काबुल में सिखों की रक्षा करते एक मुस्लिम ने भी दी थी शहादत

अमृतसर, 1 अप्रैल (सुरिंदर कोछड़): अफगानिस्तान की राजधानी काबुल स्थित गुरुद्वारा हरिराय साहिब में आत्मघाती हमले दौरान शहीद हुए 25 काबुली सिखों के साथ वहां के एक स्थानीय मुसलमान ने भी अपनी शहादत दी थी, जिसके परिवार ने अपील की है कि अपनी ज़िम्मेवारी बहादरी से निभाते हुए शहादत देने वाले गुरुद्वारा साहिब के सुरक्षा गार्ड महिरम अली शगसी (43) के बलिदान को भी याद रखा जाए। 
गुरुद्वारा साहिब में हुए आतंकी हमले में मारे गए इकलौते मुस्लिम महिरम अली के परिवार का कहना है कि बंदूकधारियों को गुरुद्वारा साहिब में दाखिल होने से रोकने की कोशिश करने पर हमलावर ने उसके सिर में गोली मारी थी।
काबुल से इस बारे जानकारी देते हुए अरंदर सिंह ने बताया कि महिरम अली का काबुली सिख भाईचारे से अटूट रिश्ता था और उसने जब बंदूकधारियों को गुरुद्वारे में दाखिल होने से रोकने का प्रयास किया तो इस दौरान हुई हाथापाई में वह नीचे गिर गया और जब वह दोबारा लड़ने के लिए उठा तो एक हमलावर ने उसके सिर में गोली मार दी। उन्होंने बताया कि हमला होने समय गेट पर महिरम अली व एक अन्य सिख वहां खड़ा था।
महिरम के छोटे पुत्र अब्दुल वाहद (23)का कहना है कि उसके पिता सप्ताह में केवल एक बार घर आते थे और बाकी दिन गुरुद्वारा साहिब में रहते थे और वहीं पर नमाज पढ़ते थे। उन्होंने अपने परिवर से अधिक सिख भाईयों के साथ समय बिताया और गुरुद्वारा साहिब की सेवा की। 
यह भी बताया जा रहा है कि महरम अली पहले काबुल के मनपाल सिंह की दुकान पर सहायक के रूप में काम करते थे। जिनका इलाचियों का कारोबार था। बाद में वहां हालात खराब होने पर मनपाल सिंह भारत आ गए और महरम अली की ईमानदारी व मेहनत से प्रभावित होकर उन्हें गुरुद्वारा साहिब में सुरक्षा कार्ड रख लिया था।