दूभर हो गया है। यह समस्या वहां अधिक होती है जहां सघन आबादी होती है और वृक्षों का अभाव होता है। 
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