प्रधानमंत्री की भावुक अपील

कोरोना वायरस का तांडव जारी है। दुनिया भर में अब तक इसने 50 हज़ार जानें ले ली हैं और इस बीमारी से 10 लाख के लगभग लोग ग्रस्त हो चुके हैं। इसने एक बार तो समूची अन्तर्राष्ट्रीय अर्थ-व्यवस्था को हिला कर रख दिया है। प्रत्येक देश अपने-अपने संसाधनों के अनुसार इसके विरुद्ध लड़ाई लड़ता नज़र आ रहा है। यूरोप के विकसित देश और अमरीका जैसा महाबली भी इससे बच नहीं सका, अपितु इन देशों में प्रभावित होने वालों और मरने वाले लोगों की संख्या नित्यदिन बढ़ती जा रही है। इटली और स्पेन में भी नित्य दिन सैकड़ों लोग इसकी भेंट चढ़ते नज़र आ रहे हैं। अमरीका में भी बन रहा ऐसा दृश्य भयानक रूप धारण करता जा रहा है। भारत जैसा विशाल विकासशील देश भी इस लड़ाई में शामिल है। अब तक यहां मौतों की संख्या 56 तक पहुंच चुकी है और 2000 के लगभग इससे प्रभावित व्यक्तियों के और मामले सामने आए हैं। केन्द्र सरकार इसके प्रति बहुत चिन्तित है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कान्फ्रैंस के द्वारा साझी रणनीति तैयार करने की बात कहते हुए यह कहा है कि साझा लक्ष्य इस बात की ओर केन्द्रित होना चाहिए कि जिंदगियों का कम से कम नुकसान हो। इसके लिए अधिक से अधिक लोगों की जांच होनी चाहिए। पीड़ितों का पता लगा कर उनको अलग-अलग किया जाना चाहिए। पहले 22 मार्च को प्रधानमंत्री ने एक दिन के ‘जनता कर्फ्यू’ का ऐलान किया था, उसके बाद उनके द्वारा 24 मार्च से 14 अप्रैल तक देश भर में तालाबंदी का ऐलान किया गया था। इस दौरान देशवासियों को बड़ी दुष्वारियों से गुजरना पड़ा। खासतौर पर गरीब और ज़रूरतमंद वर्ग इससे अधिक प्रभावित हुआ, जिससे सरकार की चिंताएं और परेशानियां और भी बढ़ गई हैं। अब तक देश भर में हज़ारों ही ऐसी संस्थाएं सामने आ चुकी हैं, जो दिन रात ज़रूरतमंदों तक सहायता पहुंचाने के लिए सक्रिय हैं। इस मामले में वह अपनी पूरी प्रतिबद्धता दिखा रही हैं। ताकि किसी ढंग से ही आने वाली समय के संकट का मुकाबला किया जा सके। इस समय सरकार को अधिक ध्यान डाक्टरी कर्मचारियों के लिए अधिक से अधिक सुरक्षा किटों या कोरोना से प्रभावित व्यक्तियों का निरीक्षण करने तथा इलाज़ करने के समय इस्तेमाल किए जाने वाले सामान को मंगवाने की तरफ ध्यान देना चाहिए। ऐसा करने के लिए हमें और प्रयासरत होना पड़ेगा। ताकि इस बीमारी के लिए प्रयास करते डाक्टरों, नर्सों तथा अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों की इन सुरक्षा उपकरणों द्वारा कार्य करते समय अपने स्वास्थ्य पर बुरा असर न पड़े। समाचारों के अनुसार इस समय इन सुरक्षा किटों के साथ-साथ वेंटीलेटरों की और अधिक ज़रूरत है ताकि आगामी समय में इस महामारी के और फैलने पर तत्काल सुरक्षा प्रबंधों और इलाज को सुनिश्चित बनाया जा सके। दुनिया भर से मिल रहे समाचारों और देश में बन रहे दृश्य के साथ-साथ तालाबंदी ने लोगों के मनोबल पर जो असर डाला है, उसको ऊपर उठाने के लिए घरों में बंद बैठे लोगों में चढ़ती कला का जजबा और दृढ़ इच्छा-शक्ति पैदा करने के लिए और यह विश्वास पैदा करना भी ज़रूरी है कि चाहे आज सामाजिक अलगाव समय की मज़बूरी है परन्तु भावनात्मक तौर पर देश के सभी लोग आपस में जुड़े हुए हैं। इस उद्देश्य के लिए एक बार फिर श्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अलग-अलग रहते हुए भी चिन्हात्मक तौर पर दीयों, मोमबत्तियों, बैटरियों और मोबाइल फोनों की फ्लैश लाईटों द्वारा रात 9 बजे 9 मिनट के लिए रौशनियां करने का आह्वान किया है। इससे पैदा हुई भावना आपसी सांझ का संदेश बन सकती है और इस भावना को और भी दृढ़ कर सकती है कि देशवासी दृढ़ होकर इस महामारी की चुनौती का मुकाबला करने में सक्षम हैं। क्योंकि मनों में पैदा हुआ ऐसा आत्म विश्वास मनुष्य में कठिन घाटियां पार कर जाने की क्षमता पैदा कर सकता है। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द