प्राचीन गुफाओं में ब्लैक वाटर राफ्ंिटग

जुगनुओं का मैं कितना दीवाना हूं, इसका अंदाजा उन पाठकों को अवश्य होगा जो मेरे पर्यटन लेखों के नियमित पाठक हैं। जो पहली बार मेरा लेख पढ़ रहे हैं, उन्हें मैं बताना चाहता हूं कि अपने एक लेख में मैंने लिखा था- ‘जुगनू है मेरे हमसफ र, मगर इस शरर की बिसात क्या/ ये चिराग कोई चिराग है, न जला हुआ न बुझा हुआ’। इस शे’अर से मैं कभी सहमत नहीं हुआ। एक तो मुझे जुगनू को शरर (अंगारा) कहना पसंद नहीं है और दूसरा मुझे कुदरत के इस करिश्मे में बहुत दिलचस्पी है। इसे देखने के लिए मैं मीलों तक का सफर कर सकता हूं। 
पिछले साल मुझे एक दोस्त ने बताया था कि मानसून आने से पहले के जो दो सप्ताह होते हैं, उनमें राजमाची व भीमाशंकर (जिला पुणे), भंदारदारा (जिला अहमदनगर) और राधानगरी (जिला कोल्हापुर) की शामें विशेष हो जाती हैं- जब सारा देश अपने घर की लाइट ऑन कर रहा होता है तो इन जगहों पर प्रकृति अपनी लाइट शो आरंभ कर देती है। जैसे-जैसे अंधेरा बढ़ता जाता है, लयदार रोशनी के बुलबुले लहर बनते हुए जुगनुओं के पेटों से चमकने लगते हैं और फिर धीरे-धीरे जंगल में फैल जाते हैं। इतनी बात सुनने के बाद मेरे लिए यह आवश्यक हो गया था कि मैं इस बार (यानी 2019 में) इस नजारे को अपनी आंखों से जरूर देखूं। लिहाजा मैं उधेवादी गांव में पहुंच गया जो लोनावाला से लगभग 20 किमी के फासले पर है और जो ट्रेक्स राजमाची में जाते हैं, उनके लिए बेस है। यहां होटल नहीं हैं, स्थानीय लोगों ने अपने घर व किचन उन पर्यटकों के लिए खोल दिए हैं जो जुगनुओं की जादुई लाइट शो को देखने के लिए यहां आते हैं। मैं तुकाराम खांडू के घर पर ठहरा, जिन्होंने मुझे बताया, ‘हम तो जुगनुओं को बचपन से ही देखते आ रहे थे, अब पिछले 8-10 सालों में यह पर्यटकों का आकर्षण बन गया है। हमारे लिए भी यह आय का अच्छा स्रोत बन गया है। हर साल पर्यटकों की संख्या बढ़ती जा रही है, इसलिए मैंने भी अपने गाय के शेड को शिफ्ट करके नई बिल्डिंग बना ली है जिसमें 100 लोग तो रुक ही सकते हैं।’ जुगनुओं का शौक मुझे कुछ दिन पहले न्यूज़ीलैंड ले गया, जहां पर्यटकों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण वैटोमो में जुगनुओं की गुफाएं हैं। यह गुफाएं 3 करोड़ वर्ष पुरानी हैं और किसी जमाने में समुद्र के नीचे हुआ करती थीं। आज ये स्टालक्टाइट्स, स्टाल्गमाइट्स और लाखों जलते बुझते नीले जुगनुओं से भरी हुई हैं। नीले जुगनू संसार में इन गुफाओं के अतिरिक्त कहीं और देखने को नहीं मिलते हैं। इन गुफाओं में जुगनुओं को देखने के दो तरीके विख्यात हैं। जो शांत स्वभाव के प्रकृति प्रेमी हैं वे नाव में थोड़ी दूर का सफ र करते हैं और फि र एक सुंदर स्पाइरल सीढ़ी के नीचे आकर बैठ जाते हैं ताकि जलते-बुझते जुगनुओं को आराम से देखा जा सके। लेकिन मुझ जैसे जोशीले व्यक्ति जिन्हें एडवेंचर पसंद है। मेरे जैसे लोग टायर-जैसी टियूब में उछलते-कूदते गुफा में सफर करते हैं, जलते बुझते जुगनू उनके पास से निकलते रहते हैं या यूं कहें कि वह उन्हें करीब से देखते हैं। इस दूसरे तरीके को ब्लैकवाटर राफ्टिंग कहते हैं। वास्तव में आप एक टियूब में बैठते हैं, पहले तेजी से कुछ दूरी तक आप टियूब में ऊपर उठते व नीचे गिरते हैं और फि र नदी के साथ अंधेरी गुफा में बहने लगते हैं। मैंने बेसिक लेवल किया, जिसमें मुझे कुछ बम्प का आनंद आया, कुछ छोटे झरनों के ऊपर से नीचे कूदा, और फिर गुफा में फ्लोट करता हुआ छत पर जलती-बुझती बायो-लाइट्स यानी जुगनुओं को देखने लगा। मैंने जो विकल्प चुना था वह 4-5 घंटे के ब्लैक अब्यस टूर की तुलना में कम एडवेंचर भरा था। 4-5 घंटे वाले टूर में यात्री न सिर्फ  अंधेरी गुफा में जाते हैं बल्कि रॉक से नीचे ‘गिरते’ हैं, जुगनुओं की गैलरी से जिप-लाइन करते हैं, असल झरनों से जम्प करते हैं और फि र टियूब में बैठे हुए ही नीले जुगनुओं को निहारते हैं। इस तरह गुफाओं में अंदर पहुंचने के बाद आप घुप अंधेरे में होते हैं और जुगनू आपके इतने करीब महसूस होते हैं कि आपको उन्हें पकड़ने व स्पर्श करने का मन करता है, लेकिन कृपया ऐसा करना मत। गुफा के अंदर तारों भरी रात प्रतीत होती है, सिवाए इसके कि तारे नीले नजर आते हैं। यह वास्तव में जादुई है। वापसी यात्रा में कूकीज व हॉट चॉकलेट मिलती है। यह यादगार जादू है, ठीक वैसा ही जैसा आप पहली बार कैम्पिंग के लिए गये होंगे तो आपने एहसास किया होगा कि संसार कितना बड़ा है और इसके आगे कितना अधिक शेष है। राफ्टिंग के लिए छह से आठ व्यक्तियों का ग्रुप बनाया जाता है, दो इंस्ट्रक्टर होते हैं और दो अन्य मदद करने के लिए। कम्पनी वेटसूट, बूट्स, सेफ्टी हार्नेस और बहुत सारा प्रोत्साहन उपलब्ध कराती है। न्यूजीलैण्ड में एडवेंचर गतिविधियों की कमी नहीं है- स्काई डाइविंग, पैराग्लाइडिंग, बंजी जंपिंग, लेकिन यह अपने आप में विशेष है। इसी से यह ‘वन्स-इन-ए-लाइफ टाइम’ अनुभव बन जाता है। 

     —इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर
समीर चौधरी